विपक्षी सियासी दलों के शोर से गूंज रहे पाकिस्तान में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है। सियासी मोर्चे पर घिर चुके मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान की सरकार पर एक गंभीर आरोप लग रहा है। पाकिस्तान के ख़बरिया चैनल जियो न्यूज़ के सहाफी अली इमरान सैयद शुक्रवार शाम को ग़ायब हो गए थे।
वह बेकरी तक गए थे लेकिन उसके बाद घर नहीं लौटे। 22 घंटे तक ग़ायब रहने के बाद वे शनिवार शाम को वापस लौट आए हैं लेकिन इस बीच पाकिस्तान में इस मामले को लेकर जबरदस्त गहमागहमी रही।
इमरान शाम को 7 से 8 बजे के बीच घर से निकले थे और उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था कि वह आधे घंटे में वापस लौट आएंगे लेकिन तब से उनका कोई पता नहीं चल पा रहा था। उनकी पत्नी ने कहा था कि अली की कार घर के बाहर ही है और वे अपना मोबाइल फ़ोन भी घर पर ही छोड़ गए हैं।
भारत में भी रही चर्चा
जियो न्यूज़ की ओर से इसे लेकर कराची पुलिस के प्रमुख और डीआईजी, ईस्ट को इत्तला दे दी गई थी। परिजनों ने सचल पुलिस थाने में इसकी रिपोर्ट दी थी और पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज कर ली थी।
अली की गिरफ़्तारी को लेकर पाकिस्तान ही नहीं भारत में भी चर्चा रही। पाकिस्तान की सिंध सरकार के प्रवक्ता मुर्तज़ा वहाब ने कहा था कि सूबे के वज़ीर-ए-आला मुराद अली शाह ने इस घटना का संज्ञान लिया है और आईजी से बात की है। पाकिस्तान में ट्विटर पर इसे लेकर #BringBackAliImran चलाया गया।
सियासी माहौल गर्माया
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मुल्क़ में चल रहे आंदोलन का चेहरान बनीं पीएमल (नवाज़) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने इस घटना की निंदा की है। मरियम ने लाहौर में पत्रकारों से कहा, ‘मैंने सुना है कि पत्रकार को इसलिए उठाया गया है क्योंकि उसने (रिटायर्ड) कैप्टन सफदर की गिरफ़्तारी की सीसीटीवी फ़ुटेज को शेयर किया था। यह बेहद ग़लत है।’ कैप्टन सफदर मरियम के पति और वज़ीर-ए-आज़म रहे नवाज़ शरीफ के दामाद हैं।
बिलावल भी बोले
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने अली के ग़ायब होने की घटना पर कहा है कि यह बोलने की आज़ादी पर हमला है। उन्होंने कहा, ‘आवाज़ों को दबाने का काम अब बंद होना चाहिए और इस तरह के वाक़यों से दुनिया में पाकिस्तान की ख़राब छवि बनती है।’
पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार नासिम ज़ेहरा ने कहा है कि अली के पास कैप्टन सफदर को होटल से गिरफ़्तार किए जाने की सीसीटीवी फ़ुटेज थी। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या आप अली को अगवा किए बिना उससे सवाल नहीं पूछ सकते थे।
मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी दख़ल दिया था और कहा था कि अली को तुरंत खोजा जाना चाहिए। इसके अलावा पाकिस्तान के मानवाधिकार अधिकार आयोग ने भी उन्हें जल्द रिहा कराने के लिए कहा था।
पत्रकार भी एकजुट
पाकिस्तान की फ़ेडरल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने अली के मामले को लेकर आईजी, सिंध से कहा था कि वह इस घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज जारी करें। इसके अलावा रावलपिंडी-इसलामाबाद यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स ने वाक़ये को लेकर चिंता जताई है। फिलहाल, अली खैरियत से हैं और घर लौट आए हैं।
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