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तालिबान ने बामियान में अब्दुल अली हज़ारा की मूर्ति तोड़ी

तालिबान भले ही यह दावा करे कि वह 'नया तालिबान' है और किसी के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई नहीं की जाएगी, सच यह है कि उसने बदला लेना शुरू कर दिया है।

एक ताज़ा घटनाक्रम में तालिबान लड़ाकों ने मशहूर शिया हज़ारा नेता अब्दुल अली हज़ारा की मूर्ति तोड़ दी है। 

अब्दुल अली हज़ारा समुदाय के बहुत ही प्रतिष्ठित नेता थे, तालिबान ने 1995 में उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी। उसके बाद बामियान में उनकी मूर्ति स्थापित की गई थी।

तालिबान लड़ाकों ने मंगलवार को उनकी मूर्ति तोड़ दी। 

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हज़ारा अफ़ग़ानिस्तान का अल्पसंख्यक क़बीला है, जिसके लोग इसलाम के शिया संप्रदाय को मानते हैं। हज़ारा जनजाति पर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में कई बार हमले हो चुके हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान को पश्तून आन्दोलन के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसके ज़्यादातर लड़ाके इसी क़बीले के हैं। पश्तून हमेशा ही दबंग रहे हैं, हज़ारा समुदाय से उनकी नहीं बनी है और वे उन्हें निशाने पर लेते रहते हैं।

अब्दुल अली हज़ारा की मूर्ति तोड़ने को इसी रूप में देखा जा रहा है।

अल्पसंख्यकों को संकेत?

सवाल यह है कि क्या इस मूर्ति को तोड़ कर तालिबान ने हज़ारा और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को संकेत दिया है? 

इसी तरह क्या शिया व दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय को भी यह एक संकेत है और आने वाले दिनों में तालिबान प्रशासन के व्यवहार की झलक है?

afghanistan : taliban vandalise  bamiyan abdul ali hazara statue - Satya Hindi
बामियान के पहाड़ पर खोदी गई बुद्ध की प्रतिमा, जिसे तालिबान ने तोड़ दिया।

बामियान बुद्ध की याद

इसके साथ ही लोगों को बामियान बुद्ध की प्रतिमा की याद आई, जिसे तालिबान ने 2001 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विरोध और कई मुसलिम विद्वानों व नेताओं की गुजारिश के बावजूद तोड़ दी थी। 

उनका तर्क था कि इसलाम में बुतपरस्ती यानी मूर्ति पूजा हराम है। 

afghanistan : taliban vandalise  bamiyan abdul ali hazara statue - Satya Hindi
मूर्ति ध्वंस के बाद बामियान xinhuanet

तालिबान ने रविवार को काबुल पर क़ब्ज़ा कर लिया और प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।

उसके बाद से तालिबान के प्रवक्ता कह रहे हैं कि किसी से बदला नहीं लिया जाएगा, महिलाओं को हिज़ाब पहनने पर सबकुछ करने की छूट होगी। 

सोमवार को काबुल के एक गुरुद्वारे जाकर स्थानीय तालिबान कमान्डर ने डरे हुए सिखों व हिन्दुओं को आश्वस्त किया कि उन्हें उनका धर्म मानने की छूट होगी और उनकी सुरक्षा की जाएगी।

इससे लोगों को उम्मीदें बंधी हैं।

 

क्या यह नया तालिबान है और महिलाओं को कुछ छूट दे सकता है? या यह दिखावा है और महिलाओं के प्रति वैसा ही क्रूर होगा जैसा मुल्ला उमर का तालिबान था? देखें, यह वीडियो।
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क़मर वहीद नक़वी
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