इज़राइल हमास युद्ध शुरू होने के बाद ग़ज़ा में फँसे विदेशी नागरिक पहली बार बुधवार को निकाले गए। इसके लिए ग़ज़ा से मिस्र में जाने के लिए रफ़ाह क्रॉसिंग को खोला गया। विदेशी पासपोर्ट धारकों को उस क्रॉसिंग के माध्यम से मिस्र में जाने दिया गया।
तीन सप्ताह पहले इजराइल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद पहली बार कतर द्वारा अमेरिका के साथ समन्वय में मिस्र, इज़राइल और हमास के बीच एक समझौते से यह सहमति बनी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तुरंत साफ़ नहीं है कि मिस्र के साथ ग़ज़ा की दक्षिणी सीमा पर रफ़ाह के माध्यम से कितने लोग निकलने में कामयाब रहे। घटनास्थल के लाइव फुटेज में लोगों की भीड़ को टर्मिनल के फिलिस्तीनी हिस्से में प्रवेश करते हुए देखा गया।
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी सरकारों का कहना है कि 44 देशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र निकायों सहित 28 एजेंसियों के पासपोर्ट धारक ग़ज़ा पट्टी में रह रहे हैं। 7 अक्टूबर के हमास हमलों की प्रतिक्रिया में हुए इज़राइली बमबारी को 2.4 मिलियन लोगों ने तीन सप्ताह से अधिक समय से झेला है।
इसके अलावा मिस्र ने गंभीर रूप से बीमार या घायल फिलिस्तीनियों को चिकित्सा उपचार देने का प्रयास शुरू किया है। अत्यंत ज़रूरी सहायता के 200 से अधिक ट्रक मिस्र से ग़ज़ा में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी व्यक्ति को प्रभावित क्षेत्र से भागने की अनुमति नहीं दी गई थी।
शरणार्थी शिविर पर बमबारी के कुछ घंटों बाद आज एक बार फिर ग़ज़ा में इंटरनेट और संचार सेवाएँ बाधित कर दी गईं। मिस्र ने मंगलवार को विदेश मंत्रालय के एक बयान में जबालिया शिविर पर हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और नागरिकों को निशाना बनाने वाले इन अंधाधुंध हमलों के खिलाफ चेतावनी दी।
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