इसमें कहा गया है कि अन्य राष्ट्र इस क्षेत्र में इज़रायल की मौजूदगी को "बनाए रखने में सहायता प्रदान करने" के लिए बाध्य नहीं हैं। सलाम द्वारा पढ़े गए 80 पेज से अधिक की राय के सारांश के अनुसार, इसमें कहा गया है कि इज़रायल को अपनी कार्रवाई फौरन बंद करना चाहिए और अपनी मौजूदा गैरकानूनी सेटलमेंट्स (बस्तियां) को हटा देना चाहिए।
अदालत ने कहा, इजरायल का "कब्जा करने वाली पावर के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग" कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में उसकी मौजूदगी को गैरकानूनी बनाता है। अदालत ने कहा, "वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में इजरायली बस्तियां और उनसे जुड़े शासन ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए स्थापित किया है और उन्हें बनाए रखा जा रहा है।"
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 2022 के अधिवेशन में आईसीजे से यह राय मांगी गई थी। ICJ को विश्व न्यायालय के रूप में भी जाना जाता है। देशों के बीच विवादों की सुनवाई के लिए संयुक्त राष्ट्र की यह सर्वोच्च संस्था है।
इज़रायल ने 1967 के युद्ध में वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और पूर्वी येरुशलम जो ऐतिहासिक फ़िलिस्तीन के क्षेत्र हैं, पर कब्ज़ा कर लिया। तब से इसने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में बस्तियाँ बनाईं और उनका लगातार विस्तार किया। 2005 की वापसी से पहले गजा में भी इसकी बस्तियाँ थीं। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का विशाल बहुमत फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल का जबरन कब्जा मानता है।
संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने कहा कि यह फैसला कब्जे को खत्म करने और फिलिस्तीनी लोगों के अपरिहार्य अधिकारों को प्राप्त करने की दिशा में एक "महत्वपूर्ण कदम" है, जिसमें आत्मनिर्णय का अधिकार, राज्य का दर्जा और वापसी का अधिकार शामिल है। .
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