अफ़ग़ानिस्तान में लगातार बिगड़ते हालात के बीच भारत ने भी वहां फंसे देश के लोगों को निकालने का काम तेज़ कर दिया है। भारतीय वायु सेना का C-17 विमान मंगलवार सुबह काबुल एयरपोर्ट से उड़ा और गुजरात के जामनगर पहुंच गया है।
भारत ने काबुल के अपने दूतावास को खाली कर दिया है। इस विमान में दूतावास में काम करने वाले लोग भी भारत आए हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में बने हालात को देखते हुए काबुल से अपने राजदूत और भारतीय स्टाफ़ को तुरंत वापस लाने का फ़ैसला किया गया।
अफ़ग़ानिस्तान में फंसे अपने परिवार वालों के लिए भारत में भी लोग लगातार परेशान हो रहे हैं। विमान में आ रहे भारतीय अफ़ग़ानिस्तान के अलग-अलग इलाक़ों में फंस गए थे, इन सभी को काबुल एयरपोर्ट पर लाया गया।
अमेरिकी सैनिकों ने संभाला मोर्चा
काबुल के एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों ने मोर्चा संभाला हुआ है और विमानों की उड़ान में किसी तरह की दिक्क़त न हो, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मुल्क़ के अंदर बने हालात को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा कर रहा है। वीजा की एक नई कैटेगरी जिसे e-Emergency X-Misc Visa कहा गया है, इसे अफ़ग़ानिस्तान में फंसे भारतीयों के भारत आने के लिए चालू किया गया है। विदेश मंत्रालय की ओर से हेल्पलाइन नंबर- 919717785379 जारी किया गया है।
अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक अमेरिकी सेनाएं डटी रही थीं लेकिन इस साल की शुरुआत में उन्होंने वहां से वापसी करना शुरू कर दिया था। उनकी वापसी के बाद तालिबान ने तेज़ी से आगे बढ़ना शुरू किया था और कुछ ही दिनों में वह कंधार और तमाम बड़े शहरों पर कब्जा करने के बाद उसने काबुल को भी अपने अधीन कर लिया।
तालिबान के काबुल तक पहुंचने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी देश छोड़कर चले गए थे। इसके बाद हजारों की संख्या में लोग इस मुल्क़ से पलायन कर रहे हैं। तसवीरों, वीडियो को देखकर साफ लगता है कि वे किसी भी हालत में तालिबान के राज में नहीं जीना चाहते।
सैनिकों की वापसी का फ़ैसला सही: बाइडन
इधर, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद उठ रहे सवालों का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुलकर जवाब दिया है। बाइडन ने सोमवार रात को की गई प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा कि वह इस मुल्क़ से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फ़ैसले के साथ खड़े हैं।
बाइडन ने कहा कि जब अफगान सैनिक ही अपने लिए लड़ने के लिए तैयार नहीं थे तो अमेरिकी सैनिकों को युद्ध में मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता था। उन्होंने सवाल पूछा कि अमेरिका के बेटों और बेटियों की कितनी और पीढ़ियों को इस युद्ध में अपनी जान गंवाने दिया जाता?
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