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बांग्लादेश में अराजकता: 'बंग बंधु' शेख मुजीब के आवास पर हमला, आग लगाई

बांग्लादेश में उपद्रवियों के एक समूह ने ढाका के धानमंडी में बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आवास पर बुधवार शाम को हिंसक हमला किया। बांग्लादेशी मीडिया ने बताया कि कुछ हमलावर, जिनमें ज्यादातर युवा थे, जबरन गेट तोड़कर परिसर में घुस गए। इस जगह को एक ऐतिहासिक विरासत स्थल माना जाता है। लेकिन इस पूरी इमारत और स्मारक में तोड़फोड़ करके इसे आग के हवाले कर दिया गया।

शेख मुजीबुर रहमान, जिन्हें "बंगबंधु" (बंगाल का मित्र) के नाम से जाना जाता है, उनके नेतृत्व में ही बांग्लादेश ने 1971 में पाकिस्तान से आजादी हासिल की थी। इसमें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने मुख्य भूमिका निभाई थी। शेख मुजीब का घर, जो अब एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित है, पर हाल ही में हुए हमले ने भारतीय उपमहाद्वीप को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल शेख मुजीबुर रहमान के परिवार के लिए एक गहरा सदमा है, बल्कि पूरे बांग्लादेश के लिए एक राष्ट्रीय त्रासदी भी है।
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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं, ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इस घटना को "राष्ट्रीय विरासत पर हमला" बताया और कहा कि यह कृत्य बांग्लादेश के इतिहास और संस्कृति के प्रति एक गहरा अपमान है। हसीना ने कहा कि यह हमला न केवल उनके परिवार के खिलाफ है, बल्कि पूरे बांग्लादेश के लोगों के खिलाफ है। शेख हसीना फिलहाल भारत में निर्वासित जीवन बिता रही है।
यह विरोध पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना द्वारा अवामी लीग की छात्र शाखा, छात्र लीग के सदस्यों को दिए गए एक ऑनलाइन भाषण के जवाब में था। यूनुस सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस छात्र संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बुधवार शाम को शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना भाषण के प्रतिशोध में धानमंडी तक बुलडोजर मार्च आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने अपनी योजना में बदलाव किया और रात करीब 8 बजे पहले विरासत स्थल पर पहुंचे और हसीना विरोधी नारे लगाने के बाद तोड़फोड़ शुरू कर दी। हमलावरों को दिवंगत नेता के चित्रों और घर के अन्य हिस्सों को नष्ट करने के लिए हथौड़ों, लोहदंडों और लकड़ी के तख्तों का उपयोग करते हुए दूसरी मंजिल पर चढ़ते देखा गया। आख़िरकार पूरे परिसर को ढहाने के लिए बुलडोज़र चला दिया गया।

बैरिस्टर तानिया अमीर ने कहा- “यह एक विरासत स्थल है... मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली कार्यवाहक सरकार इसे देश के लोगों के एक वर्ग से बचाने में विफल रही, जो बांग्लादेश के इतिहास को मिटाना चाहते हैं। यह घटना देश में कानून-व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त हो जाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की तैनाती के लिए यह बिल्कुल उपयुक्त मामला है।“

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और अशांति

बांग्लादेश में हाल के महीनों में हिंसा और अशांति का माहौल बना हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार हिंसक घटनाएं हो रही हैं, जिनमें अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के लोगों के घरों और पूजा स्थलों पर हमले हो रहे हैं। इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं।
अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का कहना है कि उन्हें धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से सुरक्षा और न्याय की मांग की है, लेकिन अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसके अलावा, राजनीतिक हिंसा भी बढ़ती जा रही है, जिसमें विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू समुदाय, पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में दुर्गा पूजा के दौरान कई हिंदू मंदिरों और पूजा पंडालों पर हमले हुए हैं। इन हमलों में कई लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों का कहना है कि उन्हें धार्मिक उन्माद और साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है।
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हिंदू समुदाय के नेताओं ने सरकार से सुरक्षा और न्याय की मांग की है, लेकिन अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिसके कारण हिंसा और अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा भी बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है, और राजनीतिक रैलियों और प्रदर्शनों में हिंसक झड़पें हो रही हैं। इसके अलावा, सरकार और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है।
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क़मर वहीद नक़वी
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