हिन्दी फ़िल्मों के सुपर स्टार रह चुके मिथुन चक्रवर्ती की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कोलकाता पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने के आरोपों में इस पूर्व सांसद से पूछताछ की है। मामले की जाँच अभी जारी है और भविष्य में भी उनसे पूछताछ की जा सकती है।
लेकिन सियासी गलियारों में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को कड़ाई से निपटने के संकेते दे रही है? सवाल यह भी है कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तृणमूल छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामने वालों को भविष्य का संकेत दिया जा रहा है?
क्या है मामला?
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की नुमाइंदगी कर चुके मिथुन के दो बयानों पर विवाद हुआ था। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई एक जनसभा में उन्होंने कहा था, 'मारबो एखाने, लाश पोड़बे शशाने' यानी 'मारूँगा यहाँ, लाश गिरेगी श्मशान में।'
मिथुन चक्रवर्ती की एक बांग्ला फ़िल्म 'एमएलए फ़ाटाकेश्टो' का यह डॉयलॉग है। मिथुन का कहना है कि उन्होंने लोगों का मनोरंजन करने के लिए अपनी फ़िल्म का एक डॉयलॉग सुनाया था।
इसी सभा में उन्होंने कहा था, 'आमि जलेर साँप नेई, आमि बेलेघोड़ा साँप नेई। आमि कोबरा। आमि मारले फोटो होए जाबी।' यानी 'मैं पानी में रहने वाला बेलेघोड़ा साँप नहीं हूँ। मैं कोबरा हूँ। मैं काटूँगा तो फोटो बन जाओगे।'
बेलेघोड़ा विषहीन साँप होता है जो फुँफकार जोरों का मारता है, पर उसके काटने से कोई मरता नहीं है। मिथुन के कहने का मतलब यह था कि 'मैं वैसा विषहीन साँप नहीं हूँ। मेरे मारने से तुरन्त मर जाओगे और तुम्हारी तसवीर दीवाल पर टाँग दी जाएगी।'
बता दें कि इस जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे और उनकी मौजूदगी में ही मिथुन बीजेपी में शामिल हुए थे।
भड़काऊ भाषण का मामला
इसके बाद शिकायत दर्ज किए जाने पर कोलकाता पुलिस ने मिथुन के खिलाफ़ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था और उन्हें बुलावा भेजा था और जाँच में सहयोग करने को कहा था।
लेकिन मिथुन चक्रवर्ती ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने चक्रवर्ती को निर्देश दिया था कि वह पुलिस को अपना ई-मेल पता दें ताकि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये उनसे पूछताछ की जा सके।
लेकिन मामला सिर्फ इतना नहीं है। अपनी पहली ही फ़िल्म 'मृगया' के लिए 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेता' का पुरस्कार जीतने वाले मिथुन हिन्दी और बांग्ला फ़िल्म में कामयाब पारी खेलने के बाद राजनीति के मैदान पर उतरे। वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें पार्टी ने राज्यसभा का सदस्य बनाया।
सारदा चिटफंड घोटाले में उनका नाम उछला तो उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया।
पुराना विवाद
मिथुन चक्रवर्ती सारदा समूह के एक टेलीविजन चैनल के लिए ब्रांड अम्बेसेडर बन गए थे, उसके लिए उन्हें 1.20 करोड़ रुपए दिए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट ने उनसे पूछताछ की थी। उन्होंने वह रकम ईडी को दे दी और राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया।
मिथुन चक्रवर्ती अभी भी बीजेपी में हैं। वे किसी पद पर नहीं हैं, संसद या विधानसभा के सदस्य नहीं है, उनका कोई ख़ास राजीनीतिक महत्व भी नहीं हैं। उन्होंने बीजेपी के लिए कुछ जगहों पर चुनाव प्रचार किया था, लेकिन वे लोग चुनाव हार गए। मिथुन की कोई निजी राजनीतिक महत्वाकाँक्षा भी नहीं दिखती है।
सियासी हलकों में सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या मिथुन चक्रवर्ती के बहाने उन लोगों को संकेत दिया जा रहा है जो टीएमसी छोड़ कर बीजेपी में चले गए। ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में हैं, कई दर्जन विधायक हैं जो बीजेपी छोड़ कर तृणमूल वापस लौटना चाहते हैं।
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