ट्रंप समर्थको पर अब आफ़त आ गयी है। जिन्होंने संसद परिसर कैपिटल बिल्डिंग में घुस कर तोड़फोड़ और गोलीबारी की थी, ऐसे लोगों की धरपकड़ और गिरफ़्तारी हो रही है।
ट्रंप अपनी लड़ाई यह मानते हुए जारी रखना चाहते हैं कि उनकी हार नहीं हुई है बल्कि उनकी जीत पर डाका डाला गया है। मुसीबतों के दौरान ख़ुफ़िया बंकरों में पनाह लेने वाले तानाशाह अपनी पराजय को अंत तक स्वीकार नहीं करते हैं।
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में 20 जनवरी को भले न जाएं, लेकिन इस समारोह के समय उनके समर्थकों के एक बार फिर हिंसा करने, बवाल मचाने और तोड़फोड़ करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
दुनिया के सबसे ताक़तवर देश और सबसे पुराने लोकतंत्र के प्रतीक कैपिटल बिल्डिंग यानी संसद भवन पर हमला और तोड़फोड़ देखने में अप्रत्याशित और यकायक भले ही लगता हो, दरअसल इसकी पृष्ठभूमि बहुत पुरानी है और इसकी तैयारी भी बहुत दिनों से चल रही थी।
अमेरिका की जाँच एजेंसियाँ यह पता लगाने में जुट गयी है कि कि संसद पर हमला करने वालों का असली मक़सद सिर्फ़ तोड़फोड़ करना था या फिर इसकी आड़ में किसी और बड़ी घटना को अंजाम देना था।
कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा मामले में निशाने पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम खाते को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद भवन हिंसा की राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने निंदा की है। लेकिन ट्रंप ने हिंसा भड़काने में अपनी भूमिका के बारे में कुछ नहीं बोला।
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर राजद्रोह का मामला बनता है? क्या 20 जनवरी को कार्यकाल ख़त्म होने के पहले ही संविधान के 25वें संशोधन का इस्तेमाल कर उन्हें पद से हटाया जा सकता है?
अमेरिका में वह हो गया जिसकी आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी। ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी कांग्रेस पर ही हमला बोल दिया। यह तब हुआ जब संसद जो बाइडन के राष्ट्रपति होने की औपचारिकता पूरी करने के लिये बैठी थी।
हिंसा, गोलीबारी और संसद परिसर कैपिटल बिल्डिंग में घुस कर तोड़फोड़ करने के डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों की करतूतों के बाद राष्ट्रपति ने अपरोक्ष रूप से ही सही, अपनी हार मान ली है।
बुधवार को राजधानी वॉशिंगटन के संसद परिसर कैपिटल में जिस समय डोनल्ड ट्रंप के समर्थक अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की, राष्ट्रपति न सिर्फ़ अपने दफ़्तर में टेलीविज़न पर चुपचाप तमाशा देखते रहे, बल्कि उन्होंने उस स्थिति में भी उस उत्तेजित भीड़ को और भड़काया।
अमेरिका में कैपिटल बिल्डिंग हिंसा पर दुनिया के नेताओं ने दुख जताया है। उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों द्वारा यूएस कैपिटल में ऐसी हिंसात्मक कार्रवाई की निंदा की। जानिए, मोदी और बोरिस जॉनसन ने क्या कहा...