चीन में सरकार चला रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की एक बैठक में शनिवार को बेहद अजीबोगरीब वाकया देखने को मिला। इस बैठक से चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसका वीडियो भी सामने आया है जिसमें साफ दिख रहा है कि हू जिंताओ राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बगल में बैठे हैं और तभी दो लोग उनके पास आते हैं और उन्हें इस बैठक से बाहर जाने के लिए कहते हैं।
ये दोनों लोग हू जिंताओ को बैठक से जबरन बाहर ले जाते हैं। इसके पीछे कोई वजह सामने नहीं आई है कि बैठक से हूं जिंताओ को बाहर का रास्ता क्यों दिखा दिया गया।
चीन के इस बड़े नेता के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया, इसे लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं।
इस वीडियो से पता चलता है कि हू जिंताओ इस बैठक से बाहर नहीं जाना चाहते थे लेकिन उन्हें बाहर जाने के लिए मजबूर किया गया।
Drama in China as former president Hu Jintao is escorted out of the closing ceremony pic.twitter.com/AzsqUJWuFx
— Dan Banik (@danbanik) October 22, 2022
बैठक में एक और अहम बात हुई। वह यह कि चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग जो देश के दूसरे बड़े अफसर भी हैं, उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी की सबसे ताकतवर पोलित ब्यूरो स्थाई समिति में फिर से नियुक्त नहीं किया जाएगा।
इस बैठक में पार्टी में किए गए उस संविधान संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है जिसके बाद चीन के भीतर शी जिनपिंग की पकड़ और मजबूत हो जाएगी। साल 2017 में हुई कम्युनिस्ट पार्टी की पिछली बैठक के बाद भी शी जिनपिंग का कद कम्युनिस्ट पार्टी में और बढ़ गया था।
रविवार को जब कम्युनिस्ट पार्टी के नए नेतृत्व को लेकर और जानकारी सामने आएगी तो यह तय माना जा रहा है कि शी जिनपिंग ही पार्टी के सबसे बड़े नेता के पद पर रहेंगे।
बता दें कि पिछले एक हफ्ते से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का महाधिवेशन चल रहा था और इसमें आने वाले 5 साल के लिए योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया। इस बैठक में सेना और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए शी जिनपिंग की उपलब्धियों का बखान किया गया।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का महाधिवेशन हर पांच साल के बाद होता है। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के 2300 प्रतिनिधि भाग लेते हैं जो देश भर में फैले लगभग 90 लाख पार्टी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सदस्य कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के 200 सदस्यों को चुनते हैं। केंद्रीय समिति के सदस्य पोलित ब्यूरो के 25 सदस्यों को और पार्टी महासचिव को चुनते हैं। महासचिव चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सर्वोच्च नेता होता है। चीन में पार्टी महासचिव ही राष्ट्रपति और सेना आयोग का प्रमुख भी होता है।
पोलित ब्यूरो राष्ट्रपति की मंत्रिपरिषद का काम करती है और स्थायी समिति के सात सदस्यों को चुनती है जो पार्टी के वरिष्ठतम नेता होते हैं। पार्टी महासचिव का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
ताकतवर हुए जिनपिंग
माओ त्से तुंग के ज़माने तक महासचिव के कार्यकालों की कोई सीमा नहीं थी। पर डंग शियाओ पिंग ने संविधान संशोधन करके नियम बनाया था कि कोई महासचिव दो कार्यकाल से अधिक पद पर नहीं रहेगा। शी जिनपिंग ने 2018 में संविधान संशोधन करके उस नियम को रद्द कर दिया था। इसलिए अब वे जब तक चाहें या हटाए न जाएं तब तक सर्वोच्च नेता बने रह सकते हैं।
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इस महाधिवेशन के शुरू होने से पहले जिस तरह एक स्वर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सारे प्रतिनिधियों ने शी जिनपिंग के नेतृत्व में अपनी निष्ठा प्रकट की, उसे देखते हुए शी जिनपिंग को कम्युनिस्ट पार्टी का सर्वोच्च नेता चुना जाना महज एक औपचारिकता ही है। लेकिन देखना यह होगा कि स्थाई समिति में जिनपिंग के अलावा अन्य छह कौन से नेताओं को रखा जाता है।
स्थायी समिति में जिस नेता को सर्वोच्च नेता के बगल में स्थान मिलता है उसे उत्तराधिकारी या अगले नेता के रूप में देखा जाने लगता है।
पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ ने एक तरह के अनौपचारिक मतदान की परंपरा पार्टी में शुरू की थी जिसे दलगत लोकतंत्र का नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य पोलित ब्यूरो और स्थायी समिति के सदस्यों को चुनने से पहले उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाना था।
शी जिनपिंग ने पिछले पार्टी अधिवेशन में उस परंपरा को रद्द करते हुए उम्मीदवारों से निजी तौर पर मिलना और उनकी राय लेना शुरू किया जिसका लक्ष्य विरोधियों को रास्ते से हटा कर अपने वफ़ादारों को निर्णायक पदों पर बैठाना था। माओ की ‘सांस्कृतिक क्रांति’ की तर्ज़ पर शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम भी चलाई जिनमें भ्रष्ट नेताओं के साथ-साथ विरोधियों को भी चुन-चुन कर निशाना बनाया गया।
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