ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में अब तक आगे दिख रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनाक की आगे की राह अब कैसी होगी? इस सवाल का जवाब दो अलग-अलग सर्वे में मिलता है। दोनों जवाब अलग अलग हैं और एक-दूसरे के उलट। एक सर्वे में कहा गया है कि वे एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे जबकि कंजर्वेटिव पार्टी के एक सर्वे में कहा गया है कि पार्टी के अधिकतर लोग उनको पीएम के रूप में नहीं देखना चाहते हैं।
'सुनाक अच्छे पीएम होंगे'
दरअसल, जेएल पार्टनर्स द्वारा एक ओपनियन पोल किया गया है। इस ओपनियन पोल में 4,400 से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया। 'द संडे टेलीग्राफ' की एक रिपोर्ट के अनुसार इसमें यह बात सामने आई कि 2019 के आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी का समर्थन करने वालों में से 48 प्रतिशत का मानना है कि ऋषि सुनाक एक अच्छे प्रधानमंत्री साबित होंगे। सर्वे में शामिल व्यक्तियों में से 39 प्रतिशत ने प्रधानमंत्री पद के लिए ट्रस का और 33 प्रतिशत ने व्यापार मंत्री पेनी मोर्डौंट का समर्थन किया है।
हालाँकि, इस सर्वे के उलट एक अन्य सर्वे में सुनाक को काफ़ी पिछड़ता हुआ दिखाया गया है। वह सर्वे कंजर्वेटिव पार्टी के सर्वे में ही सामने आया है। इसी पार्टी को आख़िरकार प्रधानमंत्री पद के व्यक्ति के नाम पर मुहर लगानी है।
ऋषि सुनाक को इस सर्वे में बोरिस जॉनसन के उत्तराधिकारी के तौर पर चौथे स्थान पर धकेल दिया गया है। इस सर्वे में वाइल्ड कार्ड उम्मीदवार केमी बैडेनोच को बढ़त मिल गई है।
इस सर्वे में टोरी पार्टी के 851 सदस्यों ने कंजर्वेटिव होम पोल में अपना मत दिया है। बैडेनोच को 31% सदस्यों ने पसंद किया और इस तरह उन्हें दूसरे उम्मीदवारों पर 11 अंकों की बढ़त मिली। मौजूदा विदेश सचिव लिज़ ट्रस 20% के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। मोर्डौंट 18% के साथ तीसरे और ऋषि सुनाक 17% के साथ चौथे स्थान पर रहे। जबकि विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष टॉम तुगेंदत पांचवें स्थान पर थे।
Our Next Tory Leader survey. @KemiBadenoch opens up a double-digit lead. @trussliz, @PennyMordaunt and @RishiSunak are bunched together second, third and fourth. https://t.co/Vmz7damGFo
— ConservativeHome (@ConHome) July 16, 2022
हाल ही में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता और कार्यकारी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कथित तौर पर पार्टी के लोगों से ऋषि सुनाक के ख़िलाफ़ वोट करने के लिए कहा है।
'द टाइम्स' अख़बार ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि जॉनसन ने टोरी नेतृत्व के उम्मीदवारों को सुनाक का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट के अनुसार जॉनसन ने कहा है कि वह किसी भी नेतृत्व के उम्मीदवारों का समर्थन नहीं करेंगे या सार्वजनिक रूप से स्पर्धा में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन माना जाता है कि उन्होंने असफल दावेदारों के साथ बातचीत की और आग्रह किया कि सुनाक को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए।
द टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि उस बातचीत से रूबरू एक क़रीबी सूत्र ने कहा कि जॉनसन विदेश सचिव लिज़ ट्रस के समर्थन के लिए सबसे अधिक उत्सुक दिखाई दिए। जॉनसन कथित तौर पर कनिष्ठ व्यापार मंत्री पेनी मोर्डंट के पक्ष में भी हैं।
सवाल है कि बोरिस जॉनसन सुनाक को क्यों नहीं चाहते हैं जबकि पहले दोनों के बीच में अच्छे रिश्ते रहे थे? बता दें कि ऋषि सुनाक को बोरिस जॉनसन ने ही चुना था और उन्हें राजकोष का चांसलर नियुक्त किया गया था। उनको पहली बार पूर्ण कैबिनेट का दर्जा फरवरी 2020 में मिला। लेकिन इस साल बोरिस जॉनसन ने 7 जुलाई को सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफ़े के लिए उनकी ही पार्टी के सदस्यों के समर्थन वापस लेने के लिए व्यापक रूप से सुनाक को दोषी ठहराया जाता है।
ऐसा इसलिए कि ऋषि सुनाक और साजिद जावीद के मंत्रियों के रूप में इस्तीफा देने के साथ ही बोरिस जॉनसन की सरकार संकट में आ गई थी। सुनाक के इस्तीफ़े के बाद एक एक कर कई मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों ने इस्तीफ़ा दे दिया। और फिर आख़िर में बोरिस जॉनसन को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।
ऋषि सुनाक भारतीय मूल के हैं लेकिन उनके माता-पिता पूर्वी अफ्रीका से यूके आए थे। उनके माता पिता दोनों भारतीय मूल के हैं। उनके दादा-दादी पंजाब से थे। ऋषि का जन्म 1980 में साउथम्प्टन में हुआ था।
सुनाक यूके में पैदा हुई पीढ़ी से हैं, लेकिन वह मूल रूप से कहीं और से हैं, और उनका कहना है कि यह पहचान उनके लिए मायने रखती है। उन्होंने 2019 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'मेरे माता-पिता यहाँ आकर बस गए हैं, इसलिए आपके पास इस पीढ़ी के लोग हैं जो यहां पैदा हुए हैं, उनके माता-पिता यहां पैदा नहीं हुए हैं और वे इस देश में जीवन-यापन करने आए हैं।'
वह एक निजी स्कूल विनचेस्टर कॉलेज में पढ़े और अपनी गर्मी की छुट्टियों के दौरान साउथम्प्टन में एक करी हाउस में वेटर के रूप में काम किया। इसके बाद वे ऑक्सफोर्ड पढ़ने चले गए थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात भारतीय अरबपति और आईटी सेवाओं की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई। दोनों ने शादी कर ली और दंपति की दो बेटियाँ हैं।
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