नए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के नवंबर के अंत में भारत से लौटने के एक सप्ताह बाद ही कोलम्बो में चीन द्वारा बनाई गई इस छोटी दुबई का श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने उद्घाटन कर यह संकेत दिया है कि वह भारत के दबाव में चीन का दामन कभी नहीं छोड़ सकते।
श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो में चीन द्वारा बहुत कम वक़्त में नया शहर कोलम्बो पोर्ट सिटी बना कर उसका निरीक्षण दौरा नए प्रधानमंत्री राजपक्षे से करवा दिया वह इस बात का सूचक है कि श्रीलंका में चीन की पैठ काफ़ी गहरी हो चुकी है और वहाँ से चीन को निकाल बाहर करने की बात सोचना एक बड़ी भूल होगी। श्रीलंका में चीन दीर्घकाल तक अपनी मौजूदगी बनाने का खेल खेल चुका है। इसलिए कहा जा सकता है कि वहाँ चीन की मौजूदगी एक यथार्थ बन चुकी है जिसे ध्यान में रख कर ही श्रीलंका के साथ भारत को अपने रिश्तों की भावी रणनीति तय करनी होगी।
कहा जा रहा है कि कोलम्बो पोर्ट सिटी श्रीलंका का लघु सिंगापुर या मिनी दुबई की तरह है जिसे चीन ने 665 एकड़ ज़मीन पर 1.4 अरब डॉलर की लागत से बनाया है और वहाँ 80 हज़ार से अधिक लोग आधुनिक जीवन की सुविधाओं के साथ रह सकते हैं। ऊँची इमारतों वाला और अपने में स्वतंत्र यह इलाक़ा कोलम्बो के मुख्य शहरी इलाक़े से दोगुना बड़ा है और यहाँ ख़ुद की बिज़नेस अनुकूल टैक्स व्यवस्था होगी और यहाँ श्रीलंका के बाक़ी इलाक़ों से भिन्न विधि व्यवस्था होगी। यह इलाक़ा कोलम्बो के समुद्र तट से लगे इलाक़े पर कृत्रिम ज़मीनी विकास कर बनाया गया है।
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि हमबनटोटा बंदरगाह और आसपास की हज़ारों एकड़ ज़मीन 99 साल की लीज पर लेने के बाद चीन ने श्रीलंका में अपने नागरिकों को व्यवसाय के नाम पर बसाने का पूरा इंतज़ाम कर लिया है।
राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे द्वारा अपने पद की शपथ लेने के दो सप्ताह के भीतर ही नवंबर के अंत में नई दिल्ली का दौरा कर भारत की चिंताएँ दूर करने और भारत को चीन से पैदा ख़तरों को लेकर ज़ाहिर शंकाएँ दूर करने की कोशिशों से यहाँ सामरिक हलकों में राहत महसूस की जा रही थी, लेकिन यह सोचना ग़लतफहमी होगी कि श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चीन के साथ रिश्तों का स्तर किसी तरह कम करेंगे।
नई दिल्ली से लौटने के दस दिनों के भीतर ही उन्होंने साफ़ कर दिया है कि वह चीन बनाम भारत का कार्ड खेल रहे हैं और अपनी अस्मिता बेचकर अपनी और अपने देश की समृद्धि बढ़ाने की फ़िराक़ में हैं और इसके लिये वह अपने देश को चीन की गोद में खेलाने में कोई संकोच नहीं करेंगे।
चीन के क़र्ज़ के जाल में फँसेगा श्रीलंका?
श्रीलंका के इतिहास में यह सबसे बड़ा अकेला विदेशी निवेश कहा जा रहा है जिसे चीन की इंज़ीनियरिंग फ़र्म चीन कम्युनिकेशंस कंस्ट्रक्शन कम्पनी (सीसीसीसी) ने बनाया है। सात दिसम्बर को इस शहर के उद्घाटन के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने चीन को ख़ुश करने के लिये इन आरोपों से पूरी तरह इनकार किया कि श्रीलंका में चीन की विकास परियोजनाओं से श्रीलंका चीन के क़र्ज़ के जाल में फँस जाएगा।
इस बयान के पहले नए राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के हवाले से यह रिपोर्ट आई थी कि उन्होंने हमबनटोटा बंदरगाह चीन को सौंपने के फ़ैसले की आलोचना की थी। प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा कि उनके छोटे भाई और राष्ट्रपति गोतबाया को इस बारे में ग़लत उद्धृत किया गया है। कोलम्बो में चीन के राजदूत छंग श्वे य्वान के साथ पोर्ट सिटी का उद्घाटन करने के बाद महिंद राजपक्षे ने ज़ोर देकर कहा कि उनका देश चीन के साथ रिश्तों को ठोस आधार देने के लिये कटिबद्ध है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के रिपोर्टर से प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा कि चीन और श्रीलंका के बीच मज़बूत और दीर्घकालीन ठोस रिश्ते बन चुके हैं जिसने चीन और श्रीलंका के बीच व्यावहारिक सहयोग की नींव डाली है।
ग़ौरतलब है कि गोतबाया राजपक्षे जब अपने बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति के शासन काल में श्रीलंका के रक्षा प्रमुख थे उन दिनों हमबनटोटा बंदरगाह का ठेका चीन को दिया गया था और उनका शासन ख़त्म होने के बाद जब मैत्रीपाला सीरीसेना की सरकार आई तब इस बंदरगाह को बनाने के लिए चीन द्वारा दिए गए आठ अरब डॉलर का क़र्ज़ जब लौटा नहीं पाए तो बदले में उन्होंने चीन से हमबनटोटा और आसपास के हज़ारों एकड़ वाले ज़मीनी इलाक़े को 99 साल की लीज पर चीन को दे दिया। रिपोर्टों के मुताबिक़ नए राष्ट्रपति ने सीरीसेना के इस फ़ैसले की आलोचना की थी।
गोतबाया ने पहले की थी सौदे की आलोचना
राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने कहा था कि इस सौदे पर फिर से बात करनी होगी और सीरीसेना सरकार द्वारा इस बंदरगाह को 99 साल की लीज पर देना एक भूल थी। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी विकास योजना के लिए क़र्ज़ लेना एक अलग बात है लेकिन सामरिक तौर पर अहम एक बंदरगाह को सौंप देना स्वीकार्य नहीं होगा।
अपनी राय बतायें