फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में उनकी एक्स गर्लफ़्रेंड रिया चक्रवर्ती को जिस तरह निशाने पर लिया गया, उससे पश्चिम बंगाल के कुछ राजनीतिक दलों और आम लोगों में नाराज़गी दिखती है।
हमने देखा कि रिया को सुशांत की हत्यारी साबित करने से लेकर उस पर सुशांत के खाते से 15 करोड़ की हेर-फेर करने का आरोप लगाया गया लेकिन कुछ भी साबित नहीं हुआ। इस बीच, बीजेपी के नेताओं ने रिया के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने में कोई कमी नहीं छोड़ी।
यहां तक कि बेहद पढ़े-लिखे और समझदार नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तक रिया को विषकन्या बता दिया। बिहार सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी और बिहार से बीजेपी विधायक नीरज सिंह ने भी यही बात कही। इसके ख़िलाफ़ आम बंगालियों में ग़ुस्सा है।
पश्चिम बंगाल में अगले साल मई-जून तक विधानसभा के चुनाव हो जाएंगे। बमुश्किल 9 महीने का वक्त बचा हुआ है। बीजेपी ने बंगाल में सरकार बनाने के लिए सारे घोड़े खोल रखे हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने के अभियान से लेकर, राष्ट्रवाद, बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा, सीएए-एनआरसी से लेकर मुसलिम तुष्टिकरण के आरोप लगाकर पार्टी ने माहौल गर्मा रखा है।
बीजेपी का मक़सद हर हाल में बंगाल में अपनी सरकार बनाना है। लेकिन जिस तरह कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा रिया का चरित्र हनन सोशल मीडिया पर किया गया और इससे जो नाराज़गी बंगालियों में पैदा हुई है, उससे उसका मक़सद पूरा होना अब आसान नहीं लगता।
बंगाली राष्ट्रवाद को उभारने की कोशिश
रिया को निशाना बनाए जाने पर पश्चिम बंगाल के विपक्षी दलों का कहना है कि इससे पता चलता है कि बंगाली हमेशा से ही बीजेपी के निशाने पर रहे हैं। इन दलों के द्वारा रिया के पक्ष में बयान देकर बंगाली राष्ट्रवाद को उभारने की कोशिश की जा रही है।
राज्य की राजनीति में एक-दूसरे के विरोधी होने के बाद भी सीपीआई(एम), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एकजुट होकर बीजेपी पर हमला बोला है।
‘बीजेपी की मानसिकता दिखी’
पीटीआई के मुताबिक़, टीएमसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौगुता राय ने कहा, ‘रिया को बंगाली होने के कारण अदालत में उसका अपराध साबित होने से पहले ही निशाना बनाना शुरू कर दिया गया। इस नफ़रत भरे अभियान से एक बार फिर बंगालियों के प्रति बीजेपी की मानसिकता सामने आ गयी है।’ सौगुता ने कहा कि हमने इस तरह का माहौल असम में एनआरसी को लेकर भी देखा है। बता दें कि बंगाल की तरह असम में भी बीजेपी अवैध रूप से आए बांग्लादेशियों की घुसपैठ का मुद्दा उठाती रही है।
कांग्रेस भी हमलावर
इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ड्रग्स के आरोपों को लेकर रिया की गिरफ़्तारी को बेबुनियाद बताया था। चौधरी ने कहा था कि रिया के पिता सेना में अफसर रहकर देश की सेवा कर चुके हैं। रिया को बंगाली ब्राह्मण महिला बताते हुए उन्होंने कहा था कि रिया के पिता को भी अपने बच्चों के लिए न्याय मांगने का अधिकार है।
चौधरी ने कहा था कि बीजेपी ने बिहार के चुनाव में फायदा लेने के लिए सुशांत को भारतीय अभिनेता से बिहारी अभिनेता बना दिया। पश्चिम बंगाल के अहम विपक्षी दल सीपीआई (एम) ने भी रिया को निशाना बनाए जाने की निंदा की है।
विपक्षी नेताओं के बयानों और रिया को निशाना बनाए जाने के बाद बंगाल के आम लोगों के बीच बंगाली स्वाभिमान और स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी उठ रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीजेपी पर यह कहकर हमला बोलती रही हैं कि उसे बंगाल की संस्कृति, यहां के महापुरुषों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
बंगालियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन बांग्ला पोक्खो के नेता कौशिक मैती ने पीटीआई से कहा, ‘जिस तरह बीजेपी ने बंगाली महिलाओं पर हमला किया है, उससे पता चलता है कि वह हमारी बेटियों और महिलाओं से कितनी नफरत करती है।’ मैती ने कहा कि बीजेपी बंगाल की सत्ता पर कब्जा करने का सपना देख रही है लेकिन वह बंगाल और बंगालियों की जरा सी भी इज्जत नहीं करती।
कुछ बंगालियों का भी कहना है कि अगर किसी ने कोई अपराध किया है तो उसे क़ानून के मुताबिक़ सजा दी जानी चाहिए। लेकिन अपराध साबित होने से पहले ही एक बंगाली महिला के ख़िलाफ़ अभियान चलाना बंगाली समुदाय के प्रति बीजेपी की नफरत को दिखाता है।
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