ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी ही कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों के विरोध या कहें कि बगावत के बाद इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफ़े के साथ ही कई सवाल खड़े होते हैं। अगला पीएम कौन होगा और कैसे चुना जाएगा? क्या कंजर्वेटिव पार्टी के अलावा दूसरे दल से भी कोई पीएम चुना जा सकता है?
यूके की राजनीतिक व्यवस्था के तहत चुनावों के बीच में केवल संसद के कंजर्वेटिव सदस्यों के पास ही एक कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री को हटाने की शक्ति होती है।
तो सवाल है कि जब कंजर्वेटिव सदस्यों ने दबाव बनाकर पीएम बोरिस जॉनसन को हटा दिया है तो क्या अब आम चुनाव होगा?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सीधे लोगों द्वारा नहीं चुने जाते हैं; जॉनसन प्रधानमंत्री थे क्योंकि वह हाउस ऑफ़ कॉमन्स में सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख थे। जॉनसन के इस्तीफा देने पर भी कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों की संख्या हाउस ऑफ़ कॉमन्स में कम नहीं होगी, बल्कि पहले की तरह ही बरकरार रहेगी। इसका साफ़ मतलब यह है कि कंजर्वेटिव सबसे बड़ी पार्टी होगी, इसलिए पार्टी का ही नया मुखिया प्रधानमंत्री बनेगा।
तो सवाल है कि पार्टी का नया नेता कैसे चुना जाएगा?
चुनावों के बीच में किसी प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद पार्टी में नेतृत्व चुने जाने वाले उम्मीदवारों को कम से कम आठ सांसदों के समर्थन की ज़रूरत होती है। यदि ऐसा करने वाले दो से अधिक उम्मीदवार हो जाते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद उम्मीदवारों की संख्या को दो करने के लिए वोटों का दौर चलता है। जब उम्मीदवारों की संख्या दो हो जाती है तो फिर कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य राष्ट्रव्यापी वोट से एक का चुनाव करते हैं। इसमें विजेता पार्टी का नेता प्रधानमंत्री बन जाता है।
इस चुनाव प्रक्रिया के दौरान पीएम कौन?
चूँकि बोरिस जॉनसन इस्तीफा दे चुके हैं, इसलिए वह इस्तीफे के बाद भी तब तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में पद पर बने रहेंगे जब तक कि उनकी जगह किसी नये का चयन नहीं किया जाता है। फिर वह अपना इस्तीफा व्यक्तिगत रूप से ब्रिटेन की महारानी को सौंपता है। इसके बाद क्वीन की ओर से आधिकारिक तौर पर घोषणा की जाएगी कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने जॉनसन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, और यह कहा जाएगा कि उन्होंने किसे प्रधानमंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया है। हालाँकि यह एक औपचारिकता मात्र ही है।
यूनाइटेड किंगडम में दिसंबर 2024 तक आम चुनाव नहीं होने वाला है। नया प्रधानमंत्री संसद को शीघ्र चुनाव के लिए मतदान करने के लिए कह सकता है, लेकिन ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है।
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