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ईरान में महसा अमीनी की फोटो के साथ प्रदर्शन

ईरान में महिलाओं के हिजाब की जांच के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कितना जायज़?

औरत की पूरी आज़ादी कई देशों में अब भी एक ख़्वाब है। दुनिया एक तरफ़ आगे बढ़ रही है। रोज़ नई चीज़ें बन रही हैं। दूसरी तरफ़ इस आगे बढ़ने, रोज़ आविष्कार हो रही नई चीज़ों का इस्तेमाल औरतों को और पीछे धकेलने के लिए हो रहा है। ईरान में हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं के लिए ड्रोन के बेहद ख़तरनाक इस्तेमाल की ख़बर आई है।
ईरान में औरतें घर से बाहर हैं तो सरकार की नज़र में रहेंगी, ठीक वैसे ही जैसे क़ैदी रहते हैं। ये हज ईरान की चौंकाने वाली सच्चाई जहां महिलाओं से ख़बर आई है कि महिलाओं पर नजर रखने के लिए ड्रोन, कैमरे और ऐप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। UN की एक रिपोर्ट ने इस राज़ से पर्दा उठाया है। तो चलिए, इस कहानी को करीब से समझते हैं!
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ईरान की सरकार ने ईरानी महिलाओं के लिए हिजाब पहनने के सख़्त आदेश दिए हैं। पिछले कुछ सालों से महिलाएँ लगातार इसका विरोध कर रही हैं। ईरान से लगातार महिलाओं द्वारा हिजाब के विरोध की ख़बर आती रही है । इस वजह से कई औरतों ने अपनी जान भी गंवाई है। 
लगभग ढाई साल पहले हिजाब का विरोध करने के लिए अपनी जान गंवा चुकी महसा अमीनी का क़िस्सा अब भी लोगों के ज़हन में ताज़ा है। महसा ने हिजाब पहनने से मना किया, ईरानी औरतों को क़ायदे-क़ानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस गश्त-ए-इरशाद उसे गिरफ़्तार करके ले गई। जिसके बाद पुलिस कस्टडी में उसके साथ इतनी हिंसा हुई कि उसकी जान चली गई।
महसा अमीनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद भी ईरानी औरतों के हौसले मंद नहीं पड़े। उन्होंने लगातार थोपे हुए हिजाब का विरोध किया और अपनी आज़ादी की माँग करती रहीं। 
गाहे -बगाहे ईरान में औरतें इस हिजाब के ख़िलाफ़ संगठित नज़र आती हैं। औरतों का यह जज़्बा ईरान की हुक़ूमत पर इतना भारी पड़ा है कि हुक्मरानों ने अब तकनीक के सहारे औरतों के हौसलों को पस्त करने का तरीका चुना है। 
सरकार आमादा है कि सभी ईरानी औरतें हिजाब पहनें। अपनी बात मनवाने के लिए ईरानी सरकार हाई-टेक तरीके अपना रही है।
संयुक्त राज्य की एक रिपोर्ट के मुताबिक ड्रोन आसमान से महिलाओं पर नजर रखते हैं। चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक और सड़कों पर लगे हाई-टेक कैमरे हर कदम की निगरानी करते हैं। इतना ही नहीं, एक खास ऐप जिसका नाम है ‘नाज़र’, वो नागरिकों और पुलिस को नियम तोड़ने वाली महिलाओं की शिकायत करने की इजाज़त देता है। यह औरतों पर दोहरी मार की तरह है। एक नज़र सरकार और दूसरी उन लोगों कि जो जबरन औरतों को पर्दे में देखना चाहते हैं।

कैसे हो रही हैं औरतें इसका शिकार?

अगर कोई महिला हिजाब नहीं पहनती, तो ‘नाज़र’ ऐप उसे ट्रैक करता है। फिर ऑनलाइन सिस्टम उस महिला के वाहन को फ्लैग कर देता है। इसके बाद वाहन के मालिक को मैसेज जाता है – कि "आप हिजाब कानून तोड़ते पाए गए हैं। इसे नजरअंदाज किया तो गाड़ी जब्त हो जाएगी।" 
सोचिए, एक छोटी-सी आज़ादी की कीमत कितनी बड़ी सजा बन सकती है। तेहरान और दक्षिणी ईरान में ड्रोन और कैमरे हर पल निगरानी कर रहे हैं।
दो साल की रिसर्च के बाद आई  UN  की इस रिपर्ट में, जिसमें पता चला कि ईरान में मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन हो रहा है, खासकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ। नए कानून के तहत हिजाब न पहनने की सजा 10 साल की जेल और 12 हज़ार डॉलर का जुर्माना हो सकती है। इतना ही नहीं, इस्लामिक पीनल कोड के आर्टिकल 286 में ‘करप्शन ऑफ अर्थ’ के लिए मौत की सजा तक का प्रावधान है। दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि ये महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला है। हालांकि, ईरान सरकार ने अब तक चुप्पी साध रखी है। खास बात ये है कि दिसंबर 2024 में इस सख्त कानून को सस्पेंड कर दिया गया था, लेकिन अगर ये लागू हुआ, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
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कितने आश्चर्य की बात है न, एक ओर हम मंगल पर कदम रखने की कोशिश में हैं, दूसरी ओर दुनिया की कई ऐसी जगह हैं जहाँ औरतों को मूलभूत आज़ादी भी नसीब नहीं। आज़ाद होने की उनकी हर कोशिश को कुंद किया जाता है। इसके लिए नई तकनीकों की मदद ली जाती है?
ईरान से आई इस रिपोर्ट ने एक बार फिर बताया है कि दुनिया औरतों के लिए कितनी मुश्किल है। ईरान में यह मुश्किल और भी ज़्यादा है।
रिपोर्टः अणु शक्ति सिंह
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क़मर वहीद नक़वी
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