यूरोप फिर से कोरोना की चपेट में है। यानी महाद्वीप में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो गई है। फ्रांस में आपात स्थिति घोषित की गई है। इंग्लैंड में फिर से लॉकडाउन करने की माँग हो रही है। स्पेन के कुछ हिस्सों में बार और रेस्तराँ फिर से 15 दिन के लिए बंद किए जाएँगे। चेक में स्कूल और बार बंद कर दिए गए। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल सख़्ती चाहती हैं। यूरोप में शेयर बाज़ार भी लुढ़क गया है। यूरोप के शेयर बाज़ारों में 1.4 फ़ीसदी से लेकर 2.5 फ़ीसदी तक गिरावट आई है। यानी बाज़ार भी नकारात्मक संकेत दे रहे हैं। यानी कोरोना का डर फिर से यूरोप में लौट रहा है और दुनिया भर के देशों के लिए यह सचेत होने वाली स्थिति है।
पूरे यूरोप में औसत रूप से हर रोज़ क़रीब एक लाख संक्रमण के मामले आने लगे हैं। अब सिर्फ़ यूरोप में ही दुनिया के एक-तिहाई संक्रमण के मामले आने लगे हैं।
यह स्थिति बिल्कुल उसके उलट है जब मार्च महीने में यूरोप कोरोना महामारी का केंद्र था और अप्रैल महीने में यह केंद्र अमेरिका में शिफ़्ट होने लगा था। यह वह वक़्त था जब यूरोप के अधिकतर देशों में लॉकडाउन था और स्कूल-कॉलेज से लेकर बार-रेस्तराँ सब बंद थे। लेकिन जून महीना आते-आते यूरोप में स्थिति नियंत्रण में आने लगी थी। इसके बाद तो स्थिति इतनी सुधर गई थी कि कुछ देशों में स्कूल-कॉलेज, बार-रेस्तराँ आदि तक खोल दिए गए और कई देशों में स्कूलों को खोलने की बात होने लगी थी। स्थिति जब सामान्य सी लगने ही लगी थी कि अब संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है।
बिगड़ते हालात के ताज़ा संकेत फ्रांस में मिले। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेरिस क्षेत्र में बुधवार से रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया और शनिवार से आठ अन्य महानगरीय क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया जाएगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने आपात स्थिति की घोषणा करते हुए फ्रांसीसी जनता को बताया कि 'वायरस फ्रांस में हर जगह है'।
संक्रमण के दुबारा उभार के बाद अधिकारियों को प्राग और इंग्लैंड के लिवरपूल में बार और क्लबों को बंद करने और एम्स्टर्डम में सार्वजनिक इनडोर स्थानों में फेस मास्क अनिवार्य करने को मजबूर होना पड़ा है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अधिक जगहों पर मास्क को ज़रूरी करना चाहती हैं और निजी कार्यक्रमों के लिए एकजुट होने वाले लोगों की संख्या को सीमित करने सहित दूसरे सख़्त क़दम उठाना चाहती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार का प्रस्ताव है कि सात दिनों में क्षेत्र में प्रति एक लाख लोगों पर 35 नए संक्रमण के मामले आने के बाद ज़्यादा प्रतिबंध लगाया जाएगा।
इंग्लैंड में लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर द्वारा दूसरे लॉकडाउन की माँग के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसका विरोध किया। प्रधानमंत्री की इसलिए आलोचना की जा रही है कि 21 सितंबर की शुरुआत में सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार समूह की सलाह की अनदेखी की गई।
इंग्लैंड में विपक्षी दल लेबर पार्टी और मेडिकल के विशेषज्ञ बोरिस जॉनसन से आग्रह कर रहे हैं कि देश में दो हफ़्ते का लॉकडाउन लगाया जाए। हालाँकि, बुधवार को उत्तरी आयरलैंड ने चार हफ़्ते के लिए लॉकडाउन और दो हफ़्ते तक स्कूल बंद करने की घोषणा की है।
हर रोज़ कितने आ रहे नये केस
यूरोप के इन देशों में कोरोना के मामले अब काफ़ी ज़्यादा आने लगे हैं। फ्रांस में अब हर रोज़ 22 हज़ार से ज़्यादा, इंग्लैंड में क़रीब 20 हज़ार, स्पेन में क़रीब 12 हज़ार, इटली में 8 हज़ार, जर्मनी में 6 हज़ार, नीदरलैंड्स में 7 हज़ार और बेल्जियम में 7 हज़ार मामले आ रहे हैं। दूसरे देशों में भी ऐसी ही स्थिति है। ये वे देश हैं जहाँ संक्रमण के मामले काफ़ी कम हो गए थे। फ़्रांस में एक समय ऐसी स्थिति आ गई थी कि संक्रमण के मामले हर रोज़ सिर्फ़ ढाई सौ आ रहे थे। मई से लेकर जुलाई तक स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन बाद में संक्रमण के मामले धीरे-धीरे बढ़ते गए। ऐसी ही स्थिति इंग्लैंड में थी। वहाँ हर रोज़ संक्रमण के मामले कम होकर क़रीब 500 के आसपास हो गए थे। स्पेन में नये संक्रमण के मामले घटकर 200 से भी कम हो गए थे।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर दुनिया भर के लिए चिंता का सबब है। यह इसलिए कि कई देश जो पहली लहर के कम पड़ने के बाद निश्चिंत हो गए थे उनके लिए चेतावनी है। यही भारत के बारे में भी कहा जा सकता है।
भारत में जहाँ 16 सितंबर को क़रीब 98 हज़ार कोरोना संक्रमण के मामले आए थे, लेकिन क़रीब एक महीने में 13 अक्टूबर को संक्रमितों की संख्या क़रीब 55 हज़ार ही रही। एक महीने में हर रोज़ आने वाले कोरोना संक्रमण के मामले औसत रूप से कम होते जा रहे हैं और यह संख्या आधे के आसपास पहुँच गयी है। क्या कोरोना संक्रमण ढलान पर है और इस वजह से निश्चिंत हुआ जा सकता है? ऐसी आशंका भारत के लिए भी विशेषज्ञ जता चुके हैं कि प्रदूषण बढ़ने पर संक्रमण कहीं ज़्यादा तेज़ी से फैलेगा।
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