यूक्रेन के तमाम बैंकों, सार्वजनिक संस्थानों और रक्षा ठिकानों पर साइबर हमले हुए हैं। आरोप रूस पर लगा है। साइबर सुरक्षा फर्म ईएसईटी और ब्रॉडकॉम के सिमेंटेक ने दावा किया है कि यूक्रेन में सैकड़ों मशीनों पर नया डेटा वाइपर मैलवेयर से हमला किया गया है। इस हमले की तैयारी दो महीने से चल रहे हैं। ईएसईटी ने ट्वीट करके बताया है कि वाइपर बाइनरी को हर्मेटिका डिजिटल लिमिटेड के जरिए डाला गया। वाइपर डेटा को जंक कर देता है और फिर पार्टिशन मास्टर सॉफ़्टवेयर से वैध ड्राइवर्स का दुरुपयोग करता है। इसके बाद वाइपर कंप्यूटर को रीबूट कर देता है।
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कम से कम एक मैलवेयर के जरिए रूसी साइबर हमलावरों ने पूरे नेटवर्क पर नियंत्रण कर लिया। हालांकि डेटा-वाइपिंग हमलों का पैमाना और प्रभाव अभी तक अज्ञात है। लेकिन लगता है कि जनवरी के मध्य में व्हिस्परगेट ऑपरेशन के बाद यूक्रेनी कंप्यूटर सिस्टम पर डेटा वाइपर तैनात किया गया था।यूक्रेन पर सबसे बड़ा साइबर हमला कल बुधवार को हुआ था। जब यूक्रेन की कई सरकारी संस्थाओं, बैंकिंग संस्थानों, विदेश मंत्रालय, मंत्रियों के दफ्तर और यूक्रेन की संसद के कुछ हिस्सों में लगे टर्मिनल पर हुआ। यूक्रेन की राज्यों से संबंधित इन्फॉर्मेशन सिस्टम पर अकेले जनवरी 2022 में 121 नाकाम साइबर हमलों का सामना करना पड़ा।
बुधवार को यूक्रेन के दो सबसे बड़े यूक्रेनी बैंक, प्रिवेटबैंक और ओस्चैडबैंक, के साथ साथ यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों की वेबसाइटों को भी इस साइबर हमले का सामना करना पड़ा। इस साइबर हमले पर रूसी मुख्य खुफिया निदेशालय (जीआरयू) पर उंगलियां उठी हैं। लेकिन क्रेमलिन ने आरोपों से इनकार किया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, डार्क वेब पर साइबर अपराधी यूक्रेनी नागरिकों और रेडफोरम और फ्री सिविलियन मार्केटप्लेस पर महत्वपूर्ण इन्फ्रा संस्थाओं के बारे में जानकारी वाले विज्ञापन डेटाबेस और नेटवर्क एक्सेस पर भी नजर रख रहे हैं।यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसएसयू) ने 14 फरवरी को कहा था, यूक्रेन व्यवस्थित रूप से दहशत फैलाने वाली हाइब्रिड युद्ध का सामना कर रहा है।
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