लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ होंगे। वह जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह लेंगे। बाजवा का कार्यकाल 29 नवंबर को ख़त्म हो रहा है। पिछले काफी दिनों से पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ को लेकर वहां की हुकूमत लगातार रायशुमारी कर रही थी। इसके अलावा लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीजेसीएससी) का चेयमरैन बनाया गया है।
पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म शाहबाज शरीफ ने गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई और उसमें इन नामों को मंजूरी दी गई। अब इन नामों को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने ट्वीट कर बताया कि वज़ीर-ए-आज़म ने अपने संवैधानिक हक का प्रयोग करते हुए इन दोनों पदों पर नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
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कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर?
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने मंगला में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल प्रोग्राम के जरिए सेना में प्रवेश किया और उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था।
वह जनरल बाजवा के करीबी सहयोगी रहे हैं। बाजवा जब एक्स कोर के कमांडर थे, उस वक्त लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर ने ब्रिगेडियर के रूप में उत्तरी क्षेत्रों में सैनिकों की कमान संभाली थी।
2017 की शुरुआत में लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को सैन्य खुफिया विभाग का चीफ नियुक्त किया गया था, और 2018 अक्टूबर में खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का चीफ बनाया गया था। वह इस पद पर आठ महीने ही रहे और इमरान खान की पसंद पर लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद को आईएसआई का चीफ नियुक्त किया गया था।
इसके बाद वह दो साल तक गुजरांवाला कोर कमांडर के पद पर भी रहे।
ताकतवर है आर्मी
पाकिस्तान का इतिहास देखें तो वहां आर्मी बेहद ताकतवर रही है। पाकिस्तान के बारे में कहा जाता है कि वहां सरकार आर्मी की इजाजत के बिना कुछ नहीं कर सकती। आर्मी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आर्मी ने मुल्क के 2 बड़े नेताओं बेनजीर भुट्टो और नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने के बाद उन्हें देश से बाहर निकाल दिया था।
पाकिस्तान की आर्मी पर यह आरोप लगता रहा है कि उसका मुल्क की सियासत में सीधा-सीधा दखल है लेकिन क्या वाकई ऐसा है। इसे समझने के लिए पाकिस्तान के इतिहास में जाना पड़ेगा।
तीन बार तख्तापलट
पिछले 75 साल में पाकिस्तान में चार आर्मी शासकों ने हुकूमत संभाली है और आर्मी ने तीन बार तख्तापलट किया है। सबसे पहले साल 1958 में जनरल अयूब खान ने सैन्य शासन लगा दिया था और राष्ट्रपति के पद पर कब्जा कर लिया था। तब पाकिस्तान में 44 महीने तक मार्शल लॉ लगा रहा था। जनरल अयूब खान 1969 में इस पद से हटे और उन्होंने अपनी जगह जनरल याहया खान को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
लेकिन 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में मिली हार के बाद याहया खान को पद छोड़ना पड़ा था और बेनज़ीर भुट्टो को गद्दी सौंपनी पड़ी थी।
पाकिस्तान में आर्मी ने दूसरी बार तख्तापलट 1977 में किया, जब जनरल जिया उल हक ने संसद को भंग कर दिया और बेनजीर भुट्टो को हाउस अरेस्ट करा दिया।
जनरल जिया उल हक ने 1985 में मोहम्मद खान जुनेजो को मुल्क का नया वज़ीर-ए-आज़म नियुक्त किया और वह खुद 1988 तक मुल्क के राष्ट्रपति बने रहे।
साल 1999 में आर्मी ने एक बार फिर तख्तापलट किया जब जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन वज़ीर-ए-आज़म नवाज शरीफ को सत्ता से हटा दिया। शरीफ उस वक्त करगिल के युद्ध में मिली हार की वजह से आलोचना का सामना कर रहे थे।
इस साल अप्रैल में जब इमरान खान को अपनी हुकूमत छोड़नी पड़ी थी तो यह कहा गया था कि आर्मी ने ही उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा था। लेकिन कहा जाता है कि इमरान को इस पद पर बैठाया भी आर्मी ने ही था।
बिजनेस चलाती है आर्मी
पाकिस्तान में आर्मी इतनी ताकतवर है कि वह देश के अंदर 50 से ज्यादा बड़े व्यवसाय चलाती है। दुनिया भर में केवल पाकिस्तान की आर्मी ही एक ऐसी आर्मी है जो अपने मुल्क़ के अंदर बिजनेस भी चला रही है। आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक, पाकिस्तानी आर्मी डेढ़ लाख करोड़ रुपए के बिजनेस चलाती है।निश्चित रूप से पाकिस्तानी आर्मी इस मुल्क के अंदर सबसे बड़ा बिजनेस घराना भी है और इस वजह से उसका सरकार और राजनीति के मामलों में अच्छा खासा दखल रहता है।
पाकिस्तान की आर्मी के पास 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीनें हैं। पाकिस्तानी आर्मी कैंट वाले इलाकों के साथ ही देश के बड़े शहरों के महंगे इलाकों में भी जमीनों के आवंटन का काम करती है। साल 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी के पास स्विस बैंकों में भी अपने खाते हैं।
पाकिस्तान में आर्मी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं पिछले 75 सालों में लगभग 72 सैन्य अफसर भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किए जा चुके हैं।
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इमरान ने खोला मोर्चा
पूर्व वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान इस साल अप्रैल में अपनी हुकूमत के गिरने के बाद से ही आर्मी पर जोरदार ढंग से हमलावर हैं। वह आर्मी से सीधी लड़ाई छेड़ चुके हैं। इमरान खान के द्वारा पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा पर किए जा रहे लगातार हमलों का मुद्दा इतना गंभीर है कि पाकिस्तान में पहली बार वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को प्रेस कॉन्फ्रेन्स करनी पड़ी थी। इमरान शहबाज शरीफ की हुकूमत से भी भिड़ रहे हैं।
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बताना होगा कि इमरान खान पर कुछ दिन पहले हमला हुआ था। हमले में इमरान खान और उनके कुछ करीबी घायल हो गए थे और एक शख्स की मौत हो गई थी। फायरिंग की यह घटना वजीराबाद में हुई थी। इमरान इन दिनों लाहौर से इस्लामाबाद तक हकीकी आजादी मार्च निकाल रहे हैं।
इमरान ने अपनी पार्टी पीटीआई के कार्यकर्ताओं से कहा कि वज़ीर-ए-आज़म शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और आईएसआई के महानिदेशक मेजर जनरल फैसल नसीर के पद से हटने तक वे अपना प्रदर्शन जारी रखें।
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