फ़ेसबुक हेट पोस्ट का मामला फिर से तब चर्चा में आ गया जब एक फ़ेसबुक इंजीनियर ने यह कहते हुए कंपनी से इस्तीफ़ा दे दिया कि वह 'नफ़रत से मुनाफ़ा कमाती' है। रिपोर्ट के अनुसार फ़ेसबुक इंजीनियर ने कहा कि वह ऐसी कंपनी के लिए काम नहीं कर सकते हैं जो 'नफ़रत' के लिए ऐसा करती है। फ़ेसबुक हाल के दिनों में वाल स्ट्रीट जर्नल की 'हेट पोस्ट' से जुड़ी एक रिपोर्ट को लेकर चर्चा में रहा है जिसमें फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर आँखी दास का ज़िक्र था। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि आँखी दास ने बीजेपी के कुछ नेताओं की ऐसी पोस्ट को हटाने से मना कर दिया था, जो घृणा फैलाने वाली थीं। फ़ेसबुक के कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से यह रिपोर्ट छापी गई थी।
अब ताज़ा मामला भी फ़ेसबुक के ही कर्मचारी का है। 28 वर्षीय अशोक चंदवानी नाम के कर्मचारी ने फ़ेसबुक इंटरनल नेटवर्क पर एक लंबा-चौड़ा इस्ताफ़ा पत्र लिखा है। उस पत्र को 'द वाशिंगटन पोस्ट' ने छापा है। उस पत्र में चंदवानी ने लिखा है कि फ़ेसबुक सामाजिक अच्छाई को बढ़ावा देने की तुलना में मुनाफ़े को लेकर ज़्यादा चिंतित है। हालाँकि नफ़रत से मुनाफ़ा कमाने के फ़ेसबुक कर्मचारी के आरोपों को फ़ेसबुक ने खारिज कर दिया है।
'द वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, अशोक चंदवानी ने ख़त में नस्लवाद और हिंसा को उकसावा दिए जाने का हवाला दिया है। उन्होंने ख़त में लिखा है कि इस प्लेटफ़ॉर्म पर कंपनी ने नस्लवाद, ग़लत सूचना और हिंसा को उकसाने वाले पोस्ट के बढ़ने से रोकने के लिए बहुत कम काम किया है। चंदवानी ने कई देशों में हिंसा का हवाला दिया है। उन्होंने विशेष रूप से म्यांमार में नरसंहार को बढ़ावा देने में कंपनी की भूमिका और हाल ही में केनोस, विस्स में हिंसा का हवाला भी दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों शिकायतों के बावजूद फे़सबुक एक मिलिशिया समूह के उस इवेंट को हटाने में नाकाम रहा, जो पिछले महीने घातक गोलीबारी से पहले बंदूक लाने के लिए लोगों को उकसा रहा था। इसे ज़ुकरबर्ग ने 'ऑपरेशन मिस्टेक' यानी परिचालन में ग़लती मानी थी।
चंदवानी ने पत्र में ट्रंप के उस ट्वीट का भी ज़िक्र किया है जिसको लेकर दुनिया भर में हंगामा हुआ था, ट्रंप की आलोचना की गई थी और फिर भी फ़ेसबुक ने उसे हटाने से इनकार कर दिया था। उस पोस्ट में ट्रंप ने कहा था कि 'जब लूट शुरू होती है तो शूटिंग शुरू करनी पड़ती है।' ट्रंप ने यह बयान उस संदर्भ में दिया था जब एक गोरे पुलिसकर्मी ने गर्दन दबाकर काले जॉर्ज फ्लॉयड को मार दिया था और ब्लैक मैटर्स अभियान चल रहा था। तब मिनियपोलिस में हिंसा फैल गई थी और कई जगहों पर दुकानों में लूटपाट शुरू हो गई थी। तब ट्रंप ने सेना को भेजकर बंदूक की गोली से इसे नियंत्रित करने की बात की थी।
ट्रंप के इस पोस्ट पर काफ़ी आलोचनाओं के बाद भी फ़ेसबुक ने इसे नहीं हटाया और इस पर ख़ुद कंपनी के प्रमुख ज़ुकरबर्ग ने सफ़ाई देते हुए पोस्ट लिखी थी। इसमें उन्होंने जॉर्ज फ़्लायड की हत्या पर दुख जताया और फ़ेसबुक की पॉलिसी का ज़िक्र किया था।
बता दें कि अशोक चंदवानी की इस पोस्ट पर फ़ेसबुक ने भी सफ़ाई दी है। 'द वाशिंगटन पोस्ट' के अनुसार फ़ेसबुक की प्रवक्ता लिज़ बुर्जुआ ने कहा, 'हम नफ़रत से लाभ नहीं उठाते हैं। हम अपने समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्येक वर्ष अरबों डॉलर का निवेश करते हैं और अपनी नीतियों की समीक्षा और अपडेट करने के लिए बाहरी विशेषज्ञों के साथ गहन साझेदारी में हैं। ...हमने तथ्य जाँचने वाले कार्यक्रम को बढ़ाया और नफ़रत फैलाने वाले संगठनों से जुड़े लाखों पोस्ट हटा दिए जिनमें से 96% तो ऐसे हैं जिन्हें किसी द्वारा रिपोर्ट भी नहीं किया गया था।'
फ़ेसबुक हेट स्टीच को लेकर हाल में तब चर्चा में आया है जब 'द वाल स्ट्रीट जर्नल' की एक रिपोर्ट में आँखी दास का नाम उछला। यह रिपोर्ट मुख्य तौर पर भारत के संदर्भ में थी। अख़बार की रिपोर्ट में साफ़-साफ़ लिखा था कि आँखी दास बीजेपी और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफ़रत वाली पोस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होने देती थीं। रिपोर्ट में फ़ेसबुक के पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों के हवाले से कहा गया कि इसी के दम पर आँखी दास ने बीजेपी और हिंदुत्व समूहों से जुड़े नेताओं की नफ़रत वाली पोस्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में बाधा डाली।
‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ के अनुसार, फ़ेसबुक के कर्मचारियों ने टी. राजा सिंह द्वारा भड़काऊ पोस्ट का मामला उठाया। राजा सिंह तेलंगाना में बीजेपी के विधायक हैं और वह अक्सर भड़काऊ बयान देने के लिए सुर्खियों में रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार हालाँकि, आँखी दास ने राजा सिंह और तीन अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों पर हेट-स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया। फ़ेसबुक के कर्मचारियों ने आंतरिक तौर पर इन लोगों की पोस्ट को हिंसा भड़काने को लेकर आपत्तियाँ की थीं।
इस मामले में काफ़ी ज़्यादा विवाद होने के बाद फ़ेसबुक ने इसी महीने टी. राजा सिंह का अकाउंट बैन कर दिया। फ़ेसबुक के प्रवक्ता ने कहा है कि टी. राजा सिंह को फ़ेसबुक के नियमों का उल्लंघन करने के लिए बैन किया गया। प्रवक्ता ने कहा कि विधायक की ओर से जारी होने वाला कंटेंट नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा देने वाला था। हालाँकि इस मामले में टी राजा सिंह ने यह दावा किया कि उनका फ़ेसबुक पर कोई एकाउंट ही नहीं है।
अपनी राय बतायें