भारत-पाकिस्तान के बीच
तमाम तल्खियों के बावजूद भारत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का
स्वागत होने जा रहा है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी 4-5 मई को भारत आएंगे। अभी
ज्यादा दिन बीते नहीं हैं, जब बिलावल ने भारतीय प्रधानमंत्री के लिए अच्छे
शब्दों का प्रयोग नहीं किया था।
विदेश नीति में ऐसे
मुद्दों को मुख्य मुद्दा नहीं बनाया जाता। एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक की
मेजबानी भारत कर रहा है और उसने ही खुद पहल करके पाकिस्तान को न्यौता भेजा है तो
जाहिर है कि दोनों देशों ने फिलहाल तल्खियों को किनारे रख दिया है। पाकिस्तान ने
भी भारत के न्यौते को महत्व दिया है, तभी विदेश मंत्री को भारत भेजा जा रहा है।
दिसंबर 2022 में बिलावल भुट्टो ने भारत के प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी करते हुए उन्हें कथित तौर पर गुजरात दंगों का कसाई
कहा था। बिलावल ने यह प्रतिक्रिया भारत के उस आरोप के बाद दी थी, जिसमें भारत ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद को
पनाह देता आ रहा है, उसने ओसामा बिन
लादेन को भी अपने यहां पनाह दी थी। इस पर बिलावल भुट्टो ने कहा था कि ओसामा बिन
लादेन तो मर गया लेकिन गुजरात का कसाई तो अभी भी जिंदा है। गुजरात में 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी पर लगाए गए
अमेरिकी वीजा प्रतिबंध का जिक्र करते हुए बिलावल ने कहा, उनके प्रधानमंत्री बनने तक अमेरिका ने उनके अमेरिका आने पर
प्रतिबंध लगा दिया था।
बिलावल ने कहा था - वो आरएसएस के प्रधानमंत्री और आरएसएस
के विदेश मंत्री हैं। आरएसएस क्या है? आरएसएस हिटलर से प्रेरणा लेता है। बिलावल की इन टिप्पणियों पर भारत ने प्रतिक्रिया
देते हुए, ‘असभ्य टिप्पणी’ कहा था।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे पाकिस्तान का
निम्नतम स्तर भी कहा था। बागची ने इस संदर्भ में 1971 में बांग्लादेश में किए गए पाकिस्तानी सेना के नरसंहार को भी याद किया। बिलावल के
बयान के बाद भारत में मोदी समर्थकों ने बिलावल के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।
बहरहाल, पाकिस्तान
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जेहरा बलूच ने गुरुवार को मीडिया को जानकारी दी
है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के निमंत्रण पर
सम्मेलन में शामिल होंगे। उन्होंने कहा,
"बैठक में हमारी भागीदारी एससीओ चार्टर और प्रक्रियाओं
के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता और पाकिस्तान की विदेश नीति की प्राथमिकताओं
में क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है।" बीते
नौ वर्षों में किसी भी पाकिस्तानी नेता द्वारा भारत का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा।
इससे भारत और पाकिस्तान
के आपसी रिश्तों में आई कड़वाहट के कम होने की उम्मीद भी की जा रही है। फरवरी 2019 में
पुलवामा पर आतंकी हमले और उसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद दोनों देशों के
रिश्तों की कड़वाहट बढ़ गई थी। उसके बाद 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के विभाजन और धारा 370 के
खत्म करने के बाद रिश्तों में जमी बर्फ और गहरी हो गई थी। फिर 2022 में
बिलावल का बयान आ गया।
शंघाई सहयोग के विदेश
मंत्रियों की बैठक की मेजबानी इस साल भारत कर रहा है। 4-5 मई को गोवा में होने वाली इस बैठक के लिए भारत की तरफ से
इस बैठक के लिए पाकिस्तान सहित सभी सदस्य देशों को न्योता भेजा गया है। संगठन की
पिछली बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी। अगर एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक
में खुद किसी देश का विदेश मंत्री आता है तो उससे बैठक का महत्व बढ़ जाता है और
इसे मेजबान देश की कामयाबी माना जाता है। यही वजह है कि पीएम मोदी पर प्रतिकूल
टिप्पणी के बावजूद भारत ने बिलावल भुट्टे के आने पर कोई प्रतिक्रिया अभी
तक नहीं दी है।
भारत की तरफ से न्योता
भेजे जाने के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि शायद पाकिस्तान इस बैठक में शामिल न
हो, अगर
होता है तो फिर किस स्तर का प्रतिनिधिमंडल भेजता है। इन अटकलों के पीछे का कारण
भारत और पाकिस्तान के आपसी रिश्ते हैं, जो पहले से ही खराब चल रहे थे। लेकिन अब बिलावल के
आने की घोषणा से साफ लग रहा है कि पाकिस्तान भी एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक को
महत्व दे रहा है।
पाकिस्तान का आखिरी
प्रतिनिधि मंडल 2011 में आया था,
उस समय पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी
खार भारत आई थीं। उसके बाद 2014 में पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भारत आए थे। जून 2001
में शंघाई में स्थापित एससीओ के आठ पूर्ण सदस्य
हैं, जिनमें इसके छह संस्थापक
सदस्य, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और
उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए।
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