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पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान भारत की विदेश नीति पर फिर फिदा हुए

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भारत की विदेश नीति से खासे प्रभावित हैं। भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के बाद इमरान ने "अमेरिकी दबाव" में नहीं झुकने और रूस से रियायती तेल खरीदने के लिए भारत की जमकर तारीफ की। इमरान ने कहा कि उनकी सरकार भी एक स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से एक ही चीज़ पर काम कर रही थी। लेकिन पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार एक पूंछ में अर्थव्यवस्था के साथ बिना सिर के मुर्गे की तरह इधर-उधर भाग रही है।इमरान की यह प्रतिक्रिया भारत सरकार द्वारा पेट्रोल की कीमत में 9.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 7 रुपये प्रति लीटर की कमी के बाद आया है। 

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इमरान ने कहा कि क्वाड का हिस्सा होने के बावजूद, भारत ने अमेरिका पर दबाव बनाए रखा और जनता को राहत देने के लिए रियायती रूसी तेल खरीदा। स्वतंत्र विदेश नीति की मदद से हमारी सरकार यही हासिल करने के लिए काम कर रही थी।

इमरान खान ने कहा कि मीर जाफ़रों और मीर सादिकों के सहारे सत्ता परिवर्तन के लिए मजबूर बाहरी दबाव के आगे झुक गए, और "अब एक बिना सिर के मुर्गे की तरह घूम रहे हैं। 

पूर्व पीएम ने ट्वीट किया, हमारी सरकार के लिए, पाकिस्तान का हित सर्वोच्च था। लेकिन दुर्भाग्य से घर के गद्दार सत्ता परिवर्तन के लिए बाहरी दबाव के आगे झुक गए। बता दें कि पाकिस्तान इस समय बुरी तरह आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारत की तरह पाकिस्तान रुपया भी काफी गिर गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में भारत के आर्थिक हालात की तुलना श्रीलंका के आर्थिक हालात से की थी लेकिन सच यह है कि दरअसल, पाकिस्तान श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान में तमाम कारण गिना कर इमरान खान सरकार को हटाया गया था लेकिन शहबाज शरीफ की सरकार उससे ज्यादा बदतर हालात का सामना कर रही है। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके निकटवर्ती लोग मनी लॉन्ड्रिंग मुकदमे का सामना अदालत में कर रहे हैं। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में आए दिन विस्फोट हो रहे हैं। इन हालात ने पाकिस्तान को बदतर हालात में पहुंचा दिया है। 

शुक्रवार को पाकिस्तानी रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 200 रुपये पहुंच गया। हालांकि भारतीय रुपया भी तेजी से लुढ़क रहा है लेकिन वो 77 रुपये से कुछ ऊपर अभी भी है। एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआती कारोबार में ग्रीनबैक का मूल्य 82 पैसे बढ़ गया और वर्तमान में इंटरबैंक बाजार में 200 रुपये पर कारोबार कर रहा है। विदेशी मुद्रा डीलरों के अनुसार, विनिमय दर दबाव में रही क्योंकि अमेरिकी डॉलर ने स्थानीय मुद्रा के मुकाबले अपने ऊपर की ओर बढ़ना जारी रखा। विदेशी मुद्रा डीलरों ने बताया कि ग्रीनबैक को खुले बाजार में 189 रुपये से ऊपर बेचा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक डॉलर में तेजी ने रुपये पर आधारित अर्थव्यवस्था और इसके हितधारकों का भरोसा तोड़ दिया है।

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स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) का विदेशी मुद्रा भंडार 328 मिलियन अमेरिकी डॉलर गिरकर 10.558 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इतने कम विदेशी मुद्रा भंडार से पाकिस्तान कम से कम दो महीने तक अपना काम चला सकता है। पाकिस्तान के आर्थिक विशेषज्ञ सईद नजम का कहना है कि पाकिस्तान सरकार आर्थिक संकट हल करने के लिए जो उपाय कर रही है वो नाकाफी हैं। पाकिस्तानी करंसी डॉलर के मुकाबले अभी और कमजोर होगी।
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क़मर वहीद नक़वी
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