पूर्णिमा दास
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हेमंत सोरेन
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अब संदेशखाली मामले में बीजेपी नेता और संदेशखाली घटना को सामने लाने वाली महिलाओं में से एक सिरिया परवीन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बीजेपी पर इस पूरी संदेशखाली घटना की 'पटकथा' लिखने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस मामले में पैसे दिए जाने का आरोप भी लगाया है। बीजेपी से इस्तीफ़ा देते हुए वह गुरुवार को टीएमसी में भी शामिल हो गईं। परवीन ने ये गंभीर आरोप बशीरहाट में मतदान से कुछ दिन पहले लगाए हैं।
इस मामले में गुरुवार शाम को टीएमसी की ओर से एक एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें पूर्व बीजेपी नेता सिरिया ने बीजेपी पर बशीरहाट लोकसभा उम्मीदवार रेखा पात्रा को पैसे देने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपना आंदोलन जारी रखने के लिए पैसे और मोबाइल फोन दिए गए, बलात्कार के झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए।
"Whatever came before was a conspiracy and whatever transpires henceforth will also be part of a pre-planned conspiracy!"
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) May 23, 2024
– Siria Parveen, Ex-BJP GS, Basirhat OD pic.twitter.com/pG0pV9DPkd
सिरिया परवीन ने मीडिया के सामने कहा, 'संदेशखाली और बशीरहाट में मैंने उन महिलाओं के साथ रहने की कोशिश की, जिन्होंने छेड़छाड़ और उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मैं सच्चाई के लिए लड़ रही थी। बाद में मैंने देखा कि यह केवल एक कहानी, एक स्क्रिप्ट थी। इसमें मोबाइल, मीडिया और पैसे का इस्तेमाल किया गया था और उन्होंने (बीजेपी नेताओं ने) इसके जरिए निर्देश दिए।'
उन्होंने कहा, 'भाजपा टीएमसी के खिलाफ लड़ती है। जब मुझे पता चला कि टीएमसी के लोग और नेता निष्पक्ष हैं और उन्होंने कोई गलती नहीं की है, तब मैंने फैसला किया कि मैं फर्जी चीजों के साथ आगे नहीं बढ़ूंगी।'
परवीन ने यह भी दावा किया कि उनके पास यह साबित करने के लिए कई सबूत हैं कि भाजपा नेताओं ने संदेशखाली घटना की स्क्रिप्ट लिखी थी। परवीन ने भाजपा नेताओं पर संदेशखाली की महिलाओं को बरगलाने के निर्देश देने के लिए 'सिम कार्ड और फोन' का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
इस साल की शुरुआत में संदेशखाली तब सुर्खियों में आया जब कई महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। उन पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
क़रीब एक पखवाड़े पहले ही एक महिला और उनकी सास ने तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अपनी बलात्कार की शिकायत वापस ले ली है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनसे बलात्कार का फर्जी केस कराया गया था। उन्होंने तो यह भी आरोप लगाया है कि उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए थे। महिलाओं ने इस संदर्भ में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है और केस वापस लेने की वजह से धमकी व बहिष्कृत किए जाने की आशंका जताई है।
मीडिया से बात करते हुए महिला ने बताया था कि कैसे उन्हें और उनकी सास को महिला आयोग के नाम पर शिकायत के तथ्य को जाने बिना शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने कहा कि जिस दिन राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम ने दौरा किया था, उसी दिन पियाली नाम की एक महिला ने उन्हें अपनी शिकायतें बताने के लिए बुलाया। महिला ने कहा, 'मैंने उन्हें बताया कि हमें 100 दिनों की नौकरी योजना के तहत पैसे नहीं मिले हैं। मुझे केवल वह पैसा चाहिए था और कोई अन्य शिकायत नहीं है। कोई बलात्कार नहीं हुआ। उसने (पियाली) हमसे एक खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाए।' उन्होंने कहा कि बाद में उन्हें पता चला कि वह उन महिलाओं की सूची में थीं जिन्होंने स्थानीय तृणमूल नेताओं पर बलात्कार का आरोप लगाया था।
महिला ने पियाली पर संदेशखाली को बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'वह एक बाहरी व्यक्ति है, वह कहीं और से आई है और बड़ी-बड़ी बातें करती है। हमें नहीं पता कि उसे यहां हर किसी के बारे में जानकारी कैसे है। शुरुआत में वह सिर्फ यहां विरोध प्रदर्शन में भाग लेती थी। हमें बाद में पता चला कि वह बीजेपी के साथ है। हमसे झूठ बोलने और हमें फँसाने के लिए दंडित किया जाना चाहिए, मुझे यकीन है कि और भी लोगों को इस तरह धोखा दिया गया होगा।'
बता दें कि मई महीने की शुरुआत में संदेशखाली विवाद में तब एक चौंकाने वाला मोड़ आ गया था जब एक स्थानीय भाजपा नेता का एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में एक नेता को कथित तौर पर यह स्वीकार करते हुए दिखाया गया है कि संदेशखाली में कोई बलात्कार या यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था और महिलाओं को अधिकारी के निर्देश पर ऐसी शिकायतें दर्ज करने के लिए राजी किया गया था।' हालाँकि भाजपा और वीडियो में दिखने वाले नेता ने दावा किया है कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई है और उनकी आवाज को एडिट किया गया है। पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई है।
तो सवाल है कि जिस संदेशखाली मामले को पूरे देश के सामने दरिंदगी और भयावह घटना के रूप में पेश किया गया, जिस घटना को बीजेपी ने पूरी शिद्दत से उठाया और जिस मामले को प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ़ उठाया, बल्कि उन्होंने संदेशखाली का दौरा तक किया, उसमें क्या कोई बड़ी साज़िश की गई थी?
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