जिस बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नाम वहां की मशहूर ढाकेश्वरी देवी पर पड़ा है और जो रवींद्र संगीत और नज़रुल गीति के लिए मशहूर है, वहां कट्टरपंथी ताक़तें मजबूत हो रही हैं। इसलामी कट्टरपंथियों ने दुर्गा पूजा के मौके पर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हमले कर दिए और बड़े पैमाने पर हिंसक गतिविधियाँ व आगजनी कीं।
दु्र्गा पूजा के मौके पर हुए इन दंगों में इसलामी कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं के 20 घरों में आग लगा दी और 66 घरों में तोड़फोड़ की।
राजधानी ढाका से 255 किलोमीटर दूर कुमिल्ला ज़िले में यह अफ़वाह फैला दी गई कि दुर्गापूजा के दौरान एक हिन्दू ने इसलाम धर्म की तौहीन की है।
अफ़वाह से शुरू हुआ दंगा
पुलिस सुपरिटेंडेंट मुहम्मद क़मरुज्ज़मां ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि फ़ेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट के बाद मछुआरों की बस्ती में तनाव फैला तो पुलिस वहां तुरन्त पहुँच गई।
पुलिस ने उस व्यक्ति के घर के चारों ओर सुरक्षा घेरा डाल दिया, लेकिन दंगाइयों ने दूसरे घरों पर हमला कर दिया और उनमें आग लगा दी।
फ़ायर सर्विस कंट्रोल रूम के अनुसार, माझीपाड़ा में 29 घरों में आग लगा दी गई।
इसलाम धर्म की तौहीन करने की अफ़वाह फैलने के बाद कुमिल्ला, चांदपुर, चट्टोग्राम, कॉक्सेज बाज़ार, बंदरबान, मौलवीबाज़ार, ग़ाज़ीपुर, चपईनवाब गंज और फ़ेनी जिलों में दंगा फैल गया।
चार हिन्दू मारे गए
बांग्लादेश हिन्दू बौध ईसाई एकता परिषद ने कहा है कि इन दंगों में चाँदपुर और नोआखाली में कम से कम चार हिन्दू मारे गए।
रैपिड एक्शन बटालियन ने फेनी जिले में कम से कम दो लोगों को गिरफ़्तार किया है।
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इन वारदातों में हिन्दुओं के 559 घरों और 442 दुकानों में आग लगा दी गई। इस दौरान हिन्दुओं पर हमले, उनके घरों में आग लगाने व तोड़फोड़ करने से जुड़े 1,678 मामले दर्ज किए गए। इनमें 11 हिन्दू मारे गए और कम से कम 862 लोग घायल हो गए।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा देते हुए कहा है कि दोषियों को हर हाल में सज़ा दी जाएगी। उन्होंने हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा, "कुमिल्ला की घटना की विस्तार से जाँच की जा रही है, किसी को बख़्खा नहीं जाएंगा। उनका पता लगाया जाएगा और उन्हें सज़ा दी जाएगी।"
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