इजरायल और अमेरिका के दोस्ताना संबंध जगजाहिर हैं। इजरायल-फिलिस्तीन के बीच जब भी संघर्ष हुए हैं उसमें अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा नजर आया है। इजरायल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में जब भी कोई प्रस्ताव आता है अमेरिका उसे वीटो कर देता रहा है।
अमेरिका के कारण सुरक्षा परिषद में इजरायल के हितों की रक्षा होती रही है लेकिन अब अमेरिका अपनी इस परंपरागत नीतियों से अलग जाता दिख रहा है। गुरुवार को अमेरिका ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ आए प्रस्ताव पर अलग राह ली है।
गाजा में मानवीय सहायता के लिए युद्ध रोकने की मांग वाले प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के किसी भी अस्थायी या स्थायी सदस्य ने रोकने की कोशिश नहीं की, अमेरिका जो अक्सर ही इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को वीटो कर देता था वह भी वोटिंग के दौरान गैरहाजिर हो गया।
इसके कारण युद्ध रोकने की मांग वाला यह प्रस्ताव पारित हो गया। पहला मौका था जब अमेरिका ने अपनी नीतियों से अलग जाकर इस प्रस्ताव को रोकने की कोशिश नहीं की है।
सुंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि गजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक कॉरिडोर बनाया जाये। इसके लिए युद्ध को रोका जाना चाहिए ताकि जरुरी मदद लोगों को मिल सके।
अमेरिका की संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि कहा कि सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने हमास के इजरायल पर किये आतंकी हमले की निंदा तक नहीं की है। यूके ने भी कहा कि इस प्रस्ताव में हमास की आलोचना तक नहीं की गई है।
इस प्रस्ताव पर वोटिंग से ब्रिटेन भी बाहर रहा। ब्रिटेन ने कहा कि गजा में बेगुनाहों की जान न जाए लेकिन हमास की निंदा भी नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही रूस के संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिनिधि वैसिली नेबेन्जया ने रूस के प्रस्ताव पर वोटिंग से बाहर निकलने पर कहा है कि इस प्रस्ताव में तत्काल युद्ध रोकने का प्रस्ताव नहीं है।
इसलिए रूस ने इसको समर्थन नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरहा की मानवीय सहायता के लिए आवश्यक है कि गजा में युद्ध को तुरंत रोका जाना चाहिए। अलग-अलग कारणों से अमेरिका, ब्रिटेन और रूस वोटिंग से भले ही गैरहाजिर हुए लेकिन गजा में मानवीय सहायता के लिए युद्ध रोकने की मांग वाला प्रस्ताव पास हो गया।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका की इजरायल को लेकर नीति बदल रही है? राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका पर इन दिनों देश के अंदर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी दबाव है। अरब देश अमेरिका से पहले से ही नाराज चल रहे हैं।
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अरब देशों में अमेरिका के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है
अरब देशों में अमेरिका के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है इसके कारण उन देशों के शासकों पर जनता का दबाव है। अमेरिका नहीं चाहता है कि इजरायल की कीमत पर अरब देशों से उसके संबंध खराब हो जाए। माना जा रहा है कि यही कारण है अमेरिका ने वोटिंग से दूरी बनायी है और अपने वीटो पावर का भी इस्तेमाल किया है।अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर नजर रखने वालों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पिछले कुछ दिनों से इजरायल से नाराज चल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति की कई अपील को इजरायल ने मानने से भी इंकार कर दिया है। इससे नाराज अमेरिका इजरायल को इशारों में समझाने की कोशिश कर रहा है कि वह चाहे तो इजरायल से अपने समर्थन का हाथ खींच सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल इतना आक्रमक होकर गजा पर हमला करेगा इसका अंदाजा अमेरिका को भी नहीं था। अब अमेरिका के नियंत्रण में इजरायल नहीं है। अमेरिका चाह कर भी इजरायल को गजा में युद्ध रोकने के लिए मना नहीं पा रहा है। ऐसे में सुरक्षा परिषद में गजा युद्ध को रोकने के लिए लाये गये प्रस्ताव पर अमेरिका का वीटो नहीं करना और इससे बाहर हो जाना इजरायल पर दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।
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