कोरोना अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए महामारी साबित हो रहा है, इसे इससे समझा जा सकता है कि पिछले हफ़्ते 52 लाख लोगों ने श्रम कार्यालय जाकर बेरोज़गारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए आवेदन दिए।
बेतहाशा बेरोज़गारी!
अमेरिकी श्रम क़ानूनों के अनुसार नौकरी जाने के बाद कुछ दिनों तक नकद भत्ता मिलता है और नौकरी ढूंढने में मदद दी जाती है, इसके लिए बीमा कराना होता है। इस आवदेन का मतलब यह इतने लोगों की नौकरी चली गई।अमेरिका में पिछले एक महीने में 2.20 करोड़ लोगों की नौकरी गई है। इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन और खुदरा बिक्री में भी ऐतिहासिक गिरावट देखी गई है।
अमेरिकी श्रम विभाग के आँकड़ों के हिसाब से 11 अप्रैल को ख़त्म हुए सप्ताह में 52 लाख लोग बेरोज़गार हुए, वह एक हफ़्ते पहले के आँकड़ों से कम है। इसके पहले के हफ़्ते में 66.20 लाख लोगों ने बेरोज़गारी सुविधाओं का दावा किया था।
अनुमान से बदतर हाल
आईएनजी से जुड़े अर्थशास्त्री जेम्स नाइटली ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा था कि मौजदा 14 प्रतिशत की दर से बेरोज़गारी बढ़ती रही तो बेरोज़गारों की संख्या जल्द ही 1.50 करोड़ हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि साल 2009 के बाद रोज़गार के क्षेत्र में जो बढ़त हासिल हुई थी, वह बेकार चली जाएगी। लेकिन अब तक का ही आँकड़ा उससे आगे निकल चुका है।वजह यह है कि बार, रेस्तरां, दुकान, होटल वगैरह बंद होने से उनमें काम करने वालों को नौकरी से निकाल दिया गया है। इसके अलावा निर्माण कार्य में लोगों की नौकरी भी गई है।
क्या हुआ राहत पैकेज का?
इसके पहले राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2 ट्रिलियन डॉलर के एक आर्थिक पैकेज का एलान किया था। इसमें कहा गया था कि कोरोना की वजह से बेरोज़गार हुए लोगों और कोरोना से लड़ने के लिए उद्योग-धंधों को मदद की जाएगी।इस वायरस से मरने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा अमेरिका में ही है। वहाँ अब तक इस संक्रमण से 37,175 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी चपेट में 7,10,272 आ चुके हैं।
अपनी राय बतायें