साल 2020 में लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के 38 जवान मारे गए थे। यह बात एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'द क्लैक्सन' ने अपनी रिपोर्ट में कही है।
यह रिपोर्ट 1 साल की लंबी पड़ताल के बाद तैयार की गई है। अखबार ने अपनी जांच पड़ताल में चीन के ब्लॉगर्स, चीनी नागरिकों से मिली जानकारी और चीनी अफसरों के द्वारा डिलीट कर दी गई मीडिया रिपोर्ट्स को शामिल किया है।
बता दें कि पहले तो चीन लंबे वक्त तक इनकार करता रहा कि गलवान में हुई झड़प में उसके किसी सैनिक की मौत नहीं हुई है लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया था कि उसके 4 सैनिक इस झड़प में मारे गए हैं।
जबकि भारत ने झड़प के तुरंत बाद स्वीकार किया था कि उसके 20 जवान इस झड़प में मारे गए थे। भारत और चीन के सैनिकों के बीच 1962 के बाद हुई यह सबसे खूनी झड़प थी।
लेकिन अब जब ऑस्ट्रेलियाई अखबार की यह रिपोर्ट सामने आई है तो चीन पर इस मामले में लगातार झूठ बोलने का आरोप लग रहा है।
क्या है रिपोर्ट में?
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 15-16 जून की दरमियानी रात को तेज बह रही गलवान नदी को पार करने की कोशिश में 38 चीनी जवानों की मौत हुई थी। रिपोर्ट कहती है कि चीनी जवान गलवान नदी को अंधेरे में और शून्य तापमान के बीच पार कर रहे थे।
इस रिपोर्ट में वीबो ऐप इस्तेमाल करने वाले कई यूजर्स के हवाले से कहा गया है कि चीनी सेना के कम से कम 38 जवान जूनियर अफसर वांग झुओरान के साथ थे और उस रात नदी में बह गए थे। लेकिन चीन ने सिर्फ वांग को ही मृत घोषित किया था।
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रिपोर्ट कहती है कि इस घटना के बाद चीनी जवानों के शवों को शिक्वान्हे शहीद कब्रिस्तान और फिर इन्हें उनके नजदीकी कस्बों में ले जाया गया।
रिपोर्ट में एक वीबो यूजर के दावे से लिखा गया है कि चीनी सेना इस इलाके के बफर जोन में कुछ निर्माण कार्य कर रही थी और दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए अप्रैल 2020 के बाद से ही वह यहां पर अपनी पेट्रोलिंग को बढ़ाने की भी कोशिश कर रही थी।
रिपोर्ट कहती है कि चीनी सेना ने अपना वादा नहीं निभाया और अपने ढांचे को हटाने के बजाय उसने भारतीय सेना की ओर से नदी को पार करने के लिए बनाए गए ढांचे को गिरा दिया।
अखबार अपनी खबर में एक रिपोर्ट के हवाले से कहता है कि झिनजियांग सेना की एक डिवीजन ने कुछ अफसरों और जवानों को शिक्वान्हे शहीद कब्रिस्तान पर शहीद हुए जवानों की कब्रों पर फूल चढ़ाने के लिए भेजा था।
देखना होगा कि चीन की ओर से इस खबर को लेकर क्या कोई प्रतिक्रिया आती है और चीन कब गलवान में मारे गए अपने सैनिकों की असल संख्या को दुनिया को बताता है।
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