ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट के बीच लिज़ ट्रस ने यूके के प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया है। वह 45 दिनों तक प्रधानमंत्री पद पर रहीं। देश में इतना कम समय तक इस पद पर अब तक कोई भी नहीं रह पाया था। ट्रस बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद कंजर्वेटिव पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त की गई थीं। बोरिस जॉनसन की कैबिनेट के कई मंत्रियों, सांसदों ने इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद उन्हें भी पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। ऐसा ही कुछ ट्रस के साथ हुआ। हाल के कुछ दिनों में ट्रस के मंत्रिमंडल के वित्त मंत्री सहित कई मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था।
ट्रस ने आज संवाददाताओं से कहा, 'स्थिति को देखते हुए मैं उस जनादेश को पूरा नहीं कर सकती जिसके लिए मुझे चुना गया था। मैं तब तक प्रधानमंत्री बनी रहूंगी जब तक कि एक उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं हो जाता।' इस्तीफा देने की वजह को साफ़ करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं जिन वादों के साथ सत्ता में आयी थी उसे पूरा नहीं कर पायी इसलिए इस्तीफ़ा दे दिया है।'
ट्रस ने 24 घंटे से भी कम समय में अपने इस्तीफे की घोषणा की, जबकि उन्होंने कहा था, 'मैं एक लड़ाका हूँ और छोड़ने वाली नहीं हूं। उन्होंने कल कहा था, 'मैं ऐसी हूँ जो चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। मैं कड़े फ़ैसले लेने के लिए तैयार हूँ।'
लिज ट्रस की आर्थिक नीतियों की ब्रिटेन में आलोचना की जा रही है क्योंकि महंगाई कम करने के लिए लिये गए उनके फ़ैसले से ब्रिटेन की समस्याएँ और बढ़ी ही हैं। ख़ासकर, कर कटौती के उनके फ़ैसले का विरोध हो रहा है। चुनावी अभियान के दौरान उनका कर में कटौती का निर्णय उस वक़्त तो बहुत सराहा गया था लेकिन, अब उनके लिए मुसीबत बन गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी यह कहते हुए ट्रस की कर कटौती की आलोचना कर चुके हैं कि महंगाई तो दुनिया भर में है।
इन आलोचनाओं के बीच ही यह सवाल उठ रहा था कि क्या फिर से ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बदलेंगी? दो दिन पहले ही डेली मेल ने रिपोर्ट दी थी कि ब्रिटिश सांसद इस सप्ताह प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस को हटाने की कोशिश करेंगे।
डेली मेल ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा था कि सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी से संबंधित संसद के 100 से अधिक सदस्य ट्रस में अविश्वास का पत्र कंजर्वेटिव पार्टी की समिति के प्रमुख ग्राहम ब्रैडी को सौंपने के लिए तैयार हैं। यही समिति नेतृत्व के लिए प्रतिस्पर्धा कराती है। इसी समिति की प्रतिस्पर्धा में लिज़ ट्रस ने भारतीय मूल के ऋषि सुनाक को हराकर प्रधानमंत्री पद हासिल किया था।
लिज़ ट्रस को सुनाक से वोटिंग के शुरुआती पाँच चरणों में कड़ी टक्कर मिली थी। सुनाक टोरी सांसदों के पांचवें और अंतिम मतदान के दौर तक आगे रहे थे। पाँचवें दौर के मतदान में सुनाक ने 137 मतों से जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे स्थान पर रहीं ट्रस ने 113 सांसदों का समर्थन हासिल किया था। सुनाक इससे पहले चौथे दौर के मतदान में भी सबसे आगे रहे थे। चौथे दौर में सुनाक को 118 मत मिले थे, जबकि पेनी मोर्डौंट को 92, लिज़ ट्रस को 86 और केमी बडेनोच को 59 मत। लेकिन आख़िरी और निर्णायक दौर में सुनाक हार गए थे।
ऋषि सुनाक फिर पीएम पद की दौड़ में?
इस बीच ऋषि सुनाक का नाम फिर से प्रधानमंत्री पद की रेस में आने लगा है। हाल ही में बेटिंग यानी सट्टा लगाने वाली एजेंसियों के अनुसार इस दौड़ में सुनाक काफ़ी आगे चल रहे हैं। एक सर्वे में भी ऋषि सुनाक को पीएम के रूप में लोगों ने पहली पसंद बताया है।
सुनाक का समर्थन करने वाले सांसदों का कहना है कि वित्तीय मामलों में सुनाक की समझ और उनकी नीतियों का वर्तमान में कोई भी कंजरवेटिव सांसद मुक़ाबला नहीं कर सकता है। ऐसे में सुनाक ही ब्रिटेन को आर्थिक संकट से निकाल सकते हैं।
बता दें कि ऋषि सुनाक भारतीय मूल के हैं लेकिन उनके माता-पिता पूर्वी अफ्रीका से यूके आए थे। उनके माता पिता दोनों भारतीय मूल के हैं। उनके दादा-दादी पंजाब से थे। ऋषि का जन्म 1980 में साउथम्प्टन में हुआ था।
सुनाक यूके में पैदा हुई पीढ़ी से हैं, लेकिन वह मूल रूप से कहीं और से हैं, और उनका कहना है कि यह पहचान उनके लिए मायने रखती है।
उन्होंने 2019 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'मेरे माता-पिता यहाँ आकर बस गए हैं, इसलिए आपके पास इस पीढ़ी के लोग हैं जो यहां पैदा हुए हैं, उनके माता-पिता यहां पैदा नहीं हुए हैं और वे इस देश में जीवन-यापन करने आए हैं।'
वह एक निजी स्कूल विनचेस्टर कॉलेज में पढ़े और अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान साउथम्प्टन में एक करी हाउस में वेटर के रूप में काम किया। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड पढ़ने चले गए थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात भारतीय अरबपति और आईटी सेवाओं की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई। दोनों ने शादी कर ली और दंपति की दो बेटियाँ हैं।
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