यूरोप में कोरोना एक बार फिर पैर पसार रहा है। कई देशों में कोरोना के मामलों में इजाफ़ा हो रहा है और इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेताया है कि यूरोप में इस ख़तरनाक वायरस के कारण फरवरी तक 5 लाख और मौत हो सकती हैं। इसके अलावा चीन में भी कोरोना फिर से तेज़ी से फैल रहा है।
यूरोप के लगभग सभी देशों में कोरोना की दहशत है। हाल ही में रूस की राजधानी मॉस्को में फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ा था।
रूस में कई जगहों पर अस्पताल पूरी तरह भरे हुए हैं और कोरोना वायरस की पहली लहर से ज़्यादा मुश्किल हालात बनते दिख रहे हैं। कई जगहों पर दफ़्तरों को बंद करना पड़ा है।
डब्ल्यूएचओ के यूरोप के प्रमुख हैंस क्लूज ने कहा है कि वायरस जिस तरह यूरोप के 53 देशों में फैल रहा है, वह बेहद चिंता का विषय है और अगर इस तरह के हालात बने रहते हैं तो फरवरी तक यूरोपीय देशों में और 5 लाख मौत हो सकती हैं। इसके अलावा मध्य एशिया के देशों में भी यह वायरस फैल रहा है। रूस के अलाला रोमानिया, बुल्गारिया, लिथुआनिया, लातविया में भी संक्रमण काफ़ी ज़्यादा बढ़ा है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यूरोप एक बार फिर से इस महामारी के फैलने की बड़ी जगह या केंद्र बिंदु बन रहा है।
‘कड़े क़दम उठाने होंगे’
क्लूज ने कहा है कि कोरोना के मामले रिकॉर्ड स्तर तक आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों को कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कड़े क़दम उठाने होंगे।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि यूरोपीय देशों में इस हफ़्ते कोरोना के लगभग 18 लाख नए मामले आए हैं और यह पिछले हफ़्ते से 6 फ़ीसदी ज़्यादा हैं जबकि 24 हज़ार मौतें हुई हैं और यह 12 फ़ीसदी ज़्यादा है। यह लगातार पांचवा हफ़्ता है, जब यूरोप में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
लॉकडाउन हटने के बाद से ही यूरोप में कई जगहों पर पर्यटक भी उमड़ने लगे। हालांकि कोरोना की इस लहर के बाद पर्यटक वापस जा रहे हैं।
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वैक्सीन है हथियार
कोरोना को हराने का सबसे बड़ा हथियार वैक्सीन है। दुनिया भर में कई देशों में वैक्सीन लगाने का काम तेज़ी से चल रहा है। लेकिन बावजूद इसके बड़ी आबादी ऐसी है जिसे वैक्सीन की दोनों डोज लगनी बाक़ी है।
लेकिन रूस में हालात सबसे ज़्यादा ख़राब क्यों है? यह इसलिए क्योंकि कई ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि आम रूसी टीका लगवाने को तैयार नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो घर पर रहने को तैयार नहीं हैं। यानी ऐसे लोग जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, उनकी भीड़ बढ़ेगी तो कोरोना का ख़तरा तो बढ़ेगा ही।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में कहा था कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि टीके के प्रति हिचकिचाहट क्यों है? इससे समझा जा सकता है कि यदि किसी देश के राष्ट्रपति को यह कहना पड़ रहा है तो वहां कैसे हालात होंगे!
भारत के लिए सबक
यूरोप का यह सबक भारत के लिए भी है क्योंकि यहां जबरदस्त लापरवाही होने लगी है। बाज़ारों में बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं और लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। भारत में हालांकि कोरोना के मामले कम आ रहे हैं लेकिन लापरवाही का जो आलम है, वह परेशान करने वाला है।
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