पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच अनबन की ख़बरें मीडिया के गलियारों में तैर रही हैं। इसके बाद ममता बनर्जी ने पार्टी के बड़े नेताओं की एक बैठक शनिवार को बुलाई है।
अभिषेक बनर्जी चाहते हैं कि पार्टी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति को लागू किया जाए। टीएमसी के कई वरिष्ठ नेता दो पदों पर हैं और इसे लेकर अभिषेक बनर्जी ने विरोध जताया है। अभिषेक कोलकाता की डायमंड हार्बर सीट से सांसद हैं और ऐसा माना जाता है कि वही ममता बनर्जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे।
चुनावी रणनीतिकार और पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी के लिए चुनावी ताना-बाना बुनने वाले प्रशांत किशोर ममता बनर्जी और अभिषेक के बीच में फंस गए हैं।
शुक्रवार को टीएमसी की नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर की टीम ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट का गलत इस्तेमाल किया है।
भट्टाचार्य ने कहा है कि किशोर की टीम ने चुनाव से पहले उनका ट्विटर अकाउंट बनाया था और शुक्रवार को उनकी मर्जी के बिना इस पर ‘एक व्यक्ति एक पद’ के बारे में पोस्ट कर दिया। उन्होंने कहा है कि वह इसका विरोध करती हैं लेकिन प्रशांत किशोर की टीम ने इसका जवाब दिया और कहा कि वह टीएमसी के किसी भी पदाधिकारी या पार्टी के ट्विटर हैंडल को नहीं संभालती और कोई इस तरह का दावा कर रहा है तो वह पूरी तरह झूठ बोल रहा है।
अभिषेक बनर्जी के समर्थकों ने ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति के समर्थन में कई ट्वीट किए हैं। उदाहरण के लिए फिरहाद हाकिम कोलकाता नगर निगम के मेयर हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। हाकिम का कहना है कि पार्टी ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति का समर्थन नहीं करती और अगर ममता बनर्जी ऐसा चाहती तो वह इस नीति को ला सकती थीं। उनका कहना है कि पार्टी में इस नीति को किसी तरह का समर्थन हासिल नहीं है।
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होने के साथ ही टीएमसी की प्रमुख भी हैं। ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक एंटी बीजेपी फ्रंट बनाना चाहती हैं और उसकी कयादत करना चाहती हैं। लेकिन अगर उनके और अभिषेक बनर्जी के बीच में दूरियां बढ़ती हैं तो निश्चित तौर पर यह ममता बनर्जी के रास्ते में एक रुकावट की तरह होगा।
अभिषेक बनर्जी के बारे में कहा जाता है कि वह सियासी महत्वाकांक्षा रखते हैं। देखना होगा कि क्या वह और उनके समर्थक ममता बनर्जी पर ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति लागू करने के लिए किसी तरह का दबाव बना पाते हैं।
टीएमसी में यह बात साफ है कि वहां ममता बनर्जी ही सर्वेसर्वा हैं और उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी टीएमसी में नहीं हिल सकता। ऐसे में अभिषेक बनर्जी का ममता की रजामंदी के बिना टीएमसी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति को लागू कर पाना आसान नहीं होगा।
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