कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को संदेशखाली की स्थिति को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर कड़ा प्रहार किया। हाईकोर्ट ने कहा कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शेख शाहजहाँ का राज्य सरकार समर्थन नहीं करे। वो नेता "भाग नहीं सकते।" भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के संदेशखाली जाने की अनुमति के अनुरोध पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस टीएस शिवगणम ने कहा कि अदालत ने संदेशखाली में महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों पर गौर किया है। हमने शिकायतें देखी हैं, क्षेत्र की महिलाओं ने मुद्दे उठाए हैं, कुछ जमीन पर कब्जा किया गया है। यह व्यक्ति (शेख शाहजहाँ) भाग नहीं सकता। राज्य सरकार इसका समर्थन नहीं कर सकती।
चीफ जस्टिस ने कहा कि पहली नजर में ही पता चलता है कि शाहजहाँ ने "जनता को नुकसान पहुँचाया है"। उन्होंने कहा, "कथित अपराध करने के बाद वह भाग रहा है। हमें नहीं पता कि उसे सुरक्षा मिली है या नहीं, लेकिन उसे सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि राज्य पुलिस उसे सुरक्षित करने में सक्षम नहीं है, या वह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।"
शाहजहाँ के फरार रहने और धारा 144 लागू करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए, अदालत ने राज्य सरकार के वकील से कहा, "आप सिर्फ तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर रहे हैं। आप स्थानीय लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं।"
कौन है शेख शाहजहां उर्फ शाहजहां शेख
भ्रष्टाचार के एक मामले में संदेशखाली के पास उसके घर पर छापा मारने गई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम पर भीड़ के हमले के बाद शाहजहाँ एक महीने से फरार है। पिछले कुछ हफ्तों में, स्थानीय निवासी तृणमूल के कद्दावर नेता और उनके सहयोगियों के खिलाफ जमीन हड़पने और जबरन वसूली के आरोप लगाने लगे हैं। भाजपा ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है। शाहजहां के सहयोगी उत्तम सरकार और शिबू हाजरा समेत कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस और बंगाल की मीडिया के मुताबिक शाहजहां शेख अपने नाम से उतना मशहूर नहीं हैं, जितना भाई के नाम से। 42 साल के शाहजहां शेख ने बांग्लादेश सीमा के पास 24 उत्तर परगना के संदेशखाली ब्लॉक में मछली पालन में एक छोटे से कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की। टीएमसी से शुरू से जुड़े रहे। धीरे-धीरे वो राज्य के मछली पालन क्षेत्र के बेताज बादशाह बन गए। लेकिन अभी तक जीवन काफी संघर्षशील रहा है।
चार भाई-बहनों में सबसे बड़े, शेख ने संदेशखाली में मछली पालन से पहले ईंट भट्टों में एक मजदूर के रूप में शुरुआत की। 2004 में, उन्होंने ईंट भट्टा यूनियन नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। बाद में वह पश्चिम बंगाल में बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बावजूद अपनी उपस्थिति बनाए रखते हुए सीपीएम में शामिल हो गए।
तेवर वाले भाषण और संगठन खड़ा करने की क्षमता के लिए जाने जाने वाले शेख ने 2012 में टीएमसी नेतृत्व का ध्यान आकर्षित किया। टीएमसी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय और 24 उत्तर परगना टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रियो मुलिक के नेतृत्व में, वह पार्टी में शामिल हो गए और जल्दी ही सत्ता में आ गए, और मलिक के करीबी सहयोगी बन गए। उनकी राजनीतिक तरक्की से बाकी राजनीतिक दलों की आंखें चढ़ी हुई हैं। 2018 में, शेख को सरबेरिया अग्रघाटी ग्राम पंचायत के उप प्रमुख के रूप में प्रसिद्धि मिली थी। वर्तमान में संदेशखाली टीएमसी इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। उनका राजनीतिक कद तब चरम पर जा पहुंचा, जब उन्होंने पिछले साल जिला परिषद की सीट हासिल की।
24 उत्तर परगना जिले में शेख मछली विकास की देखरेख करते हैं, जो राजनीतिक और आर्थिक दोनों क्षेत्रों में उनकी प्रभावशाली स्थिति को बताता है। अपनी राजनीतिक भूमिकाओं के अलावा, शेख क्षेत्र में आपसी लड़ाई झगड़े, पारिवारिक विवादों और जमीन विवाद में आपसी मध्यस्थता के लिए जाने जाते हैं। उन्हें यहां के लोग भाई कहते हैं।
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