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इमरान का जाना लगभग तय, बड़े सहयोगी दल ने साथ छोड़ा

पाकिस्तान में इमरान खान की हुकूमत का जाना अब लगभग तय हो गया है क्योंकि इमरान खान बहुमत के लिए जरूरी सांसदों के नंबर गेम में पिछड़ते जा रहे हैं। इमरान को बड़ा झटका तब लगा जब पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ यानी पीटीआई के एक बड़े सहयोगी मुत्ताहिदा क़ौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) पाकिस्तान ने उसका साथ छोड़ दिया।

एमक्यूएम पाकिस्तान ने विपक्षी सियासी जमात पाकिस्तान पीपल्स पार्टी यानी पीपीपी से हाथ मिला लिया है। 

इस बारे में पीपीपी के शीर्ष नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट कर कहा है कि विपक्षी गठबंधन और एमक्यूएम के बीच समझौता हो गया है। यह समझौता मंगलवार रात को हुआ। 

172 सांसद चाहिए

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में 342 सांसद हैं। इनमें पीटीआई के पास 155 सांसद हैं। एमक्यूएम पाकिस्तान के पास सात, पीएमएल (क्यू) के पास पांच, बीएपी के पास पांच, ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलाइंस (जीडीए) के पास तीन और अवामी मुसलिम लीग (पाकिस्तान) के पास एक सांसद है। इमरान अब तक इन दलों के समर्थन से अपनी हुकूमत चला रहे थे। हुकूमत चलाने के लिए 172 सांसदों की जरूरत है। 

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जबकि विपक्षी दलों पीएमएल (एन) के पास 84, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी यानी पीपीपी के पास 56, मुत्ताहिदा मजलिस ए अमल  (एमएमए) के पास 15, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) के पास चार, आवामी नेशनल पार्टी के पास एक और एक निर्दलीय सांसद हैं। 

यह पूरी तरह साफ है कि अब कोई बड़ा उलटफेर ही इमरान की हुकूमत को बचा सकता है। 

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वोटिंग में हिस्सा न लें

उधर, अपनी हुकूमत के लिए मुश्किलें बढ़ती देख वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान ने तमाम क़दम उठाने शुरू कर दिए हैं। इमरान ने अपनी पार्टी पीटीआई के सांसदों से कहा है कि वे नेशनल एसेंबली में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान वोटिंग से दूर रहें। विपक्षी दलों के द्वारा नेशनल एसेंबली में इमरान की हुकूमत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है और इस पर आने वाले 3 से 4 दिन के अंदर वोटिंग हो सकती है।

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क़मर वहीद नक़वी
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