ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए क़रार ऑकस यानी AUKUS (एयूकेयूएस) का नतीजा दिख रहा है।
फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं। इसे उसके गुस्से के रूप में देखा जा रहा है। इसकी तात्कालिक वजह यह है कि ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस को 12 पनडुब्बियाँ बनाने का ठेका रद्द कर दिया है। यह ठेका लगभग 40 अरब डॉलर का था। बता दें कि फ़्रांस अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य संगठन उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानी नेटो में शामिल है।
अमेरिका-फ़्रांस संबंध
उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका-फ़्रांस संबंध संकट में आ गया है।
बता दें कि ऑकस समझौते को दक्षिण चीन सागर में बढ़ते चीन के दबदबे को समाप्त करने की दिशा में एक क़दम बताया जा रहा है।
बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इसकी घोषणा की थी।
फ्रांस को मनाने की कोशिश
अमेरिका फ़्रांस-ऑस्ट्रेलिया पनडुब्बी क़रार ख़त्म करने के मुद्दे पर फ्रांस को समझाने की कोशिश कर रहा है।
व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता का कहना है कि बाइडन प्रशासन ने इस क़दम पर खेद व्यक्त किया है और मतभेदों को सुलझाने के लिए आने वाले दिनों में फ़्रांस से बातचीत करेगा।
वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मॉरिस पेन ने कहा कि वह फ़्रांस की 'निराशा' को समझती हैं और उन्होंने उम्मीद जताई है कि वह फ़्रांस को यह समझाएंगी कि 'द्विपक्षीय संबंध को हम महत्व देते हैं।'
मित्र राष्ट्रों के बीच राजदूतों को वापस बुलाना बेहद असामान्य है और यह माना जा रहा है कि फ़्रांस ने पहली बार दोनों देशों से अपने दूतों को वापस बुलाया है।
बीबीसी का कहना है कि फ़्रांस के अधिकारी इसलिए अधिक नाराज़ हैं कि उनको इस समझौते के बारे में इसकी सार्वजनिक घोषणा से कुछ घंटों पहले ही बताया गया था।
उनका कहना था कि ब्रिटेन समेत तीन देशों का नया सुरक्षा समझौता उनके लिए पूरी तरह से चौंकाने वाला था।
यह राष्ट्रपति बाइडन को शर्मिंदा करने वाला है क्योंकि हाल ही में उन्होंने वादा किया था कि वे अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम करेंगे।
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