जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनके निधन के बाद जापान में तो शोक का माहौल है ही, दुनिया के कई देशों के आला नेताओं ने शिंजो आबे की मौत पर गहरा दुख जताया है।
जापान के सबसे लंबे वक्त तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे का शुरुआती और राजनीतिक जीवन कैसा रहा इस बारे में जानना जरूरी है।
21 सितंबर, 1954 को टोक्यो में जन्मे शिंजो आबे पर शुक्रवार को जापान के समय अनुसार 11.30 बजे जानलेवा हमला उस वक्त हुआ जब वह पश्चिमी जापान के नारा शहर में एक चुनावी रैली में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
1982 में राजनीति में आए
आबे 1982 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हुए और धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए। आबे 1993 में पहली बार संसद के लिए चुने गए। साल 2000 से 2003 के बीच शिंजो आबे ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में डिप्टी चीफ कैबिनेट सेक्रेट्री का कार्यभार संभाला और इसके बाद वह 2005 से 2006 तक वह चीफ सेक्रेटरी के पद पर भी रहे।
उनके नेतृत्व में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को 2014 और 2017 के चुनाव में भारी जीत मिली थी। अगस्त 2020 में शिंजो आबे ने अपनी बीमारी के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
सबसे युवा प्रधानमंत्री
शिंजो आबे साल 2006 से 2007 तक और फिर 2012 से 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। साल 2006 में जब वह पहली बार 52 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने तो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वह जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे।
शिंजो आबे एक ऐसे परिवार से आते थे जिसका राजनीति में अच्छा खासा दबदबा था। उनके दादा 1957 से 1960 तक प्रधानमंत्री रहे थे जबकि उनके पिता जापान के विदेश मंत्री रहे थे।
भारत से रहे अच्छे संबंध
शिंजो आबे साल 2014 में गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान मुख्य अतिथि थे। प्रधानमंत्री रहते हुए शिंजो आबे के भारत से अच्छे संबंध रहे। साल 2015 में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए थे और इस दौरान उन्होंने गंगा आरती में भी भाग लिया था। इसके 2 साल बाद वह अहमदाबाद भी आए थे और उन्होंने भारत की पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी थी। उन्हें 2021 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया था।
आबेनॉमिक्स
शिंजो आबे को जापान में उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों और उनकी आर्थिक नीतियों के लिए जाना जाता था। उनकी आर्थिक नीतियों की वजह से जापान की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी और सुधारों को बल मिला। आबे की आर्थिक नीतियों को आबेनॉमिक्स कहा जाता था और प्रधानमंत्री रहते हुए वह जापान में बेरोजगारी की दर को काफी नीचे ले आए थे।
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