पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर बड़ा तख़्तापलट होने की बात कही जा रही है। पाकिस्तानी मीडिया से आ रही ख़बरों के मुताबिक़, इमरान ख़ान की हुक़ूमत और फ़ौज़ में घमासान छिड़ गया है और इमरान की कुर्सी पर बड़ी मुसीबत आ गयी है।
इमरान ख़ान की हुकूमत और फ़ौज़ के बीच ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के चीफ़ की ताजपोशी को लेकर पिछले महीने जबरदस्त जंग छिड़ गई थी। तब यह बात मुल्क़ के बाहर भी गई थी कि इमरान ख़ान और फ़ौज़ के मुखिया क़मर जावेद बाजवा इसे लेकर बुरी तरह भिड़ सकते हैं।
टकराव के बाद इमरान ख़ान को पीछे हटना पड़ा था और लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम के आईएसआई के नये चीफ़ होने का नोटिफ़िकेशन जारी करना पड़ा था। उन्हें लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद की जगह पर नियुक्त किया गया था। जबकि लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद को पेशावर कोर का कमांडर बनाने की बात कही गई थी। लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को 20 नवंबर को आईएसआई चीफ़ का काम संभालना है।
इमरान की हुक़ूमत और फ़ौज़ के बीच इस सीधे टकराव को लेकर रावलपिंडी से इसलामाबाद तक का सियासी और सैन्य माहौल बेहद गर्म है। रावलपिंडी में फ़ौज़ का हेडक्वार्टर है जबकि इसलामाबाद में हुक़ूमत बैठती है।
बाजवा नहीं थे तैयार
इमरान चाहते थे कि लेफ़्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद को कुछ और वक़्त के लिए इस ओहदे पर बने रहने दिया जाए। लेकिन जनरल बाजवा लेफ़्टिनेंट हमीद को इस पद पर नहीं देखना चाहते थे। इसके पीछे वजह लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद के तालिबान के शासकों के साथ अच्छे संबंध होने को बताया गया है। बाजवा नहीं चाहते कि तालिबान से पाकिस्तान की किसी तरह की नज़दीकी हो।
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इस्तीफ़े का विकल्प
सीएनएन न्यूज़ 18 के मुताबिक़, इमरान ख़ान के सामने दो विकल्प रखे गए हैं कि या तो वे 20 नवंबर से पहले ख़ुद ही इस्तीफ़ा दे दें या फिर विपक्ष संसद में बदलाव करेगा। दोनों ही सूरत में इमरान ख़ान की कुर्सी का जाना तय माना जा रहा है।
पाकिस्तान में इस बात की भी चर्चा है कि साबिक वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ की फ़ौज के मुखिया क़मर जावेद बाजवा से बातचीत चल रही है और नवाज़ शरीफ़ जल्द वापस मुल्क़ लौट सकते हैं।
कौन होगा विकल्प?
अब सवाल यह है कि अगर इमरान ख़ान को हटाया जाएगा तो उनकी जगह कौन आएगा। ऐसे लोगों में पीटीआई के परवेज़ खटक और पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज़) के नेता और नवाज़ शरीफ़ के भाई शहबाज़ शरीफ़ का नाम लिया जा रहा है।
मुसीबतों का अंबार
इमरान ख़ान की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गई हैं क्योंकि उनके अपनों ने उनका साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। मुत्तहिदा क़ौमी मूवमेंट और पाकिस्तान मुसलिम लीग (क़ायद) ने इमरान की पार्टी पीटीआई का साथ छोड़ने का फ़ैसला कर लिया है।
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विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने भी इमरान का जीना हराम किया हुआ है। इस सबके बाद अब जब पाकिस्तान की फ़ौज़ जिस पर यह आरोप लगता रहा है कि उसने चुनाव में धांधली कर इमरान को हुकूमत में काबिज किया है, वही इमरान के साथ नहीं है तो इमरान की कुर्सी का बच पाना बेहद मुश्किल है।
फ़ौज़ी शासकों के हाथ में ताक़त
पाकिस्तान की तारीख़ अगर आप देखें तो वहां फ़ौज़ हुक़ूमत पर हावी रही है। मतलब कि पाकिस्तान में फ़ौज़ सबसे ऊपर है। भारत से टूटकर बने इस पड़ोसी मुल्क़ में पिछले 73 साल में कई सालों तक हुक़ूमत फ़ौज़ के हाथों में रही है। वहां लंबे समय तक फ़ौजी शासकों अयूब ख़ान, याह्या ख़ान, जिया-उल-हक और जनरल मुशर्रफ ने मुल्क़ की कमान अपने हाथों में रखी।
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