अमेरिका खाड़ी में सऊदी अरब की मदद के लिए वॉरशिप और लड़ाकू विमान तैनात करने जा रहा है। अमेरिका ने बुधवार को इस संबंध में एक बयान देकर यह बात कही। अमेरिका ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात पर यमनी विद्रोहियों के मिसाइल हमलों के बाद यह कदम उठाया गया है। यूएई में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि वॉरशिप की तैनाती, "मौजूदा खतरे के खिलाफ यूएई की सहायता" करने के लिए, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान के बीच एक फोन कॉल के बाद हुई।
यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोही संयुक्त अरब अमीरात पर लगातार हमले कर रहे हैं। सोमवार को तीसरा मिसाइल हमला हुआ था।
बयान में कहा गया है कि गाइडेड मिसाइल विध्वंसक यूएसएस कोल यूएई नौसेना के साथ साझेदारी करेगा और अबू धाबी में एक बंदरगाह पर तैनात रहेगा, जबकि अमेरिका पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी तैनात करेगा।
बयान में कहा गया कि अन्य कार्रवाइयों में "प्रारंभिक चेतावनी और खुफिया सूचनाओं को देना जारी रहेगा।" विद्रोही हमलों ने यमन के सात साल के युद्ध में एक नया मोर्चा खोल दिया है, जिसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सैकड़ों हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों विस्थापित हुए हैं।
यमन के विद्रोही यूएई पर लगातार हमले कर रहे हैं।
17 जनवरी को अबू धाबी के तेल संयंत्रों और हवाईअड्डे को निशाना बनाकर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमले में तीन विदेशी कामगारों की मौत हो गई थी।
24 जनवरी को, अबू धाबी के अल धफरा हवाई अड्डे पर तैनात अमेरिकी सेना ने पैट्रियट इंटरसेप्टर फायर किए लेकिन वहां सैनिकों को बंकरों में घुसना पड़ा। हालांकि उसने बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराया गया था।
यूएई ने दावा किया कि सोमवार को इजरायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग के यूएई दौरे के दौरान हुआ तीसरा मिसाइल हमला नाकाम कर दिया गया।
बयान में कहा गया है कि अमेरिका की वॉरशिप तैनाती का इरादा "एक स्पष्ट संकेत है कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से रणनीतिक साझेदार के रूप में यूएई के साथ खड़ा है"।
विद्रोही हमलों ने खाड़ी के तनाव को ऐसे समय में और बढ़ा दिया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता लड़खड़ा रही है, और तेल की कीमतों को सात साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचाने में मदद की है।
यमन का गृहयुद्ध 2014 में तब शुरू हुआ, जब हूतियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सऊदी अरब की सेना ने वहां अपनी समर्थक सरकार बनवाने के लिए वहां हस्तक्षेप करना पड़ा। दुनिया के सबसे बड़े हथियारों के खरीदारों में से एक, यूएई ने 2019 में यमन में फिर से अपने सैनिकों की तैनाती की घोषणा की।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन के संघर्ष ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। यूएन ने इसे दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट कहा है।
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