ऋषि सुनाक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री तो बन गए हैं लेकिन उनके सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है। ऋषि सुनाक के लिए लगभग ध्वस्त हो चुकी ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना आसान नहीं होगा। उनके सामने आर्थिक मोर्चे के साथ ही राजनीतिक चुनौतियां भी हैं।
राजनीतिक चुनौती
पिछले कुछ महीनों में कंजरवेटिव पार्टी को लगातार अपने नेता बदलने पड़े हैं। इस साल जुलाई में पहले बोरिस जॉनसन की विदाई हो गई थी और उसके बाद लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनी थीं लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ 44 दिन का ही रहा। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर फेल होने के बाद उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा।
इसके बाद कंजरवेटिव पार्टी ने ऋषि सुनाक को अपना नेता चुना है। 188 साल पुरानी इस पार्टी ने इससे पहले कभी इस तरह का संकट नहीं देखा था। 2016 के बाद से सिर्फ छह सालों में वह पांचवें प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले डेविड कैमरन, थेरेसा मे, बोरिस जॉनसन और लिज ट्रस प्रधानमंत्री बन चुके हैं।
आर्थिक चुनौती की बात करें तो ब्रिटेन वर्तमान में मंदी के दौर से गुजर रहा है। ब्रिटेन में महंगाई पिछले 40 सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है और सरकार के लिए इस चुनौती से पार पाना मुश्किल हो रहा है। डॉलर के मुकाबले पाउंड लगातार गिरता जा रहा है।
ब्रिटेन में सितंबर में महंगाई की दर 10 फीसद से ज्यादा हो गई थी और इस वजह से खाने की कीमत कई गुना बढ़ गई थी। खबरों के मुताबिक, मांस, ब्रेड, दूध और अंडों की कीमत में भी अच्छा-खासा उछाल आया है। न्यूज़ एजेंसी एपी के मुताबिक, सुंदरलैंड में सेंट एडन कैथोलिक एकेडमी में टीचर ग्लेन सैंडरसन ने कहा कि देश भर के स्कूलों में जरूरतमंद बच्चों को खाना खिलाना मुश्किल हो रहा है।
किंग्स कॉलेज लंदन में राजनीति के प्रोफेसर आनंद मेनन ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा कि सुनाक को लोगों को इस बात के लिए आश्वस्त करना होगा कि आने वाले दिनों में गरीबी और आर्थिक अनिश्चितता का माहौल देश में नहीं बनेगा।
बढ़ती महंगाई की वजह से ब्रिटेन में ट्रेन ड्राइवर और अन्य कुछ विभागों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं।
वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर पिप्पा कैटरॉल ने एएफपी से कहा कि नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) की स्थिति खराब है और अस्पताल देश में बने हालात का सामना करने में सक्षम नहीं हैं।
और बढ़ेगी महंगाई?
ब्रिटेन में मांग गिरने से निकट भविष्य में बेरोजगारी बढ़ने की उम्मीद है। महंगाई के भी और बढ़ने की उम्मीद है और हो सकता है कि यह 12% से नीचे आए जाए लेकिन 2023 के दौरान पूरे साल भर इसके ऊंचे स्तर पर बने रहने की संभावना है।
परेशानी यह है कि सरकार अगर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए खर्च पर अंकुश लगाती है तो इससे आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा। अगर ब्याज दरों को कम रखकर और सरकारी खर्चों को बढ़ाया जाता है तो इससे भी महंगाई बढ़ सकती है और लोगों की खरीदने की शक्ति और कम हो सकती है।
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ब्रिटेन में बन रहे खराब आर्थिक माहौल में लिज़ ट्रस की सरकार ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिये करों में कटौती करने और ऊर्जा की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी का भुगतान सरकारी ख़ज़ाने से करने का एलान किया था। लिज़ ट्रस का तर्क था कि इन उपायों से आर्थिक विकास की रफ़्तार बढ़ेगी जिससे राजस्व बढ़ेगा जो बजट घाटा चुका देगा।
जबकि ऋषि सुनाक ने लिज ट्रस के साथ हुई चुनाव प्रचार की बहसों में कहा था कि मंदी और महंगाई के दौर में टैक्स घटाने और ख़र्च बढ़ाने से महंगाई और बढ़ेगी और आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा और ऐसा ही हुआ। लिज ट्रस को वित्तीय मामलों का कोई अनुभव नहीं था।
सुनाक ने सोमवार को कहा कि ब्रिटेन एक महान देश है लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि इस वक्त हम गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें स्थिरता के साथ ही एकजुटता की भी जरूरत है और उनकी प्राथमिकता रहेगी कि वह अपनी पार्टी और देश दोनों को एकजुट कर सकें। उन्होंने कहा कि इसके जरिए ही हम चुनौतियों का सामना कर पाएंगे और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य दे पाएंगे।
ब्रिटेन के सामने मुश्किलें ज्यादा हैं और देखना होगा कि क्या ऋषि सुनाक ब्रिटेन को इन मुश्किलों से बाहर निकाल पाएंगे?
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