कोरोना से लड़ाई में बेहतर काम के लिए दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बने पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान अपनी इस कामयाबी का जश्न तक नहीं मना पा रहे हैं। वजह यह है कि विपक्षी दलों ने उन्हें बुरी तरह घेर लिया है और उनकी मांग सिर्फ़ यही है कि इमरान को सत्ता से बेदख़ल कर दिया जाए। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों ने फ़ौज़ को भी निशाने पर ले लिया है और उस पर आरोप लगाया है कि उसने ही इमरान को हुक़ूमत में बैठाया है।
बतौर क्रिकेटर दुनिया भर में पहचाने जाने वाले इमरान जब राजनीति में आए तो उन्होंने तब के वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ के ख़िलाफ़ जोरदार जलसे किए। अवाम को यक़ीन दिलाने की कोशिश की कि अगर वे इस इसलामिक मुल्क़ की हुक़ूमत में आए तो मुल्क़ की तकदीर बदल देंगे।
लोगों ने उन्हें अपना सियासी रहनुमा चुना और क्रिकेट की पिच पर तेज़ गेंदें फेंकने वाले इमरान 2018 में मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म बन गए। हालांकि जब चुनाव नतीजे आए तब भी इस बात का शोर हुआ था कि फ़ौज़ ने इमरान के सिर पर हाथ रखा है और पाकिस्तान के कई लोग इस बात को खुलकर कहते हैं कि इमरान ख़ान सिलेक्टेड वज़ीर-ए-आज़म हैं।
इमरान को हुक़ूमत संभाले एक साल का भी वक़्त नहीं हुआ था कि पाकिस्तान की ख़राब माली हालत को लेकर देश में चर्चा शुरू हो गई।
मौलाना का आज़ादी मार्च
इसके साथ ही चीन के साथ याराना निभाने और देश में चीन का दख़ल बढ़ने के कारण बलूचिस्तान में इमरान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन होने लगे। इसी बीच, पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में धार्मिक नेता और सियासी दल जमीअत उलेमा-ए-इसलाम के मुखिया मौलाना फज़लुर रहमान ने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया।
मौलाना फज़लुर रहमान ने देश में आज़ादी मार्च निकाला था और लोगों से राजधानी इसलामाबाद पहुंचने के लिए कहा था। लाखों की संख्या में उनके समर्थक इसलामाबाद पहुंचे थे और कई दिनों तक धरना दिया था। तब तो इमरान ने फ़ौज़ का सहारा लेकर जैसे-तैसे अपनी कुर्सी बचा ली लेकिन इस बार लगता है कि उनका बचना मुश्किल है। क्योंकि इस बार 11 विपक्षी दल मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं।
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पीडीएम का गठन
इन दलों ने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम से गठबंधन बनाया है और ये देश में जोरदार रैलियां कर रहे हैं। मौलाना फज़लुर रहमान के अलावा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेता और मुल्क़ की वज़ीर-ए-आज़म रहीं बेनज़ीर भुट्टो के बेटे बिलावल जरदारी भुट्टो, वज़ीर-ए-आज़म रह चुके नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम नवाज़ सहित कई आला नेताओं की कयादत में इमरान को सत्ता से हटाने का आंदोलन चल रहा है।
निशाने पर पाकिस्तानी फ़ौज़
पाकिस्तान में फ़ौज़ सबसे ऊपर है। पाकिस्तानियों को इस बात का इक़बाल है कि जब तक फ़ौज़ है, मुल्क़ का कोई बाल बांका नहीं कर सकता और मुल्क़ महफूज़ रहेगा। इसलिए फ़ौज़ पर कोई सियासी दल वार नहीं करता। इसलिए भी नहीं करता क्योंकि भारत से टूटकर बने इस पड़ोसी देश में पिछले 73 साल में कई सालों तक हुक़ूमत फ़ौज़ के हाथों में रही है। पाकिस्तान में लंबे समय तक फ़ौजी शासकों अयूब खान, याह्या खान, जिया-उल-हक और मुशर्रफ ने मुल्क़ की कमान अपने हाथों में रखी।
लेकिन बीते महीने हुई पीडीएम की बैठक में फ़ौज़ की आलोचना की गई। इसके बाद देश में इमरान सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने का फ़ैसला लिया गया।
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कराची रैली में उमड़ा हुजूम
रविवार को कराची में हुई पीडीएम की रैली में जितनी बड़ी संख्या में लोग जुटे उससे हुक़ूमत में बैठी पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ के मुखिया और वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान की नींद उड़ गई है। इससे पहले पीडीएम की एक रैली गुजरांवाला में हुई थी और इसमें भी ख़ासा हुज़ूम उमड़ा था। इसके बाद क्ववेटा, पेशावर, मुल्तान और अंतिम रैली लाहौर में होगी।
रैली में मरियम नवाज़ ने इमरान ख़ान को डरपोक आदमी कहा। मरियम ने कहा कि वह अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए फ़ौज़ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मरियम ने इस बात को साफ किया कि पीडीएम फ़ौज़ के ख़िलाफ़ नहीं है बल्कि इसके कुछ जनरलों के विरोध में हैं। बिलावल भुट्टो ने कहा कि देश के तमाम इदारों को खोखला किया जा रहा है।
लंदन में अपना इलाज करा रहे नवाज़ शरीफ़ ने वीडियो लिंक के जरिये फ़ौज को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘आपने चुनाव में अपनी मर्जी से लोगों को बैठा दिया, होने वाली बर्बादी के आप जिम्मेदार हैं।’ उन्होंने कहा कि फ़ौज़ के मुखिया क़मर जावेद बाजवा को जवाब देना ही होगा। नवाज़ ने कहा कि वे मुल्क़ के ग़रीबों की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
इससे पहले नवाज़ शरीफ़ ने कहा था कि विपक्ष की लड़ाई इमरान खान से नहीं है, बल्कि उस फ़ौज़ से है, जिसने इमरान को गद्दी पर थोप रखा है। रैली में पश्तून तहफ्फुज़ मूवमेंट, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) सहित कई दलों के नेताओं ने शिरकत की।
बुरी तरह भड़क गए इमरान
विपक्षी दलों की गोलबंदी से बौखलाए इमरान ख़ान ने नवाज़ शरीफ़ पर हमला बोला और कहा, ‘ये वो शख़्स है जो पूर्व जनरल जिया उल हक़ के जूते पॉलिश करते-करते मुख्यमंत्री बना था।’ इमरान ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ फ़ौज़ के ख़िलाफ़ गलत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इमरान कह चुके हैं कि वे नवाज़ को गिरफ़्तार करेंगे और जेल में डालेंगे।
रैली के अगले ही दिन यानी सोमवार की सुबह मरियम ने ट्वीट कर कहा कि जिस होटल के कमरे में वह रूकी थीं, पुलिस ने उसका दरवाज़ा तोड़ दिया और उनके पति कैप्टन सफदर को गिरफ़्तार कर लिया।
फिर सत्ता में आएगी फ़ौज़?
इतना तय है कि इमरान ख़ान की राह बेहद मुश्किल हो चली है। मुल्क़ के माली हालात बेहतर नहीं हैं, महंगाई आसमान छू रही है, देश कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है, फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की तलवार उस पर लटक रही है और इस सबके बीच इमरान को ख़ुद पर फ़ौज़ का भरोसा बनाए रखना है, वरना लंबे समय तक फ़ौज़ी हुक्मरानों के साये में रहे इस मुल्क़ में फ़ौज़ इमरान को हटाकर फिर से सत्ता अपने हाथ में ले सकती है।
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