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दुनिया के तमाम देशों को उम्मीद थी कि कम से कम बाइडेन के दौरे से इजराइल-हमास युद्ध शिथिल पड़ेगा और युद्ध रुक जाएगा। लेकिन जर्मनी, अमेरिका और ब्रिटेन के जितने भी प्रमुख वहां पहुंचे, उन्होंने इजराइल से युद्ध रोकने की सीधी अपील नहीं की। बाइडेन ने युद्ध के नुकसान की फिलासफी पर बात की। लेकिन सीधी अपील नहीं की। हालांकि पश्चिमी मीडिया यह बता रहा है कि बाइडेन ने इजराइल से कहा है कि वो हिजबुल्लाह से कतई न उलझे, क्योंकि वो हमास से ज्यादा ताकतवर है।
यहां से कहां जाएंगे सुनाकः ब्रिटिश पीएम सुनाक के प्रवक्ता ने कहा कि इजराइल के बाद सुनाक सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से मिलने रियाध चले जाएंगे। यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। क्योंकि सऊदी अरब ने इजराइल के ग़ज़ा हमले का भारी विरोध किया है। सऊदी अरब ने ही 56 मुस्लिम देशों की बैठक बुलाई थी।
क्या है मकसद
जर्मनी के चांसलर, अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश पीएम एक मकसद लिए इजराइल और अन्य देशों की यात्रा कर रहे थे, ताकि युद्ध रुक जाए लेकिन इजराइल से सीधे नहीं कह रहे हैं। इसका सीधा मकसद इन तीनों देशों की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है। इस समय अमेरिका और ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। अगर युद्ध आगे बढ़ता है और इसमें रूस, चीन और ईरान का प्रवेश होता है तो इससे तमाम देशों की अर्थव्यवस्था सीधे प्रभावित होगी। इसलिए ये तीनों ही देश नहीं चाहते कि इजराइल जमीनी लड़ाई छेड़े और युद्ध को आगे बढ़ाए। लेकिन इजराइल से युद्ध रोकने की बात अगर बड़े देश कहेंगे तो बाकी देशों को इजराइल पर रौब गांठने का मौका मिल जाएगा। इस मौके को विकसित देश नहीं देना चाहते। दिल्ली में जब पिछले दिनों जी20 हुआ था तो यूरोप जाने वाले कॉरिडोर को लेकर ब्रिटिश पीएम भी काफी उत्साहित थे। लेकिन सऊदी अरब ने अब वो डील ठंडे बस्ते में डाल दी है। समझा जाता है कि सुनाक सऊदी अरब को फिर से समझौते के लिए तैयार करने रियाध जा रहे हैं।अमेरिकी अधिकारी ने इस्तीफा दिया
ग़ज़ा में इजराइली जुल्म के खिलाफ दुनिया में गुस्सा बढ़ रहा है। कई देशों में गुरुवार को भी प्रदर्शन हुए। लेकिन अमेरिका से अलग ही खबर आई। यह खबर बाइडेन के इजराइली स्टैंड को भी चुनौती है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने इजराइल को सैन्य सहायता बढ़ाने के वाशिंगटन के फैसले पर इस्तीफा दे दिया है, उन्होंने कहा है कि अमेरिका समर्थित ग़ज़ा युद्ध से इजराइल और फिलिस्तीनियों दोनों के लिए और अधिक पीड़ा बढ़ेगी।विदेश विभाग के राजनीतिक-सैन्य मामलों के ब्यूरो के निदेशक जोश पॉल ने बुधवार को ऑनलाइन प्रकाशित एक नोट में लिखा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन वही गलतियाँ दोहरा रहा है जो वाशिंगटन दशकों से कर रहा है। उन्होंने लिखा, इजराइल जो प्रतिक्रिया दे रहा है, और इसके साथ ही उस प्रतिक्रिया और कब्जे की यथास्थिति दोनों के लिए अमेरिकी समर्थन, केवल इजराइली और फिलिस्तीनी लोगों के लिए अधिक और गहरी पीड़ा का कारण बनेगा।
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