इज़राइल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा पारित एक बहुत विवादित कानून को रद्द कर दिया है। इसके तहत नेतन्याहू ने अदालत की कुछ पावर को वापस ले लिया था। इसके खिलाफ इजराइल में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।
जुलाई 2023 में पारित इस कानून को नेतन्याहू और उनके धार्मिक और राष्ट्रवादी सहयोगियों के गठबंधन द्वारा प्रस्तावित व्यापक न्यायिक सुधार का हिस्सा बताया गया था।
अदालत के सामने लाए गए कानून ने सरकार और मंत्रियों के फैसलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास मौजूद सभी पावर में से कुछ को हटा दिया था। इसने "अनुचित" समझे जाने वाले निर्णयों को रद्द करने की अदालत की क्षमता छीन ली थी।
अदालत ने सोमवार को कहा कि 15 में से आठ न्यायाधीशों ने विवादित कानून को रद्द करने के पक्ष में फैसला सुनाया।
इजराइल के विपक्षी सांसदों ने फैसले की सराहना की। उन्होंने तर्क दिया था कि इस कानून के जरिए नेतन्याहू के प्रयासों से भ्रष्टाचार और अयोग्य साथियों की महत्वपूर्ण पदों पर अनुचित नियुक्तियों का रास्ता खुल जाता।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के सारांश में कहा कि अधिकांश जजों ने कानून को रद्द करने का फैसला सुनाया क्योंकि इससे इजराइल के लोकतंत्र को गंभीर नुकसान होगा।
सरकार ने उस कहा था कि इन बदलावों का उद्देश्य अनिर्वाचित जजों के अधिकार को सीमित करके और निर्वाचित अधिकारियों को अधिक शक्तियां सौंपकर लोकतंत्र को मजबूत करना है। लेकिन विरोधी इस बदलाव को नेतन्याहू द्वारा सत्ता हथियाने के रूप में देखते हैं, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और मुकदमों का सामना कर रहे हैं। इसे न्यायपालिका पर हमला माना गया।
7 अक्टूबर को इज़राइल जब गजा पट्टी पर अपना हमला शुरू कर रहा था तो नेतन्याहू के खिलाफ इस विवादित कानून के मुद्दे पर हजारों इज़राइली सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शनकारियों में लड़ाकू पायलटों और अन्य विशिष्ट इकाइयों के सदस्यों सहित सैन्य रिजर्विस्ट थे, जिन्होंने कहा कि यदि जुडिशरी ओवरहाल कानून पारित हो गया तो वे नौकरी छोड़ देंगे। आरक्षित सैनिक इजराइली सेना की रीढ़ हैं।
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