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कोलकाता रेप-हत्या मामले का दोषी संजय रॉय

कोलकाता रेप-मर्डर केसः हत्यारे को उम्रकैद, कोर्ट ने कहा- मामला रेयरेस्ट नहीं

कोलकाता की एक अदालत ने सोमवार को सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ऑन-ड्यूटी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने कहा कि यह मामला रेयर ऑफ द रेयरेस्ट (दुर्लभ से दुर्लभतम) नहीं है। इसलिए कोर्ट ने सीबीआई की फांसी की सजा को खारिज कर दिया। सीबीआई ने यह भी उल्लेख किया कि ट्रेनी डॉक्टर समाज के लिए एक संपत्ति थी और एक मेधावी छात्रा थी। अदालत ने रॉय को दी जाने वाली सजा से पहले सीबीआई से उसके विचार पूछे। तब सीबीआई ने दोषी को फांसी की सजा दने की मांग की।
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सीबीआई को जवाब देते हुए आरोपी के वकील ने कहा कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है। आपको सबूत लाना होगा कि इस व्यक्ति को सुधारा नहीं जा सकता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अपराधियों को सुधारने की बात कहता रहा है। हालाँकि, रॉय ने अपनी बेगुनाही का दावा किया और कहा कि वह इस घटना में शामिल नहीं था। उसने कहा, "मैंने कुछ भी नहीं किया है, न तो रेप, न ही हत्या। मुझे झूठा फंसाया जा रहा है। आपने सब कुछ देखा है। मैं निर्दोष हूं। मैंने आपको पहले ही बताया था कि मुझे प्रताड़ित किया गया था। उन्होंने मुझसे जैसा चाहा, हस्ताक्षर कराया।"
ट्रेनी डॉक्टर के पैरंट्स ने भी मुजरिम के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। उन्होंने कहा- “उस रात इस व्यक्ति की हरकत से पता चला कि वह कहाँ जा रहा था। उसे दोषी पाया गया है। कम से कम फांसी की सजा तो होना चाहिए।''
अस्पताल के सेमिनार कक्ष में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर का शव मिलने के एक दिन बाद 10 अगस्त, 2024 को मुजरिम संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया था। डॉक्टर के साथ यौन उत्पीड़न करने और उसकी गला दबाकर हत्या करने का दोषी पाए गए रॉय को शनिवार को जज ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया है।
ममता बनर्जी का बयानः मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर यह केस कोलकाता पुलिस के पास रहता तो पुलिस दोषी को मौत की सजा दिलाने में कोई कमी नहीं छोड़ती। लेकिन जांच छीन ली गई और सीबीआई को सौंप दी गई। ममता ने कहा- "हमने पहले दिन से मौत की सजा की मांग की थी। हम अब भी इसकी मांग करते हैं। लेकिन यह अदालत का आदेश है। मैं अपनी पार्टी की राय साझा कर सकती हूं। हमने 60 दिनों के भीतर तीन मामलों में मौत की सजा सुनिश्चित की। अगर मामला हमारे पास रहता, तो हम सुनिश्चित करते।
उन्होंने कहा, "मामला हमसे छीन लिया गया। हमने कहा था कि अगर हम ऐसा नहीं कर सकते, तो इसे सीबीआई को सौंप दें। क्योंकि हम न्याय चाहते हैं।"

घटना पर जमकर राजनीति

देश को हिला देने वाले इस मामले में पश्चिम बंगाल में जमकर राजनीति हुई। बीजेपी ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह राजनीति फैसला आने के दिन सोमवार तक जारी थी। फैसला आने के बाद सोमवार को भाजपा ने कहा कि दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाया जाना "न्याय का मजाक" है। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय, जो पश्चिम बंगाल के संगठनात्मक सह-प्रभारी भी हैं, ने फैसले के खिलाफ अपील करने और जांच एजेंसियों से तत्कालीन कोलकाता आयुक्त और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका की जांच करने का आह्वान किया।
रेप और मर्डर की इस घटना के बाद कोलकाता में अगस्त 2024 में प्रदर्शन शुरू हो गये। एक तरफ मेडिकल कॉलेज में स्टूडेंट्स प्रदर्शन कर रहे थे। तो दूसरी तरफ शहर में दक्षिणपंथी और वामपंथी दोनों ही रैलियां निकाल रहे थे। बंद का आयोजन कर रहे थे।
आरजी कर में हिंसा 15 अगस्त 2024 की आधी रात के ठीक बाद हुई। जब पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों में पीड़ित डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर एक मार्मिक और एकजुट आवाज उठी।  हजारों पुरुषों और महिलाओं ने न केवल कोलकाता में बल्कि उत्तर से दक्षिण तक जिला शहरों में मार्च किया। तभी एक अपुष्ट संख्या में लोगों - कुछ का कहना है 35, कुछ का 100 और कुछ का 300 - ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर लगे बैरिकेड्स को तोड़ दिया और आरजी कार में घुस गए, जिससे डॉक्टर, नर्स, मेडिकल छात्र और पुलिस इधर-उधर भागने लगे। उन पर हमले किये गये।
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इसके बाद आरोपों के दौर शुरू हुए। सत्तारूढ़ टीएमसी ने बीजेपी पर हालात बिगाड़ने का आरोप ठहराया। एक तरफ वामपंथी पार्टी सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया ने राज्यव्यापी बंद बुलाया। बीजेपी ने उसी दिन सड़कों पर जाम लगा दिया। बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं ने उसी दिन शाम को ममता बनर्जी के घर तक कैंडल मार्च निकाला। जूनियर और सीनियर डॉक्टरों ने लंबे समय तक हड़ताल की। राज्य में स्वास्थ्य सेवायें ठप हो गईं। देश के तमाम प्रमुख शहरों में बीजेपी ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किये।
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क़मर वहीद नक़वी
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