ममता बनर्जी ने भवानीपुर उप-चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार प्रियंका टिबरीवाल को क़रीब 58 हज़ार मतों से हराया। टिबरीवाल ने हार स्वीकार कर ली है। ममता को 84 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले। जीत के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि नंदीग्राम में रची गई साज़िश का भवानीपुर की जनता ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
ममता ने कहा, 'मैंने भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव 58,832 मतों के अंतर से जीता है और निर्वाचन क्षेत्र के हर वार्ड में जीत दर्ज की है।' उन्होंने कहा कि जनता के प्यार से जीत मिली है। मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए सवाल उठाए कि भवानीपुर जैसी छोटी जगह पर भी 3500 सुरक्षाकर्मी लगाए गए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह नंदीग्राम से कई कारणों से जीत नहीं पाईं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के ख़िलाफ़ साज़िश हुई थी। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे विजय जुलूस नहीं निकालें, बल्कि इसके बदले बाढ़ पीड़ितों की मदद करें।
चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद से तृणमूल समर्थकों में जश्न का माहौल है। ममता को मतगणना शुरू होने के साथ ही बढ़त मिलने लगी थी और वह लगातार बढ़ती ही गई। मतगणना के 13वें दौर में उनकी बढ़त क़रीब 37000 हो गई थी। ममता पहले दौर में क़रीब 3000 मतों से आगे थीं। इसके बाद तीसरे दौर की मतगणना में उनकी बढ़त 6 हज़ार, चौथे दौर में 13 हज़ार और फिर पाँचवें दौर में 18 हज़ार हो गई थी। छठे दौर की मतगणना में क़रीब 24000 मतों से वह आगे हो गई थीं। मतगणना के ग्यारहवें दौर में ममता की बढ़त क़रीब 34000 हो गई थी। शुरुआती रुझान आने के बाद से ही ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे चल रही थीं। मुख्यमंत्री के रूप में ममता के लिए यह चुनाव उनके पद पर बने रहने के लिए बेहद अहम था क्योंकि मुख्यमंत्री होते हुए भी वह विधायक नहीं थीं।
भवानीपुर सीट के अलावा पश्चिम बंगाल की ही समसेरगंज और जंगीपुर सीटों के लिए भी आज मतगणना हो रही है। इन सीटों पर भी तृणमूल आगे चल रही है।
भवानीपुर से चुनाव लड़ने वाली ममता बनर्जी के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम था। ऐसा इसलिए कि ममता बनर्जी फ़िलहाल विधानसभा सदस्य नहीं थीं। बग़ैर विधानसभा सदस्य बने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए छह महीने का समय 3 नवंबर को पूरा हो जाता।
यदि वह उस समय तक विधानसभा सदस्य नहीं बनतीं तो उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ता। हालाँकि नियम के मुताबिक़ वह इस्तीफ़ा देने के बाद एक बार फिर छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बन सकती थीं, लेकिन इससे उनकी किरकिरी होती।
पिछले विधानसभा चुनाव में कोलकाता स्थित भवानीपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस के शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने चुनाव जीता था। उसके बाद उन्होंने उस सीट से इस्तीफ़ा दे दिया था ताकि वह सीट खाली हो जाए और वहाँ होने वाले उपचुनाव में ममता बनर्जी चुनाव लड़ सकें। भवानीपुर सीट को तृणमूल नेता के लिए आसान सीट माना जाता रहा है। ममता बनर्जी पिछला चुनाव नंदीग्राम से हार गई थीं। इस अप्रैल-मई में हुए विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की जबरदस्त जीत के बावजूद, वह नंदीग्राम से नहीं जीत सकी थीं।
ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ बीजेपी की ओर से बंगाल में चुनाव बाद हिंसा का केस लड़ने वाली वकील प्रियंका टिबरीवाल उम्मीदवार थीं। टिबरीवाल ममता सरकार के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में चुनाव बाद हिंसा की पैरवी करने के लिए चर्चा में रही हैं। यह वह मुद्दा है जिसको लेकर बीजेपी लगातार ममता बनर्जी को घेरती रही है और क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाती रही है। इस मुद्दे पर हाल के दिनों में टीएमसी और बीजेपी में जबरदस्त ठनती रही है।
प्रियंका टिबरीवाल ने एक याचिकाकर्ता के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय से उस हिंसा के मामलों में पश्चिम बंगाल सरकार को पुलिस केस दर्ज करने का आदेश दिलवाया था। उन्होंने चुनाव बाद हिंसा के मामलों में सीबीआई जांच के अदालत के आदेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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