बालाकोट पर ख़ास
पाकिस्तानी अधिकारियों ने पुलवामा हमले के बाद जैश-ए-मुहम्मद के लड़ाकों को सीमा से सटे इलाक़े में बने आतंकवादी कैम्प से निकाल कर सुरक्षित समझे जाने वाले बालाकोट कैम्प में पहुँचा दिया था। भारतीय वायु सेना के हमले की आशंका के मद्देनज़र यह क़दम उठाया गया था। ऊँची खूबसूसरत पहाड़ी पर बना या शिविर किसी पाँच सितारा होटल जैसा था। यहाँ अच्छा खाने-पीने की व्यवस्था तो थी, स्वीमिंग पूल तक का इंतजाम था।
हिल रिसॉर्ट
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस कैम्प में बावर्ची तैनात थे, हर तरह की सुविधाएँ मौजूद थीं, साफ़ सफ़ाई का इंतजाम था। यहां 500-700 लोग लंबे समय तक आराम से रह सकते थे। यह आतंकवादी शिविर कम, हिल रिसॉर्ट ज़्यादा लग रहा था। यह कैम्प 7 एकड़ ज़मीन पर बना हुआ था।लेकिन यहाँ सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। दरअसल पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना था कि भारत को यदि हमला करना भी होगा तो उसके निशाने पर सीमा से सटे इलाक़े और वहाँ बने शिविर ही होंगे। उन्हें यह अनुमान बिल्कुल नहीं था कि सीमा के इतने अंदर और इस तरह के निरापद स्थान पर बने शिविर को निशाना बनाया जा सकता है। पाकिस्तान अधिकारी यह भी नहीं अनुमान लगा पाए कि भारतीय वायु सेना यहाँ तक पहुँच जाएँगे और पाकिस्तानी वायु सेना उन्हें रोक नहीं पाएगी। लिहाजा, उन्होंने इस पर हमला रोकने की कोई योजना बनाई ही नहीं थी।
भारतीय ख़फ़िया एजेंसियो को यह जानकारी मिल गई कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को सीमा पास से हटा कर इस खूबसूरत कैम्प में पहुँचा दिया है। जिस समय हमला हुआ, आतंकवादी निश्चिन्त होकर आराम से सो रहे थे।
कैसे हुआ हमला?
रिपोर्टों के मुताबिक़, भारतीय वायु सेना ने बालाकोट हमले की योजना बहुत ही सोच समझ कर और चतुराई से रची। उत्तरी और पश्चिम वायु कमांड के कई एअर बेस से एक साथ 12 मिराज-2000 बमवर्षक विमानों ने उड़ान भरी। जब ये विमान नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तानी हवाई सीमा में दाखिल हुए तो पाकिस्तानी एअर डिफेन्स के लोगों को यह तो पता चल गया कि भारतीय विमा अंदर घुस गए हैं, पर वे बुरी तरह कन्फ्यूज़्ड हो गए। उनकी समझ में नहीं आया कि ये विमान कहाँ जा रहे हैं। इनमें से कुछ विमान थोड़ा आगे बढ़ कर बालाकोट की ओर निकल गए, दूसरे विमान लौट आए। पाकिस्तानी वायु सेना को लगा कि भारतीय जहाज़ लौट गए। लेकिन तब तक वे विमान बालाकोट पहुँच चुके थे। उन्होंने बमबारी की और वहाँ से लौट आए।
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