पश्चिम बंगाल की सियासत में अपना लोहा मनवा चुकीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे को लेकर राजनीति से लेकर मीडिया तक के गलियारों में खासी हलचल है। पांच दिन के दिल्ली दौरे पर राष्ट्रीय राजधानी पहुंचीं ममता का बंगाल जीत के बाद यह पहला दौरा है। मंगलवार को उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ से मुलाक़ात की और इसके बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलीं।
पीएम मोदी से मुलाक़ात के बाद ममता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल के तहत यह मुलाक़ात की है। उन्होंने कहा कि बुधवार को वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाक़ात करेंगी। ममता ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए योजना बनानी पड़ेगी। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और पंजाब के विधानसभा चुनाव का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकर्ताओं को त्रिपुरा में हाउस अरेस्ट कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का मूड अच्छा था और इस दौरान बंगाल चुनाव के नतीजों को लेकर कोई बात नहीं हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पेगासस मामले में प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठक बुलाएं और इस मामले में सभी की राय ली जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जांच कराई जानी चाहिए।
एंटी बीजेपी फ्रंट की कवायद
21 जुलाई को शहीद दिवस के आयोजन के दिन बंगाल के बाहर भी जिस तरह ममता का भाषण दिखाया और सुनाया गया, उससे साफ है कि वह बंगाल से बाहर भी सियासी उड़ान भरने के लिए बेताब हैं। इसके साथ ही वह बीजेपी के ख़िलाफ़ एक मज़बूत फ्रंट बनाने की दिशा में भी तेज़ी से आगे बढ़ना चाहती हैं।
टीएमसी इन दिनों पेगासस जासूसी मामले, किसानों के आंदोलन को लेकर कांग्रेस के साथ सियासी क़दमताल करती दिख रही हैं। क्योंकि ममता बनर्जी जानती हैं कि कांग्रेस के बिना एक मज़बूत एंटी बीजेपी फ्रंट नहीं बन सकता।
विपक्षी नेता रहे थे मौजूद
एक खास बात यह थी कि शहीद दिवस के दिन ममता के भाषण के दौरान विपक्ष के बड़े नेता जैसे शरद पवार और सुप्रिया सुले (एनसीपी), पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), राम गोपाल यादव और जया बच्चन (एसपी), मनोज झा (आरजेडी), तिरुचि शिवा (डीएमके), संजय सिंह (आप) और के केशव राव (टीआरएस), नई दिल्ली में स्थित कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में मौजूद थे।
विशालकाय स्क्रीनों के जरिये ममता के भाषण का प्रसारण गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, त्रिपुरा और दिल्ली में किया गया था।
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ममता ने शहीद दिवस वाले दिन अपने भाषण में कहा था, “हमारे पास बर्बाद करने के लिए वक़्त नहीं है। कम से कम हम लोग साथ बैठ सकते हैं और 27, 28 या 29 जुलाई को विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई जानी चाहिए। हमारे पास ढाई से तीन साल का वक़्त है लेकिन हमें मिलकर लड़ना होगा और अपने लोकतंत्र को बचाना होगा।”
उन्होंने 2024 के चुनाव में बीजेपी को हराने की अपील भी सभी विपक्षी दलों से की थी।
ममता का सभी विपक्षी और विशेषकर क्षेत्रीय दलों के लिए पैगाम साफ़ था कि वे अपने मतभेदों को किनारे करें और 2024 के चुनाव की तैयारी में जुटें।
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