जय श्री राम!
अमित शाह ही नहीं, नरेंद्र मोदी ने भी 2017 में ही पश्चिम बंगाल में 'जय श्री राम' का नारा उछाला और 2019 के लोकसभा चुनाव की हर रैली और हर मीटिंग में इस नारे को उछालते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि इस नारे को लगाने वाले को पुलिस गिरफ़्तार कर लेती है। उन्होंने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर मुसलिम तुष्टीकरण ही नहीं, हिन्दू-विरोधी होने के आरोप भी लगाए।पश्चिम बंगाल में अंदर ही अंदर मजबूत बंगाली राष्ट्रवाद हमेशा ही रहा है। वह मराठी राष्ट्रवाद की तरह उग्र भले न हो, पर बाहरी लोगों के प्रभुत्व के ख़िलाफ़ हमेशा रहा है।
ममता का पलटवार
ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा था कि ये बाहरी लोग बंगाल को नहीं समझ सकते और बंगाली अस्मिता, बंगाली पहचान और बंगाली गौरव पर चोट कर रहे हैं।उत्तर भारतीय राष्ट्रवाद
बीजेपी के केंद्रीय नेताओं को यह समझने में देर हुई कि पश्चिम बंगाल में राम उत्तर भारत की तरह लोकप्रिय देवता नहीं हैं, वे उत्तर प्रदेश की तरह गाँव-गाँव नहीं पूजे जाते हैं, 'जय श्री राम' का नारा बंगाली मानसिकता और वहां की धार्मिक-संस्कृति बुनावट के अनुकूल नहीं है।मातृका पूजा और देवी पूजन करने वाले समाज में दुर्गा गाँव की बेटी समझी जाती है जो साल में एक बार अपने बच्चों के साथ मायके आती है और लोग 'दुर्गा एसछे' कह कर उसकी पूजा करते हैं। इस समाज में राम बिल्कुल बाहरी हैं, वे देवता भले ही हों, पर यहां स्वीकार्य नहीं हैं।
'जय मां काली'
अब बीजेपी ने 'जय मां काली' का नारा लगाने की तैयारी कर ली है।धार्मिक संस्थाओं तक पहुँचेगी बीजेपी
यह कमेटी इस्कॉन, राम कृष्ण मिशन, अनुकूल देव के ऑश्रम, कीर्तनिया समाज, भारत सेवाश्रम, हिन्दू मिलन समाज और इस तरह की तमाम संस्थाओं से संपर्क करेगी और उनके नेतृत्व से कहेगी कि वह चुनाव के ठीक पहले बीजेपी को वोट देने की अपील जारी कर दें।Had the profound fortune of spending time at the Ramakrishna Mission & pay tributes to Swami Vivekananda ji. He was a great son of Mother India who devoted his life to National Resurgence. May his ideals continue to inspire us to transform India into a land of enlightened wisdom. pic.twitter.com/8dJCjiLPot
— Amit Shah (@AmitShah) December 19, 2020
सौभाग्य की बात है कि मैं उस स्थान पर आया हूं जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए चेतना जागृत करने का केंद्र है।
— Amit Shah (@AmitShah) December 19, 2020
स्वामी विवेकानंद जी ने आधुनिकता और अध्यात्म को जोड़ने का काम किया।
स्वामी जी के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर यहां से नई चेतना प्राप्त करके जा रहा हूँ। pic.twitter.com/MDOVPCdo2y
क्या करेंगी ये संस्थाएं?
लेकिन सवाल यह है कि क्या ये संस्थाएं किसी राजनीतिक दल के पक्ष में वोट डालने की अपील करेंगी? पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी इस बारे में एक बार फिर ग़लती कर रही है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में ऐसा नहीं होता है कि कोई सामाजिक या धार्मिक संस्था किसी राजनीतिक दल का खुले आम समर्थन करे या उसके अनुयायी उसे मान लें।यह भी अहम है कि यदि रामकृष्ण मिशन या इस्कॉन ने बीजेपी को वोट देने की अपील की तो उसके अनुयायियों का बड़ा समूह उसके ख़िलाफ़ हो जा सकता है क्योंकि वहां राजनीतिक विवाद की रेखाएं ज़्यादा गहरी खिंची हुई हैं।
काली के उद्घोष से फ़ायदा होगा?
ऐसे में 'जय मां काली' का उद्घोष कितना कारगर होगा, यह सवाल भी महत्वपूर्ण है। जिस तरह 'जय श्री राम' के नारे का राजनीतिकरण किया गया और उसे उग्र हिन्दुत्व के प्रतीक के रूप में स्थापित कर दिया गया, 'जय मां काली' के साथ ऐसा नहीं हो सकता है।बीजेपी ने जिस तरह 'जय श्री राम' नारे का इस्तेमाल एक समुदाय विशेष को डराने के लिए किया और इसके आधार पर बहुसंख्यक हिन्दू समाज को एकजुट कर उसे वोटों में तब्दील करने की कोशिश की, वैसा 'जय मां काली' नारे के साथ नहीं हो सकता।
इस नारे के आधार पर न तो किसी समुदाय को डराया जा सकता है न ही हिन्दुओं को एकजुट किया जा सकता है क्योंकि यह लोगों की मानसिकता नें रचा-बसा हुआ है।
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