कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में भाग लेने वाले ब्राज़ील के एक नागरिक की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। हालाँकि अब मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि मृतक व्यक्ति को अब तक ट्रायल वाली वैक्सीन नहीं लगाई गई थी। इस बीच वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने साफ़ किया है कि ट्रायल जारी रहेगा। जबकि पहले इस वैक्सीन के ट्रायल में एक व्यक्ति के सिर्फ़ बीमार पड़ने पर ही ट्रायल को रोक दिया गया था। तब कंपनी की ओर से कहा गया था कि उस प्रक्रिया की पूरी समीक्षा के बाद ही ट्रायल को आगे जारी रखा जा सकता है। हालाँकि ताज़ा मामले में ट्रयाल को नहीं रोका गया है। इन कारणों से यह काफ़ी उलझता हुआ मामला लगने लगा है।
यह मामला उस वैक्सीन से जुड़ा है जिसको ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी इसका निर्माण करा रही है। इस कंपनी की वैक्सीन का ट्रायल भारत सहित दुनिया के कई देशों के साथ ही ब्राज़ील में भी चल रहा है। ब्राज़ील की नेशनल हेल्थ सर्विलांस एजेंसी इसकी निगरानी कर रही है। वैसे, यह एजेंसी कई कंपनियों द्वारा ब्राज़ील में किए जा रहे ट्रायल की देखरेख कर रही है। 'वाशिंगटन पोस्ट' की रिपोर्ट के अनुसार, मौत का मामला सामने आने पर ब्राज़ील की नेशनल हेल्थ सर्विलांस एजेंसी ने कहा है कि वॉलंटियर ने ख़ुद से वैक्सीन के लिए हामी भरी थी। एजेंसी ने कहा है कि इसको सोमवार को वॉलंटियर की मौत की जानकारी दी गई। इसने यह भी कहा है एस्ट्राज़ेनेका की सेफ़्टी कमेटी ने ट्रायल को जारी रखने का सुझाव दिया है।
इस बीच ब्राज़ील के अख़बार 'ओ ग्लोबो' ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि वॉलंटियर ट्रायल के कंट्रोल ग्रुप में था और जिसे उस प्रायोगिक वैक्सीन को नहीं दिया गया था। जी1 न्यूज़ सर्विस ने ख़बर दी है कि वॉलंटियर एक 28 वर्षीय डॉक्टर था जिन्होंने रियो डी जेनेरो में कोरोना मरीज़ों का इलाज किया था। हालाँकि उनकी मौत के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है।
एस्ट्राज़ेनेका के प्रवक्ता ने भी वैक्सीन के ट्रायल के बारे में यह कहते हुए कुछ टिप्पणी करने से इनकार किया है कि चालू ट्रायल में किसी व्यक्तिगत केसों में वह टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने क्लिनिकल ट्रायल की गोपनीयता के नियमों का हवाला भी दिया।
कंपनी के प्रवक्ता ब्रेंडन मैकएवॉय ने यह ज़रूर कहा कि हम पुष्टि कर सकते हैं कि सभी आवश्यक समीक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। प्रवक्ता ने कहा, 'सभी महत्वपूर्ण चिकित्सा घटनाओं का मूल्यांकन ट्रायल जाँचकर्ताओं, एक स्वतंत्र सुरक्षा निगरानी समिति और नियामक अधिकारियों द्वारा सावधानीपूर्वक किया जाता है। इन आकलनों से अध्ययन को जारी रखने के बारे में कोई चिंता व्यक्त नहीं की गई है।'
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कहा है कि एक स्वतंत्र समिति द्वारा वॉलंटियर की मौत की समीक्षा की गई थी। इसने एक बयान में कहा,
“
ब्राज़ील में इस मामले के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद, क्लिनिकल ट्रायल की सुरक्षा के बारे में कोई चिंता नहीं की गई है और ब्राजील के नियामक के अलावा स्वतंत्र समीक्षा ने सिफारिश की है कि परीक्षण जारी रहना चाहिए।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का बयान
पिछले महीने रोकना पड़ा था ट्रायल
कोरोना टीका में सबसे आगे रहने वालों में से एक ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को सितंबर महीने की शुरुआत में ही तब झटका लगा था जब ट्रायल में भाग लेने वाला एक व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था। एक प्रतिभागी में एक संदिग्ध गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया देखने को मिलने के बाद इस कोरोना टीके के आख़िरी चरण के परीक्षण को रोक दिया गया था। तब एस्ट्राज़ेनेका के एक प्रवक्ता के बयान में कहा गया था कि 'मानक समीक्षा प्रक्रिया के चलते टीकाकरण को रोक दिया गया है ताकि सुरक्षा डेटा की समीक्षा की जा सके।' एस्ट्राज़ेनेका के प्रवक्ता के बयान में कहा गया था कि 'बड़े स्तर पर परीक्षणों में बीमारी संयोग से होती रही है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक जाँचने के लिए स्वतंत्र रूप से समीक्षा की जानी चाहिए।'
इस फ़ैसले के बाद ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन के ट्रायल को भारत में भी रोक दिया गया था। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया के नोटिस पर सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने भी भारत में इसको रोकने का फ़ैसला किया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी द्वारा तैयार किए जा रहे इस टीके के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ने क़रार किया है। इस क़रार में भारत में परीक्षण और टीके का उत्पादन करना भी शामिल है।
अपनी राय बतायें