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नन्दीग्राम में मतदान जारी, मुसलमानों को निशाने पर लेने से शुभेंदु को नुक़सान?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के तहत दूसरे चरण के मतदान में नन्दीग्राम में भी वोट पड़ रहे हैं। मतदान की रफ़्तार धीमी है और छिटपुट शिकायतें भी आ रही हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि नन्दीग्राम के मतदाता राज्य और पूरे देश को क्या संदेश देने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती दे रहे उनके पूर्व सहयोगी शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव प्रचार में मुसलमानों को निशाने पर लिया है।

इस विधानसभा सीट में पर नन्दीग्राम 1 पंचायत में 35 प्रतिशत तो नन्दीग्राम 2 पंचायत में 15 प्रतिशत मुसलमान हैं। कुल मिला कर यहां 26 प्रतिशत मुसलिम वोटर हैं। ऐसे में मुसलमानों पर लगातार हमले से क्या शुभेंदु अधिकारी को राजनीतिक नुक़सान होगा या उन्हें फ़ायदा होगा?

मुसलमानों को आरक्षण, मदरसे खोलने और मुसलिमों के विकास के लिए अब तक सबसे ज़्यादा पैसा देने के फ़ैसलों पर मुहर लगाने वाले शुभेंदु अधिकारी अब कहते फिर रहे हैं कि ममता जीत गई तो बंगाल 'मिनी पाकिस्तान' बन जाएगा।

 कुछ दिन पहले तक ममता बनर्जी के खास रहे और उनकी सरकार में मंत्री पद भोग चुके शुभेंदु बाबू अब उसी ममता बनर्जी को 'बेग़म' कह कर संबोधित कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि 'बेगम मुसलमानों की 'फूफू' और 'खाला' हैं। इतना ही नहीं, वे खुले आम कह रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस नंदीग्राम से जीत गई तो हिन्दुओं को धोती पहनने और कंठी यानी तुलसी की माला पहनने की छूट भी नहीं मिलेगी। शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक उनकी 'दीदी' अब 'बेग़म' बन चुकी हैं।

जिस तरह पूरे चुनाव प्रचार अभियान का सांप्रदायिककरण कर दिया गया है, वैसा पश्चिम बंगाल में कभी नहीं हुआ था। लोगों को इस पर अचरज भी रहा है। 

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सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

नंदीग्राम विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देने वाले शुभेंदु अधिकारी ने पूरे चुनाव प्रचार का जिस तरह सांप्रदायिककरण कर दिया है और मुसलमानों को निशाने पर लिया और वे इस काम में जितने आक्रामक हैं, उससे नंदीग्राम ही नहीं पश्चिम बंगाल पर नज़र रखने वाले पर्यवेक्षक अचंभित हैं। वे राज्य के विकास की बात नहीं करते, ममता बनर्जी की नीतियों की आलोचना पर मुखर नहीं हैं, वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर पूरा ज़ोर दे रहे हैं। 

इसे उनके कुछ भाषणों से समझा जा सकता है। अधिकारी ने 29 मार्च को नंदीग्राम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा है, "बेग़म यदि जीत गईं तो बंगाल को मिनी पाकिस्तान बना देंगी।"

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'दीदी' बन गईं 'बेग़म'?

'बेग़म' से उनका तात्पर्य ममता बनर्जी से था, जिन्हें वह अभी भी गाहे- बगाहे 'दीदी' कह देते हैं। 

इसी सभा में उन्होंने कहा, "माननीया बेग़म राज्य के लोगों को बहुत ही दुख-दर्द दे रही है।" 

इसी दिन उन्होंने 27 मार्च को पहले चरण के मतदान के दौरान पूर्वी मेदिनीपुर में हुई हिंसा पर कहा,

"पाकिस्तानियों ने हिंसा की है। पाकिस्तानियों ने पटाशपुर के थाना प्रभारी के ऊपर बम फेंका है।"


शुभेंदु अधिकारी, बीजेपी उम्मीदवार, नंदीग्राम

निशाने पर मुसलमान

उनका संकेत मुसलमानों की ओर था। सवाल यह भी उठता है कि अधिकारी जिस बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, वह केंद्र में है और उसने पाकिस्तानियों को देश में घुसने कैसे दिया। यदि शुभेंदु बाबू का आरोप सही है तो गृह मंत्री अमित शाह जिसकी मौजूदगी में वह बीजेपी में शामिल हुए, उनसे पाकिस्तानियों के मेदिनीपुर पहुँचने पर सवाल पूछे जाने चाहिए। 

इसके दो दिन पहले उन्होंने कहा था, "जो लोग पाकिस्तान की जीत पर पटाखे फोड़ते हैं और पार्टी करते हैं वे ही मेरा विरोध कर रहे हैं।" 

शुभेंदु अधिकारी ने 22 मार्च को नंदीग्राम के भेकुटिया बाज़ार में एक रैली में कहा था, "तृणमूल अब अमिरुल, सूफ़ियाँ, समद और शहाबुद्दीन के हाथों में है, जो पाकिस्तान के जीतने पर पटाखे फोड़ते हैं।" 

इतना ही नहीं, उन्होंने इसी सभा में इसके आगे जोड़ा,

"यदि तृणमूल कांग्रेस जीत गई तो आप धोती नहीं पहन पाएँगे और न ही कंठी (तुलसी की माला) गले में डाल पाएंगे।"


शुभेंदु अधिकारी, बीजेपी उम्मीदवार, नंदीग्राम

सूफ़ियाँ के बहाने मुसलमानों पर हमला?

नंदीग्राम में ममता बनर्जी के मुख्य चुनाव एजेंट शेख सूफियाँ कहते हैं, "सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कोई समीकरण अधिकारी के लिए काम नहीं कर रहा है, वे इतना नीचे गिर गए हैं कि उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है।"

यह दिलचस्प बात है कि शेख सूफ़ियाँ पहले शुभेंदु अधिकारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस में थे। जब 2007 नंदीग्राम में ज़बरन ज़मीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति बनी तो उसमें सूफ़ियाँ भी थे और शुभेन्दु भी। 

शुभेंदु अधिकारी ने सूफियाँ को निशाने पर लेते हुए इसी सार्वजनिक सभा में कहा,

"यदि आपको कोई काम करवाना हो, किसी काग़ज़ पर दस्तख़त करवाना हो तो क्या आप सूफ़ियाँ के घर जाएंगे? महिलाओं के लिए रात में सूफ़ियाँ के घर जाना सुरक्षित नहीं है।"


शुभेंदु अधिकारी, बीजेपी उम्मीदवार, नंदीग्राम

होली पर राजनीति?

शुभेंदु अधिकारी ने होली जैसे मौके को भी नहीं छोड़ा और इसका इस्तेमाल ममता बनर्जी पर हमला करने में किया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को अब 'ईद मुबारक' कहने की आदत पड़ चुकी है, इसलिए उन्होंने होली पर 'होली मुबारक़' कहा है। 

ममता बनर्जी के इस पूर्व सहयोगी ने दाऊदपुर की एक सभा में कहा, "हमने पहले कभी नंदीग्राम में पाकिस्तानियों को गुंडागर्दी करते नहीं देखा था। अब नंदीग्राम को तय करना है कि बेग़म को जितवाना है ताकि सूफ़िया के हाथ मजबूत हों या नहीं।" 

पश्चिम बंगाल की राजनीतिक संस्कृति सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और निजी हमले की इज़ाज़त नहीं देती। इसलिए समझा जाता है कि नन्दीग्राम के हिन्दू वोटर भी शुभेन्दु के मुसलमान-विरोधी प्रचार को नापसंद कर रहे हैं।

छोटे-छोटे पाकिस्तान!

शुभेंदु अधिकारी ने 20 मार्च को नंदीग्राम की एक सभा में कहा, "आपको फ़ैसला करना है कि आपको नंदीग्राम का बेटा चाहिए या आप नंदीग्राम को शेख सूफ़िया की नज़र से देखते हैं।" 

उन्होंने आगे कहा,

"तृणमूल कांग्रेस ने अलग-अलग ग्राम पंचायतों में छोटे-छोटे पाकिस्तान बना रखे हैं। यदि पाकिस्तान क्रिकेट मैच जीतता है, वे पटाखे फोड़ते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं, मांस खाते हैं। क्या आप नंदीग्राम उनके हाथ में देना चाहते है, जरा सोच कर देखिए।"


शुभेंदु अधिकारी, बीजेपी उम्मीदवार, नंदीग्राम

ममता की मॉर्फ़्ड तसवीर

इसके अलावा बीजेपी ने पूरे नंदीग्राम में जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं, जिनमें ममता बनर्जी की मॉर्फ़ की हुई तसवीर लगाई गई है, जिसमें वे हिजाब पहनी हुई और नमाज पढ़ती हुई दिखाई गई हैं। 

 

शुभेंदु अधिकारी ने 7 मार्च को एक जनसभा में कहा, "आप (ममता बनर्जी) घुसपैठियों की फूफू (बुआ) और रोहिंग्या मुसलमानों की खाला (मौसी) हैं। यहाँ कोई आपको बंगाल की बेटी नहीं मान सकता है।" 

लेकिन हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण और मुसलमानों को निशाने पर लेने की रणनीति सिर्फ शुभेंदु अधिकारी की नहीं है, बीजेपी की है।

योगी आदित्यनाथ ने नंदीग्राम में चुनाव रैली को संबोधित किया है, खुले आम 'लव जिहाद' की बात कही और दावा किया कि बीजेपी जीतेगी तो यूपी की तरह पश्चिम बंगाल में भी यह क़ानून लाया जाएगा ताकि हिन्दू महिलाओं की इज्ज़त सुरक्षित रहे।

मुसलिम तुष्टीकरण का मुद्दा

केंद्रीय मंत्री ने स्मृति ईरानी ने भी इस विधानसभा क्षेत्र में प्रचार किया और ममता बनर्जी पर मुसलिम तुष्टीकरण का आरोप लगाते हुए बेहद तीखा हमला बोला। लेकिन कंद्रीय कपड़ा मंत्री ने राज्य में लगभग बंद हो चुके जूट उद्योग को दुरुस्त करने पर कोई बात नहीं की। उनका पूरा ज़ोर मुसलिम तुष्टीकरण पर ही था। 

हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशों से शुभेंदु अधिकारी को कितना फ़ायदा मिलेगा, इस पर सवाल उठने लगा है क्योंकि पश्चिम बंगाल की राजनीति में इस तरह का चुनाव प्रचार अब तक किसी नहीं किया है, बीजेपी ने भी नहीं।

उलटा पड़ेगा दाँव?

सोनाचूड़ा गाँव के गोबिन्द बेरा ने 'आउटलुक' से कहा, "शेख़ सूफ़ियाँ और अबू ताहिर नंदीग्राम में शुभेन्दु अधिकारी के दो हाथ हुआ करते थे। उसके साथ इन दोनों ने तृणमूल कांग्रेस नहीं छोड़ा तो शुभेंदु उन्हें अब पाकिस्तानी कह रहे हैं।" 

दूसरी ओर, नंदीग्राम के मुसलिम- बहुल इलाक़ों में बीजेपी के ख़िलाफ़ लोगों में गुस्सा बढ़ रहा है। शम्सादाबाद, केंदामारी, दाऊदपुर और अमदाबाद में बीजेपी का सामान्य संगठन तक नहीं है। यहाँ के लोग मुसलमानों को पाकिस्तानी कहे जाने से उबल रहे हैं और अपमानित महसस कर रहे हैं। 

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अपमानित महसूस कर रहे हैं मुसलमान?

नंदीग्राम में दो ग्राम पंचायते हैं-नंदग्राम एक और नंदीग्राम दो। पहले में मुसलमानों की आबादी लगभग 35 प्रतिशत है और दूसरे में लगभग 15 प्रतिशत। लोकसभा चुनाव 2019 में नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी को 62 हज़ार वोट मिले थे। उस समय शुभेंदु अधिकारी टीएमसी में थे। समझा जाता है कि ये वोट उन लोगों के थे जो शुभेंदु अधिकारी से नाराज़ थे। 

पर्यवेक्षक शुभेंदु अधिकारी के चुनाव प्रचार से चकित हैं। उनकी छवि मोटे तौर पर धर्मनिरपेक्ष नेता की रही है। जिस सूफ़ियाँ पर वे इस तरह निर्मम हमले कर रहे हैं, वे उनके ख़ास व्यक्ति रहे हैं।

इतने दिन क्यों चुप रहे शुभेंदु?

बीजेपी वोटों का ध्रुवीकरण करती है, मुसलमानों को निशाने पर लेती है, पर उसकी भी एक सीमा है। लेकिन अधिकारी जिस तरह का प्रचार कर रहे हैं, उससे लोग स्तब्ध हैं।

दूसरी बात यह है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। विरोधियों पर घात-प्रतिघात होते रहे हैं, मारपीट और हमले भी हुए हैं, लोग मारे भी गए हैं, पर किसी खास समुदाय के बारे में इतनी ज़हरीली बात कभी किसी नहीं कही है। 

यह बात भी दिलचस्प है कि शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी या सरकार में रहते हुए कभी मुसलमानों के बारे में इस तरह की बात नहीं कही। इमामों को वेतन दिए जाने, मुहर्रम के दिन दुर्गा विसर्जन नहीं होने, अंग्रेजी माध्यम के सरकारी मदरसे या मुसलिमों के लिए अब तक के सबसे बड़े सरकारी अनुदान या बजट में सबसे अधिक पैसे के प्रावधान पर शुभेंदु अधिकारी ने कभी कुछ नहीं कहा। अब वे न सिर्फ ममता बनर्जी को 'बेग़म', 'फूफू', 'खाला' आदि से संबोधित करते हैं, बल्कि मुसलमानों को खुले आम 'पाकिस्तानी' क़रार देते हैं। 

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प्रमोद मल्लिक
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