पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पाँचवें चरण का मतदान छह ज़िलों की 45 सीटों के लिए शनिवार को मतदान हुआ। शाम पाँच बजे तक 78 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने मतदान किया। कई जगहों पर टीएमसी-बीजेपी के समर्थकों के बीच मारपीट हुई।
दरअसल 13 अप्रैल को नील की पूजा के साथ ही इस इलाके में शिवजी की आराधना और सप्ताह व्यापी गाजन उत्सव की धूम शुरू हो जाता है। 14 अप्रैल को गाजन होता है। गाजन के कई अर्थ लोग बताते हैं। 'गा' का मतलब गाँव और 'जन' का अर्थ जनसमावेश।
पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में बीते क़रीब तीन दशकों से हर चुनाव में सबसे अहम मुद्दा रहा गोरखालैंड अबकी विधानसभा चुनाव में परिदृश्य से ग़ायब है।
चुनाव आयोग ने बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष के चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की रोक लगा दी है। यह रोक उनके “और होंगी शीतलकुची जैसी घटनाएं” वाले बयान को लेकर लगाई गई है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पाँचवें चरण में शनिवार को छह ज़िलों की जिन 45 सीटों के लिए मतदान होना है उनमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और अबकी सत्ता की प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी के बीच काँटे की टक्कर है।
देश भर के साथ ही पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने 16 अप्रैल को कोलकाता में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इसमें कोरोना को लेकर बन रहे हालात पर चर्चा की जाएगी।
बीजेपी को तमाम राजनीतिक दलों में सोशल मीडिया का बादशाह माना जाता है। लेकिन बीते कुछ सालों में बाक़ी दलों ने भी सोशल मीडिया के कई प्लेटफ़ॉर्म्स पर सक्रियता बढ़ाई है और उसे चुनौती दी है।
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव प्रचार पर 24 घंटे की रोक लगा दी है। बंगाल में चौथे चरण के मतदान के दौरान कूचबिहार के शीतलकुची में हुई फ़ायरिंग को लेकर माहौल बेहद गर्म है।
चुनाव आयोग ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया था। यह रोक 12 अप्रैल की रात 8 बजे से 13 अप्रैल की रात 8 बजे तक लागू रहेगी।
चुनाव आयोग ने बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष से कहा है कि वे “और होंगी शीतलकुची जैसी घटनाएं” वाले बयान को लेकर अपना स्पष्टीकरण दें। उन्हें इसके लिए बुधवार सुबह 10 बजे तक का समय दिया गया है।
सवाल यह है कि ममता के ख़िलाफ़ बीजेपी के सफल धार्मिक ध्रुवीकरण का मुख्य कारण अगर वर्तमान मुख्यमंत्री की कथित मुसलिम तुष्टिकरण की नीतियाँ हैं तो क्या राज्य के हिंदू मतदाता घोर नास्तिक माने जाने वाले मार्क्सवादियों की हुकूमत में पूरी तरह से संतुष्ट थे?