सी-वोटर ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के लोगों का मूड भाँपने के लिए उनसे कुछ सवाल पूछे जैसे वर्तमान राज्य सरकार का काम कैसा चल रहा है, आपके लिए चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है, आप किस व्यक्ति का राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं आदि-आदि।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में लेखानुदान यानी 'वोट ऑन अकाउंट' पेश करते हुए सरकार ने एलान किया कि राजधानी कोलकाता में 100 करोड़ रुपए की लागत से एक भव्य नेताजी स्मारक बनाया जाएगा।
पश्चिम बंगाल के चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश तो काफ़ी पहले से हो रही है, लेकिन अब बीजेपी की प्रस्तावित रथयात्रा से कई लोग इतने आशंकित हैं कि कलकत्ता हाई कोर्ट में इसको चुनौती दी है।
नये कृषि क़ानूनों पर किसान आंदोलन में हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने उन क़ानूनों के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया है। इन क़ानूनों को किसान विरोधी क़रार दिया गया है और इसको वापस लेने की माँग की है।
आख़िर वे कौन लोग हैं जो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी जा रहे हैं? क्या वास्तव में बहुत सारे ‘ताक़तवर और प्रभावशाली’ लोग तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं?
क्या फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा ममता को कमज़ोर करने के लिये काम कर रहे हैं या फिर उनके इरादे कुछ और हैं? क्या मुसलमान वोटर वाकई ममता को छोड उनकी पार्टी को वोट भी देगा, यह भी बडा सवाल है?
जिस पश्चिम बंगाल की छवि 'भद्रलोक बंगाली' की रही है, जहाँ राजनीतिक विरोध सैद्धांतिक मतभेद और बौद्धिक विमर्श तक सीमित रहा है, उस राज्य में राजनीतिक सरगर्मी इस रूप से बढ़ गई है कि विरोधियों को खुले आम गाली गलौच और हिंसा की धमकी दी जाने लगी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान कर न सिर्फ बीजेपी के दाँव को उलट दिया है, बल्कि उसे उसी के जाल में फँसा दिया है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 जैसे-जैसे क़रीब आता जा रहा है, वैसे-वैसे तीन तरह के समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। स्थानीय लोग इन्हें सिंडिकेट, तोलाबाज और कट मनी ग्रुप कहते हैं। इनका जाल पूरे बंगाल में गाँव से लेकर शहर तक फैला हुआ है।
क्या भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के पहले सांप्रदायिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि वह बहुसंख्यक हिन्दू वोटों को अपनी ओर खींच सके?
पश्चिम बंगाल में आम धारणा यही है कि तृणमूल ही वापस सत्ता में आएगी। पुलिस और मीडिया की भी यही राय है। जानिए वे कौनसी शक्तियाँ हैं जो तूफ़ानी हवाओं में भी ममता की नाव को पार लगाने में मदद कर रही हैं।
बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ओर से यह अपील करने के बाद कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और वाम दल उसके साथ आएं, अब कांग्रेस की ओर से कुछ ऐसी ही अपील की गई है।