तृणमूल कांग्रेस विधायक इदरीस अली ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी वही हश्र होगा जो श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का हुआ। भारी विरोध-प्रदर्शन के बीच गोटाबाया राजपक्षे को शनिवार को अपने आधिकारिक आवास से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने उनके इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रपति आवास पर धावा बोल दिया।
टीएमसी विधायक की यह टिप्पणी तब आई है जब श्रीलंका की राजनीति में भारी उथल-पुथल का दौर चल रहा है। एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में बड़े पैमाने पर अब राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। राष्ट्रपति आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है और प्रधानमंत्री के घर में आग लगा दी गई। अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है।
प्रदर्शनकारियों की मांग के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अगले बुधवार को पद छोड़ देंगे। देश की संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने इसकी घोषणा की है। अभयवर्धने ने कहा, '13 जुलाई को पद छोड़ने का फ़ैसला शांतिपूर्ण तरीक़े से सत्ता का हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए किया गया। इसलिए मैं जनता से क़ानून का सम्मान करने और शांति बनाए रखने का अनुरोध करता हूं।'
राष्ट्रपति के इस्तीफे के साथ ही स्पीकर एक महीने तक राष्ट्रपति का कार्यभार संभालेंगे और इस दौरान वहाँ की संसद नये राष्ट्रपति का चुनाव करेगी। इस बीच ख़बर है कि देश में अब सर्वदलीय सरकार बनाने की चर्चा शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी है।
इदरीस अली ने कहा है कि ममता बनर्जी को आमंत्रित नहीं करना एक अन्याय है क्योंकि उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए इस परियोजना की शुरुआत की थी। उद्घाटन समारोह में राज्य सरकार के किसी भी गणमान्य व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किए जाने से टीएमसी ग़ुस्से में है।
इससे पहले, ममता बनर्जी को विक्टोरिया मेमोरियल में गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक आधिकारिक कार्यक्रम से बाहर रखा गया था। टीएमसी ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा था कि केंद्र सरकार विभाजनकारी राजनीति कर रही है। हालाँकि, बीजेपी ने टीएमसी पर बीजेपी विधायकों और सांसदों को राज्य सरकार के कार्यक्रमों में न बुलाने की परंपरा शुरू करने का आरोप लगाया था।
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