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दस अफ़्रीकी देशों में एक भी वेंटीलेटर नहीं, कोरोना से कैसे लड़ेगा यह महादेश?

अफ्रीकी महादेश के कुछ देशों में कोरोना वायरस संक्रमण दस्तक दे रहा है तो कुछ देशों में यह दूसरे चरण में पहुँच कर तेज़ी से फैल रहा है। लेकिन उससे लड़ने की तैयारी का आलम यह है कि हाथ धोने का साबुन और साफ़ पानी तक नहीं है।

पूरे देश में एक वेंटीलेटर नहीं!

वेंटीलेटर ‘विलासिता की चीज’ इस तरह है कि कहीं पूरे देश में 4-5 वेंटीलेटर हैं तो कुछ ऐसे देश भी हैं, जहाँ एक भी वेंटीलेटर नहीं है। ऐसे में इस भयावह रोग से यह महादेश कैसे लड़ेगा? 

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दक्षिण सूडान में जितने वेंटीलेटर हैं, उससे अधिक तो उप राष्ट्रपति हैं। एक करोड़ 10 लाख की जनसंख्या वाले देश में 5 उप राष्ट्रपति और 4 वेंटीलेटर हैं।

अफ्रीका का हाल!

पचास लाख की आबादी वाले सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक के पास 3 तो लाइबेरिया में 5 वेंटीलेटर हैं। इसी तरह दो करोड़ जनसंख्या वाले देश बरकिना फ़ासो में 11 वेंटीलेटर हैं। इन लोगों की स्थिति फिर भी अच्छी है।
पचास लाख की आबादी वाले सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक के पास 3 तो लाइबेरिया में 5 वेंटीलेटर हैं। इसी तरह दो करोड़ की जनसंख्या वाले देश बरकिना फ़ासो में 11 वेंटीलेटर हैं। इन लोगों की स्थिति फिर भी अच्छी है।
अफ़्रीका महादेश के 55 देशों में 10 देश ऐसे हैं, जहाँ एक भी वेंटीलेटर नहीं है। दक्षिण अफ़्रीका अकेला देश है, जहाँ स्वास्थ्य सेवाएं ठीक हैं, अर्थव्यवस्था ठीक है। 

पूरे महादेश में 2 हज़ार वेंटीलेटर

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 41 अफ़्रीकी देशों में कुल मिला कर 2 हज़ार वेंटीलेटर हैं। दूसरी ओर, अकेले अमेरिका में 1,70,000 वेंटीलेटर हैं। 

कुछ विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताईहै कि अधिकतर अफ़्रीकी देशोें में मास्क, साबुन और पानी जैसी बुनियादी चीजों की भी किल्लत है। 

साबुन-पानी तक नहीं

संयुक्त राष्ट्र की 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सब-सहारा अफ़्रीका में सिर्फ़ 15 प्रतिशत लोगों को हाथ धोने का पानी मिल सकता है। संयु्क्त राष्ट्र की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक़, लाइबेरिया में 97 प्रतिशत लोगों को साबुन और पानी नहीं मिलता है। 
नतीजा यह है कि अफ़्रीका में तेज़ गति से कोरोना फैल रहा है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि गिनी में छह दिन में यह संक्रमण दूना हो रहा है जबकि घाना में इसमें 9 दिन लगते हैं। 

लेकिन उसी महादेश के दक्षिण अफ्रीका में वेंटीलेटर की कमी नहीं है, वहाँ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ हैं और मजबूत अर्थव्यवस्था है। 

कई देशों की सरकारों को यह पता ही नहीं है कि उनके पास कितने वेंटीलेटर हैं। अफ्रीका सीडीसी इस कोशिश में है कि सभी अफ्रीकी देशों में यह पता लगाया जाए कि उनके पास कितने वेंटीलेटर हैं ताकि यह अनुमान लगाया जा सके उन्हें और कितनों की ज़रूरत है। 

आईसीयू बिस्तर भी नहीं!

यही हाल कोरोना से लड़ने के लिए दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं की भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अफ्रीका 43 देशों में कुल मिला कर 5 हज़ार इंसेटिस केअर यूनिट के बिस्तर हैं। जनसंख्या के हिसाब से अफ्रीका में  दस लाख लोगों पर 5 बिस्तर हैं जबकि यूरोप में दस लाख पर 4 हज़ार बिस्तर हैं। 

नाइजीरिया के वित्त मंत्री ने टेस्ला मोटर्स के मालिक एलन मस्क से अपील की कि वह उनके देश को 100 वेंटीलेटर दें। चीनी करोड़पति जैक मा ने आश्वस्त किया कि वह 500 वेंटीलेटर देंगे।
कोरोना से लड़े के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की भी अफ्रीका में यही स्थिति है। इथियोपिया की राजधानी अदिस अबाबा के अमेरिका मेडिकल सेंटर में वेंटीलेटर का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाती है। लेकिन यह प्रशिक्षण लेने वाले भी कम संख्या में ही हैं। 

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प्रमोद मल्लिक
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