पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने यह माना है कि आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई हमलों को अंजाम दिया था। समझा जाता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़े देश की छवि सुधारने की रणनीति के तहत उन्होंने यह किया है। क्रिकेटर से राजनेता बने ख़ान ने अमरीकी अख़बार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ को दिए एक ख़ास इंटरव्यू में यह माना कि 26/11 हमलों के पीछे पाकिस्तानी नागरिक थे। इमरान ख़ान का ज़ोर इस बात पर था कि उनका देश आतंकवाद से लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की वारदात करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का यह कहना कि मुंबई हमला आतंकवादी हमला था और उसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा था, एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वे अपने देश की छवि सुधारने की कोशिश में लगे हुए हैं।
पाक की चाल
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम यह चाहते हैं कि मुंबई हमलावरों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की जाए। मैंने सरकार से पूछा है कि इस मामले में क्या हुआ। इस मामले का निपटारा ख़ुद हमारे हित में है, यह एक आतंकवादी वारदात थी।’ख़ान का यह जवाब हमले की दसवीं बरसी के मौक़े पर भारत के इस आरोप के बाद आया है, जिसमें यह कहा गया है कि पाकिस्तान मुंबई हमलों के दोषियों को सज़ा दिलाने को लेकर गंभीर नहीं है।पाकिस्तान की अदालतों में मुंबई हमलों के 7 संदिग्धों पर मुक़दमे चल रहे हैं। ज़की-उर-रहमान लखवी का मामला सबसे प्रमुख है। पाकिस्तान का कहना है कि संदिग्धों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। पर भारत ने कहा है कि काफ़ी सबूत दिए गए हैं और वे अभियोग साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
रिश्ते सुधारेंगे पड़ोसी से
इंटरव्यू से साफ़ है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यह दिखाना चाहते हैं कि वे पड़ोसी मुल्क से रिश्ते सुधारना चाहते हैं, पर उन्हें दिल्ली से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्होंने करतारपुर साहिब गलियारे का भी हवाला दिया। इमरान ने कहा कि उन्होंने करतारपुर साहिब आने के लिए बग़ैर वीज़ा के ही यात्रा का इंतज़ाम किया है। उन्होंने यह उम्मीद जताई कि भारत में चुनाव के बाद शायद बातचीत शुरू हो सके।दुनिया में अलग-थलग पड़ने से पाकिस्तान परेशान है। इमरान ख़ान की रणनीति इससे बाहर निकलने और दुनिया को यह दिखाने की है उनका देश बदल रहा है, सुधर रहा है।
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